4. भाषा और संरचना
4.1 संरचना की
द्वयात्मकता (Duality of Structure)
जब किसी वस्तु या
व्यवस्था में एक से अधिक इकाइयाँ कुछ नियमों के अंतर्गत एक-दूसरे से संबंधित होती
हैं, तो उन इकाइयों उनके बीच प्राप्त संबंध को
संरचना कहते हैं। यदि एक ही इकाई हो तो संरचना नहीं होगी। एक से अधिक होने पर उनका
एक निश्चित क्रम, स्थान या जुड़ाव होगा,
जिसका ज्ञान संरचना का ज्ञान कहलाता है।
भाषा में संरचना दो
स्तरों पर कार्य करती है-
(क) अभिव्यक्ति
संरचना (Expression Structure)
किसी भाषा में अर्थवान इकाइयों
का व्यवहार किन ध्वनियों /किस प्रकार की ध्वनियों अथवा किन लिपि चिह्नों/किस प्रकार
के लिपि चिह्नों से होता है? का
अध्ययन उस भाषा की अभिव्यक्ति संरचना का अध्ययन है। भाषिक अभिव्यक्ति दो प्रकार से
होती है-
वाचिक और लिखित
अतः इन दोनों रूपों में भाषा
की अभिव्यक्ति संरचना का अध्ययन किया जा सकता है। किसी भाषा की अभिव्यक्ति संरचना ‘स्वनिम से लेकर वाक्य तक’ देखी जा सकती है।
स्वनिमों से
स्वनप्रक्रियात्मक शब्द बनते हैं, जैसे- ‘घर’,
इसमें लगे स्वनिमों और उनके क्रम का अध्ययन अभिव्यक्ति
संरचना का अध्ययन है। अभिव्यक्ति संरचना के अध्ययन में अर्थ और व्याकरण का अध्ययन
अपेक्षित नहीं होता। शब्दों को मिलाकर ‘उच्चार’ (utterance) बनते हैं। पूरे महाभारत की अभिव्यक्ति संरचना का अध्ययन
व्याकरण और अर्थ जाने बिना किया जा सकता है। जैसे महाभारत में कितने स्वर हैं, कितने व्यंजन है, उनका व्यंजन पैटर्न, स्वर पैटर्न, स्वर-व्यंजन पैटर्न किस प्रकार के हैं? किस पैटर्न के कितने शब्द आए हैं? इस प्रकार का अध्ययन अभिव्यक्ति संरचना का अध्ययन होगा।
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(ख) कथ्य संरचना (Content
Structure)
भाषा अर्थहीन इकाइयों (ध्वनियों/स्वनिमों)
के माध्यम से अर्थवान इकाइयों (शब्दों/वाक्यों) का निर्माण करती है। अर्थवान इकाइयों
की व्यवस्था का अध्ययन कथ्य-संरचना के अंतर्गत किया जाता है। दो छोटी अर्थवान इकाइयों
को मिलाकर एक बड़ी अर्थवान इकाई कैसे और किन परिस्थितियों में बनाई जाती है? इसका विश्लेषण कथ्य संरचना में किया जाता है।
उदाहरण के लिए ‘देवदूत’ शब्द में ‘देव+दूत’ दो अर्थवान इकाइयाँ हैं। यह विश्लेषण कथ्य संरचना
की दृष्टि से किया गया विश्लेषण है, जबकि ‘द+ए+व+द+ऊ+त’ ध्वनियाँ एक विशेष क्रम में आई हैं। यह
विश्लेषण अभिव्यक्ति संरचना का मामला है।
कथ्य संरचना की सबसे
छोटी इकाई ‘रूपिम’ है। रूपिमों का योग होने पर शब्दों या पदों का निर्माण होता
है,
जिनकी कथ्य संरचना बनती है। यह श्रृंखला रूपिम से वाक्य तक
जाती है। संरचना की दृष्टि से वाक्य सबसे बड़ी इकाई है। वाक्य के ऊपर पाठ या
प्रोक्ति संप्रेषण का मामला है। अभी तक उनकी संरचना की बात नहीं की जाती।
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4.2 संबंधों की
द्वयात्मकता (Duality of Relations)
1. विन्यासक्रमी (Syntagmatic) संबंध
एफ. डी. सस्यूर को
आधुनिक भाषाविज्ञान का जनक कहा जाता है। इन्होंने पारंपरिक भाषा अध्ययन से हटकर
वर्तमान भाषावैज्ञानिक अध्ययन का मार्ग दिखाया। इसके लिए सस्यूर द्वारा कई नवीन अवधारणाएँ
दी गईं। यह उनमें से एक है। विन्यासक्रमी –सहचारक्रमी संबंध वाक्य में आने वाले
शब्दों के आपसी संबंध हैं। वाक्य में जब एक से अधिक शब्द आते हैं तो वे आपस में
विन्यासक्रमी संबंध में होते हैं,
जैसे –
2. सहचारक्रमी (Paradigmatic) संबंध
किसी वाक्य में एक स्थान
पर जितने शब्द आ सकते हैं वे आपस में सहचारक्रमी संबंध में होते हैं, जैसे -