हिंदी
में अन्विति (Agreement in Hindi)
वाक्य
के किसी एक घटक (शब्द/पद) के व्याकरणिक रूप का अन्य घटक शब्द/पद के व्याकरणिक रूप
के अनुकूल होना अन्विति है। हिंदी वाक्य रचना में शब्दों के बीच पाई जाने वाली
अन्विति को दो स्तरों पर देखा जा सकता है- पदबंध स्तर और वाक्य स्तर।
1. पदबंध स्तर
इस स्तर पर प्राप्त होने वाली अन्विति के
पदबंध के स्वरूप के आधार पर दो वर्ग किए जा सकते हैं-
1.1 संज्ञा पदबंध
संज्ञा पदबंध में अन्विति ‘शीर्ष’ संज्ञा शब्द और उसके पूर्व आए ‘आश्रित’ विकारी शब्दों के बीच होती है। इनके
विश्लेषण हेतु निम्नलिखित प्रकार से सूत्र दिया जा सकता है-
आश्रित (पूर्वशब्द) + शीर्ष (पश्चशब्द)
इस सूत्र के अनुसार पश्चशब्द के अनुरूप
पूर्वशब्द के निम्नलिखित तीन प्रकार के रूपों का ध्यान रखा जाता है-
· आकारांत
रूप
· एकारांत
रूप
· ईकारांत
रूप
संज्ञा पदंबंधों में अन्विति को निम्नलिखित
तीन प्रकार की व्याकरणिक सूचनाओं के आधार पर देखा जाता है-
लिंग, वचन, परसर्गीय स्थिति
इनके निम्नलिखित उपरूप हैं-
· लिंग
= पुल्लिंग, स्त्रीलिंग
· वचन
= एकवचन, बहुवचन
· परसर्गीय
स्थिति = प्रत्यक्ष (बिना परसर्ग के), तिर्यक
(परसर्ग के साथ)
इनके निम्नलिखित संयोजनों का ध्यान रखना होता
है-
(क) पुल्लिंग, एकवचन, प्रत्यक्ष (= आकारांत रूप)
· अच्छा
लड़का
· अच्छा
भवन
(ख) पुल्लिंग, एकवचन, तिर्यक (= एकारांत रूप)
· अच्छे
लड़के ने
· अच्छे
भवन में
(ख) पुल्लिंग, बहुवचन, प्रत्यक्ष/तिर्यक (= एकारांत रूप)
· बड़े
लड़के
· बड़े
लड़कों ने
(ख) स्त्रीलिंग, एकवचन/बहुवचन, प्रत्यक्ष/तिर्यक (= ईकारांत रूप)
· बड़ी
लड़की
· बड़ी
लड़की ने
· बड़ी
लड़कियाँ
· बड़ी
लड़कियों ने
ये नियम निम्नलिखित प्रकार के शब्दों पर लागू
होते हैं-
सभी विकारी आकारांत विशेषण
|
||
का
|
की
|
के
|
वाला
|
वाली
|
वाले
|
अपना
|
अपनी
|
अपने
|
कैसा
|
कैसी
|
कैसे
|
जैसा
|
जैसी
|
जैसे
|
वैसा
|
वैसी
|
वैसे
|
आदि।
1.2 क्रिया पदबंध
संज्ञा पदबंध में अन्विति ‘शीर्ष’ संज्ञा शब्द और उसके बाद आए ‘आश्रित’ सहायक क्रिया शब्दों के बीच होती है। इनके
विश्लेषण हेतु निम्नलिखित प्रकार से सूत्र दिया जा सकता है-
आश्रित (पूर्वशब्द) + शीर्ष (पश्चशब्द)
इस सूत्र के अनुसार पूर्वशब्द के अनुरूप बाद
आए सहायक क्रिया शब्दों के निम्नलिखित प्रकार के रूपों का ध्यान रखा जाता है-
· आकारांत
रूप
· एकारांत
रूप
· ईकारांत
रूप
· है/हैं
रूप
आकारांत, एकारांत और ईकारांत रूप निम्नलिखित शब्द प्रकारों पर लागू होते हैं-
चला, चली, चले या खाया, खायी, खाए के
बाद- था, थी, थे/ होगा, होगी/होंगी, होंगे
चुका, चुकी
चुके अथवा रहा रही रहे + था, थी, थे/ होगा, होगी/होंगी, होंगे
नोट- (1) होगी, और
होंगी में अंतर पर ध्यान दें।
(2) होगे, और होंगे
में अंतर पर ध्यान दें।
है और हैं रूप
पुल्लिंग शब्दों के कर्ता, कर्म आदि होने की स्थिति में क्रिया के रूपों द्वारा ‘है’ या ‘हैं’ के प्रयोग की पहचान की जा सकती है-
चला/खाया/रहा/चुका + है
चले/खाए/रहे/चुके + हैं
पुल्लिंग शब्दों के कर्ता, कर्म आदि होने की स्थिति में क्रिया ईकारांत ही रहती है, अतः वहँ पर ‘है’ या ‘हैं’ के प्रयोग की पहचान क्रिया रूप से नहीं की जा
सकती, जैसे-
लड़की जाती है।
लड़कियाँ जाती हैं।
……………………
2. वाक्य स्तर
अन्विति का मूल स्तर ‘वाक्य’ है। वाक्य में विभिन्न प्रकार्य-स्थानों पर आने
वाले पदबंधों के बीच अन्विति पाई जाती है। यह भिन्न-भिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार
से होती है। हिंदी में ‘क्रिया पदबंध’ अन्य
घटक पदबंधों- ‘कर्ता, कर्म’ के बीच अन्विति पाई जाती है। इसके अलावा एक और स्थिति किसी भी पदबंध के साथ
अन्विति नहीं होने की होती है। इन्हें निम्नलिखित प्रकार से देख सकते हैं-
2.1 कर्ता और क्रिया की अन्विति
कर्ता के बाद किसी परसर्ग का प्रयोग न होने की
स्थिति में क्रिया की अन्विति कर्ता के साथ होती है, जैसे-
· मोहन
आम खाता है।
· सीता
आम खाती है।
· तुम
अपने घर में आम खाते हो।
· मैं
बाजार से खरीदकर पके हुए आम खाता हूँ।
2.2 कर्मऔर क्रिया की अन्विति
कर्ता के बाद किसी परसर्ग का प्रयोग हो जाने पर
क्रिया की अन्विति कर्म के साथ होती है, जैसे-
· मोहन
ने आम खाया।
· सीता
ने आम खाया।
· मोहन
ने मिठाई खाई।
· सीता
ने मिठाई खाई।
· तुमने
अपने घर में आम खाया।
· तुमने
अपने घर में मिठाई खाई।
· मैंने
बाजार से खरीदकर पके हुए आम खाए।
· मैंने
बाजार से खरीदकर स्वादिष्ट मिठाई खाई।
2.3 स्वतंत्र क्रिया
जब कर्ता और कर्म दोनों के बाद परसर्ग आता है तो
क्रिया स्वतंत्र (एकवचन, पुल्लिंग) रहती है, जैसे-
· मोहन
सीता को मारता है।
· सीता
मोहन को मारती है।
· मोहन
ने सीता को मारा।
· सीता
ने मोहन को मारा।
उपयोगी सामग्री।
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