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Thursday, December 17, 2020

एक व्यवस्था के रूप में भाषा (Language as a System)

  

इससे पूर्व पढ़ें-

1. भाषा क्या है? (What is Language)

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एक व्यवस्था के रूप में भाषा (Language as a System)

  भाषा कोई वस्तु नहीं है, जिसे किसी को दिखाकर कहा जाए कि यह चीज भाषा है। भाषा का कोई आकार या रूप रंग नहीं होता, जिससे इसे दिखाया या बताया जा सके। फिर भाषा क्या है?

 भाषा एक व्यवस्था (System) है, जो अमूर्त होती है। व्यवस्था उसे कहते हैं, जिसमें एक से अधिक इकाइयाँ होती हैं और एक या एक से अधिक नियम होते हैं। इसे सूत्र रूप में इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं-

 व्यवस्था = इकाइयाँ + नियम

इस दृष्टि से कह सकते हैं कि भाषा एक व्यवस्था है जिसकी मूलभूत इकाई स्वनिम (ध्वनि प्रतीक) है। स्वनिम स्वयं में अर्थहीन होते हैं। अर्थात यदि किसी भाषा में 30 या 50 स्वनिम हैं, तो उनमें से किसी स्वनिम विशेष का अकेले कोई अर्थ नहीं होता। उदाहरण के लिए हिंदी के 04 स्वरों और 04 व्यंजनों को देखते हैं-

स्वर अ आ इ ई ...

व्यंजन – क ख घ ....

 इनमें से अकेले अ/ आ/ इ/ ई अथवा क/ ख/ ग/ का कोई अर्थ नहीं है। आप स्वयं सोचें कि का अर्थ क्या है? क्या को धोनी सुनते ही आपके मन में कोई अर्थ रहा है? नहीं, क्योंकि का अकेले कोई अर्थ नहीं है। यदि हम इसके साथ या मिला दें, तो-

कल = अगला या पिछला दिन

कम = जितनी मात्रा में चाहिए उतना या उससे अधिक ना होना

इसी प्रकार इसमें स्वर और या मिला दें, तो -

काल = मृत्यु या समय

काम = कोई कार्य जिसे संपादित करते हैं

 हिंदी भाषा कुछ नियमों के माध्यम से इन स्वनिमों को इस प्रकार से मिलाने का काम कर रही है कि उनसे अर्थ निकल रहा है। एक भाषावैज्ञानिक का कार्य इन्हीं नियमों की खोज करना है। भाषाविज्ञान के अंतर्गत हम यह पढ़ते हैं कि वे कौन-से और किस प्रकार के नियम हैं, जिनसे निरर्थक ध्वनि-प्रतीकों (स्वनिमों) को मिलाकर बनने वाले ध्वनि-समूह (शब्द, वाक्य आदि) में अर्थ जाता है।

 व्यवस्था के प्रकार -  स्तर की दृष्टि से व्यवस्था के दो प्रकार के जा सकते हैं- एक स्तरीय व्यवस्था और बहु स्तरीय व्यवस्था।

इस दृष्टि से देखा जाए तो भाषा बहुस्तरीय व्यवस्था है। इसमें विभिन्न स्तरों पर कई छोटी-छोटी उपव्यवस्थाएँ काम करती हैं। उन सभी को मिलाकर भाषा नामक एक पूरी व्यवस्था बनती है। भाषा के स्तरों और उनमें पाई जाने वाली इकाइयों को इस प्रकार से देख सकते हैं-

भाषा के इन स्तरों में स्वनिम, शब्द और वाक्य प्राथमिक स्तर पर समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं-

·         स्वनिम- किसी भाषा के सबसे छोटे ध्वनि-प्रतीक स्वनिम कहलाते हैं, जिनका अपना अर्थ नहीं होता।

·         शब्द- स्वनिमों के योग से बनने वाले छोटे-छोटे ध्वनि-समूह (स्वनिम-समूह) हैं, जिनका स्वतंत्र इकाई के रूप में अर्थ होता है, जैसे- प + उ + स् + त + क = पुस्तक एक शब्द है, जिसका एक निश्चित अर्थ होता है। इसे आगे चित्र में देखेंगे।

·         वाक्य- शब्दों/पदों के योग से बनने वाले अपेक्षाकृत बड़े समूह हैं, जिनका विचार या सूचना के रूप में अर्थ होता है, जैसे- पुस्तक + मेज + पर + है = पुस्तक मेज पर है एक वाक्य है, जो पुस्तक और मेज की स्थिति संबंधी एक सूचना है। इसे आगे चित्र में देखेंगे।

भाषा की व्यवस्था में कैसे निरर्थक ध्वनियाँ अर्थ को प्राप्त करती हैं, इसे एक चित्र के माध्यम से इस प्रकार से देख सकते हैं-

आगे पढ़ेें--

3. भाषा और भाषाविज्ञान (Language and Linguistics)



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