शैलीविज्ञान क्या है? (What is Stylistics)
शैलीविज्ञान वह ज्ञानानुशासन है जिसके अंतर्गत
साहित्यिक रचनाओं का विश्लेषण इस दृष्टि से किया जाता है कि उनमें सामान्य भाषा के
अतिरिक्त कौन-सा तत्व जुड़ जाता है, जो उन्हें सामान्य भाषा से अलग ‘साहित्य’ बना देता है। साहित्यिक रचनाओं में भी शब्दों और वाक्यों का प्रयोग वैसे ही
दिखाई पड़ता है, जैसे हम
अपने व्यवहार में या समाचार पत्रों आदि में करते हैं, किंतु अपनी संपूर्णता में
साहित्यिक रचनाएँ इस प्रकार से कलात्मक या आनंददायक होती हैं कि हमें एक विशेष
अनुभूति दे जाती हैं। शैलीविज्ञान उसी कलात्मक तत्व की खोज ‘शैली’ (Style) के रूप में करता है।
एक शैलीवैज्ञानिक के लिए ‘साहित्य’ भी ‘भाषा’ ही है, किंतु वह भाषा विशेष प्रकार के
कलात्मक तत्वों से युक्त होती है। शैलीवैज्ञानिक अपने अध्ययन में साहित्य की भाषा
में प्रयुक्त ‘कलात्मकता’ का विश्लेषण करता है। इसे एक वेन
आरेख के माध्यम से इस प्रकार से समझ सकते हैं-
इसे समझने के लिए एक समाचार
पत्र और एक साहित्यिक कृति से एक-एक पैराग्राफ लेकर देखते हैं-
समाचार पत्र |
|
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज
15वां दिन है। किसानों को मनाने के लिए 6 राउंड बातचीत के बाद सरकार की लिखित
कोशिश भी बुधवार को नाकाम हो गई। सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव करने समेत 22
पेज का प्रपोजल किसानों को भेजा था, लेकिन बात बनने की बजाय ज्यादा बिगड़ गई। किसानों ने
सरकारी कागज को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि अब आंदोलन तेज होगा। अब
जयपुर-दिल्ली और आगरा-दिल्ली हाईवे समेत तमाम नेशनल हाईवे जाम किए जाएंगे। इस
बीच सरकार के दूसरे प्रस्ताव का भी इंतजार रहेगा। ... प्रस्ताव में भी राजनीति,
हुड्डा और बादल पर
डाली बात किसानों ने सरकार से पूछा था कि किसकी सिफारिश पर कानून
आए। सरकार ने लिखित में दिया है कि 2010 में हरियाणा के उस वक्त के मुख्यमंत्री
भूपेंद्र हुड्डा की लीडरशिप में कमेटी बनी थी। सरकार ने हुड्डा और पंजाब के
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नामों का ही जिक्र किया है,
जबकि कमेटी में बंगाल,
बिहार और महाराष्ट्र
के मुख्यमंत्री भी शामिल थे। केंद्रीय मंत्री बोले- किसान आंदोलन में चीन-पाकिस्तान का
हाथ सरकार कानून वापस नहीं लेने की जिद पर अड़ी है,
तो किसान भी अपनी बात
पर डटे हैं। बयानबाजी भी हो रही है। केंद्रीय खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री
रावसाहेब दानवे ने का कहना है कि किसानों के आंदोलन में पाकिस्तान का चीन का हाथ
है। दानवे ने कहा कि पहले CAA और NRC को लेकर मुसलमानों को भड़काया गया। ये कोशिशें नाकाम रही
तो, अब
किसानों को उकसाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने यह बात बुधवार को औरंगाबाद में
हेल्थ सेंटर के इनॉगरेशन प्रोग्राम में कही। |
साहित्य- राष्ट्र के सेवक ने कहा - देश की मुक्ति का एक ही उपाय है
और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं,
कोई नीच नहीं,
कोई ऊँच नहीं। दुनिया ने जय-जयकार की - कितनी विशाल दृष्टि है,
कितना भावुक हृदय! उसकी सुंदर लड़की इंदिरा ने सुना और चिंता के सागर में
डूब गई। राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया। दुनिया ने कहा - यह फरिश्ता है,
पैगंबर है,
राष्ट्र की नैया का
खेवैया है। इंदिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा। राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मंदिर में ले गया,
देवता के दर्शन कराए
और कहा - हमारा देवता गरीबी में है, जिल्लत में है, पस्ती में है। दुनिया ने कहा - कैसे शुद्ध अंतःकरण का आदमी है! कैसा
ज्ञानी! इंदिरा ने देखा और मुसकराई। इंदिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली - श्रद्धेय
पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ। राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देखकर पूछा - मोहन
कौन है? इंदिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा - मोहन वही नौजवान है,
जिसे आपने गले लगाया,
जिसे आप मंदिर में ले
गए, जो
सच्चा, बहादुर
और नेक है। राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आँखों से उसकी ओर देखा और
मुँह फेर लिया। |
(संदर्भ- राष्ट्र का सेवक, प्रेमचंद। लिंक- http://www.hindisamay.com/content/3834/1/प्रेमचंद--लोककथा-राष्ट्र-का-सेवक.cspx) |
उक्त दोनों खंडों में देख सकते हैं कि शब्दों और वाक्यों का प्रयोग एक जैसा सामान्य
ही है। ऐसा नहीं कि समाचार वाले में किसी एक प्रकार की हिंदी और साहित्य वाले में दूसरे
प्रकार की हिंदी हो। दोनों में शब्द या वाक्य रचनाएँ भिन्न-भिन्न हों, किंतु फिर भी एक सामान्य भाषा व्यवहार (सूचनाओं
का आदान-प्रदान) है, जबकि दूसरा साहित्य। शैलीविज्ञान यही जानने
की कोशिश करता है कि दूसरे में वे कौन-से तत्व हैं, जो उसे साहित्य
बना देते हैं।
No comments:
Post a Comment