वाक्य रूपांतरण (Sentence
Transformation)
आधुनिक भाषाविज्ञान में प्रजनक व्याकरण (Transformation Generative Grammar-TGG) के जनक नोएम चॉम्स्की द्वारा अपने व्याकरण में वाक्य
के संदर्भ में दो प्रकार की संरचनाओं की बात की गई है-
(अ) गहन संरचना (Deep Structure)- यह वाक्य का
मूल रूप है। इसमें वाक्य सरल, सकारात्मक, सूचनात्मक और कर्तृवाच्य होता है, जैसे-
§
मोहन ने आम खाया।
§
सीता ने आम खाया।
§
मोहन ने मिठाई
खाई।
§
सीता ने मिठाई
खाई।
(आ) बाह्य संरचना (Surface
Structure)- हम वाक्य का व्यवहार सूचनाओं का भाँति-भाँति से
आदान-प्रदान करने के लिए करते हैं। इसलिए गहन संरचना में प्राप्त होने वाले वाक्य
में ही भिन्न-भिन्न प्रकार के रूपांतरण करके उन्हें व्यवहार में लाते हैं। ऐसे
वाक्यों की गहन संरचना वही रहती है, केवल बाह्य संरचना बदल जाती है।
हिंदी वाक्यों के कुछ रूपांतरण
हिंदी में गहन संरचना में बने मूल (निश्चयार्थक) वाक्यों में रूपांतरण
करके निम्नलिखित प्रकार के वाक्य बनाए जाते हैं-
मूल वाक्य
§
मोहन ने आम खाया।
§
सीता ने आम खाया।
§
मोहन ने मिठाई
खाई।
§
सीता ने मिठाई
खाई।
रूपांतरण
(1) नकारात्मकीकरण (निषेधार्थक वाक्य बनाना)
निषेधार्थक वाक्य बनाने की प्रक्रिया को नकारात्मकीकरण कहते हैं-
§
मोहन ने आम नहीं
खाया।
§
सीता ने आम नहीं
खाया।
§
मोहन ने मिठाई
नहीं खाई।
§
सीता ने मिठाई
नहीं खाई।
(2) प्रश्नवाचकीकरण (प्रश्नार्थक वाक्य बनाना)
प्रश्नार्थक वाक्य बनाने की प्रक्रिया को प्रश्नवाचकीकरण कहते हैं। इसके दो
रूप हैं-
(i) हाँ/नहीं (Yes/No) उत्तर वाले प्रश्न
§
क्या मोहन ने आम
खाया?
§
क्या सीता ने आम
खाया?
§
क्या मोहन ने
मिठाई खाई?
§
क्या सीता ने
मिठाई खाई?
(ii) Wh प्रश्न
§
मोहन ने आम क्यों
खाया?
§
सीता ने आम कैसे
खाया?
§
मोहन ने मिठाई
कहाँ खाई?
§
सीता ने मिठाई कब
खाई?
(3) आपनिकरण (आपनिपरक (Imperative) वाक्य बनाना)
इसके अंतर्गत आज्ञा, परामर्श और निवेदन सूचक बनाने की प्रक्रिया आती है, जैसे-
(i) आज्ञार्थक वाक्य बनाना
§
मोहन आम खाता है।
o
मोहन आम खाओ।
(ii) परामर्शसूचक वाक्य बनाना
§
सीता आम खाती है।
o
सीता को आम खाना
चाहिए।
(iii) निवेदनपरक वाक्य बनाना
§
मोहन आम खाता है।
o
मोहन, कृपया मिठाई
खाइए।
(4) कर्मवाच्यीकरण (कर्मवाच्य वाक्य बनाना)
सकर्मक क्रियाओं
वाले सरल वाक्यों का रूपांतरण कर्मवाच्य के रूप में किया जा सकता है, जैसे-
§
मोहन द्वारा आम
खाया गया।
§
सीता द्वारा
मिठाई खाई गई।
(5) भाववाच्यीकरण
(कर्मवाच्य वाक्य बनाना)
अकर्मक और सकर्मक
दोनों प्रकार की क्रियाओं वाले सरल वाक्यों का रूपांतरण भाववाच्य के रूप में किया
जा सकता है, जैसे-
§ मैं सोता हूँ।
o मुझसे सोया नहीं जाता।
§ मैं दौड़ूँगा।
o मुझसे दौड़ा नहीं जाएगा।
§ मैं आम खाता हूँ।
o मुझसे आम खाया नहीं जाता।
(6) बहुवचन रूप निर्माण (बहुवचन वाक्य बनाना)
एकवचन कर्ता और
क्रिया प्रयोग वाले वाक्यों का रूपांतरण बहुवचन प्रयोग वाले वाक्य के रूप में किया
जा सकता है, जैसे-
§ लड़का आम खाता है।
o लड़के आम खाते हैं।
§ एक पेड़ गिर गया।
o दस पेड़ गिर गए।
(7) स्त्रीलिंग रूप निर्माण (स्त्रीलिंग वाक्य बनाना)
पुल्लिंग कर्ता और
क्रिया प्रयोग वाले वाक्यों में स्त्रीलिंग कर्ता का प्रयोग करते हुए स्त्रीलिंग प्रयोग
वाले वाक्य के रूप में उन्हें बदला जा सकता है, जैसे-
§ लड़का आम खाता है।
o लड़की आम खाती है।
(8) बड़ा सरल वाक्य बनाना
दो सरल वाक्यों को
जोड़कर एक बड़ा (जटिल) सरल वाक्य बनाया जा सकता है, जैसे-
§ मुझे आम खाना था। मैं घर गया।
o मैं आम खाने के लिए घर गया।
(9) मिश्र वाक्य बनाना
दो सरल वाक्यों को
जोड़कर एक मिश्र वाक्य बनाया जा सकता है, ऐसी स्थिति में मुख्य कथन ‘मुख्य उपवाक्य’
तथा सहायक कथन ‘आश्रित उपवाक्य’ के रूप में आते हैं, जैसे-
§ मैंने कहा। मुझे आम खाना है।
o मैंने कहा कि मुझे आम खाना है।
(10) संयुक्त वाक्य बनाना
दो सरल वाक्यों को
जोड़कर एक संयुक्त वाक्य भी बनाया जा सकता है, ऐसी स्थिति में दोनों सरल वाक्य परस्पर ‘मुख्य उपवाक्य’ होते हैं, जैसे-
§ मुझे आम खाना है। मुझे सोना है।
o मुझे आम खाना है और सोना है।
उपर्युक्त सभी प्रकार के रूपांतरण अलग-अलग प्रकार के रूपांतरण हैं। किस प्रकार
की रचनाओं का किस प्रकार की रचनाओं में किन परिस्थितियों में रूपांतरण होता है और किन
परिस्थितियों में नहीं होता है, को ठीक-ठीक समझने के लिए भाषावैज्ञानिकों या वैयाकरणों द्वारा
गहन चिंतन-मनन और विश्लेषण करते हुए संबंधित नियमों की खोज की जाती है।
रूपांतरण और सार्वभौमिकता
कुछ रूपांतरण लगभग सभी भाषाओं में होते हैं, तो कुछ केवल कुछ भाषाओं में ही होते हैं। सभी भाषाओं में पाए
जाने वाले रूपांतरण ‘सार्वभौमिक रूपांतरण’ हैं तो एक या कुछ भाषाओं में पाए जाने वाले रूपांतरण ‘भाषा विशिष्ट रूपांतरण’। उदाहरण के लिए नकारात्मकीकरण और
प्रश्नवाचकीकरण सभी भाषाओं में पाए जाने वाले रूपांतरण हैं, जबकि ‘भाववाच्यीकरण’ सभी भाषाओं में नहीं होता।
इसी प्रकार अंग्रेजी में ‘Direct sentence-
Indirect Sentence’ का रूपांतरण होता है, जो हिंदी या भारतीय भाषाओं
में नहीं होता।
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