भाषाओं के अध्ययन विश्लेषण के संदर्भ में दो प्रकार के ज्ञानानुशासनों
की बात की जाती है- भाषाविज्ञान और व्याकरण। कई बार हम इनके बीच अंतर नहीं कर पाते, क्योंकि ये दोनों दो प्रकार की पद्धतियां
या दो प्रकार के शास्त्र हैं, किंतु इन दोनों के अध्ययन का
लक्ष्य एक ही है। वह लक्ष्य है- ‘मानव भाषा’। यहां पर हम इन दोनों ज्ञानानुशासनों में कुछ अंतरों की चर्चा करेंगे, जिनसे इन के स्वरूप को स्पष्टता से समझा जा सके-
· भाषाविज्ञान एक व्यापक अवधारणा है जिसकी विषय वस्तु के रूप
में सभी मानव भाषाएं आ जाती हैं। इसके विपरीत व्याकरण का संबंध किसी एक भाषा से
होता है। अर्थात प्रत्येक भाषा का अलग-अलग स्वतंत्र व्याकरण होता है, जबकि भाषाविज्ञान में ऐसी पद्धतियों को
विकसित करने का प्रयास किया जाता है, जिनका प्रयोग सभी
प्रकार की मानव भाषाओं के विश्लेषण में किया जा सके।
· भाषाविज्ञान व्याख्यात्मक होता है। अर्थात मानव भाषा का
जैसा व्यवहार किया जा रहा है,
भाषाविज्ञान उसका वैसे ही उसका वर्णन करता है, जबकि इसकी
तुलना में व्याकरण को निर्देशात्मक माना गया है। अर्थात व्याकरण शुद्ध-अशुद्ध, मानक-अमानक प्रयोगों की बात करता है, जैसे जब हिंदी
में कोई एक व्यक्ति कहता है कि ‘हम जा रहे हैं’ तो यह वाक्य व्याकरण की दृष्टि से गलत होगा. क्योंकि हिंदी में शुद्ध
प्रयोग है- ‘मैं जा रहा हूं’ इसके
विपरीत भाषाविज्ञान यह खोजने की कोशिश करेगा कि किन लोगों द्वारा किन क्षेत्रों
में या किस प्रकार की पृष्ठभूमि में ऐसे प्रयोग किए जाते हैं और उसका एक विशेषीकृत
वर्णन करेगा- ‘भोजपुरी या पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों द्वारा
इस तरह के प्रयोग किए जाते हैं’। इसमें भाषाविज्ञान के लिए
शुद्ध-अशुद्ध या मानक-अमानक जैसा कुछ भी नहीं है।
· व्याकरण भाषाविज्ञान की तुलना में अधिक पारंपरिक होता है। भाषाविज्ञान
तत्कालिक भाषा व्यवहार को महत्व देता है, जबकि व्याकरण पहले से चली आ रही धारणाओं या परंपराओं को भी बनाए रखता है।
उदाहरण के लिए हिंदी वर्णमाला में व्याकरण की दृष्टि से आज भी स्वर के रूप में ‘ऋ’ उपलब्ध है, जबकि
भाषाविज्ञान इसे स्वर नहीं मानता। भाषाविज्ञान के अनुसार यह एक व्यंजन ध्वनि है, जिसका वर्तमानकालिक उच्चारण ‘रि’ है।
इसी प्रकार हिंदी
में व्याकरण की दृष्टि से- ‘श, ष और स’ तीनों ध्वनियाँ हैं,
जबकि भाषाविज्ञान के अनुसार ‘श और स’ केवल
दो ध्वनियाँ हैं और कहीं-कहीं केवल एक ही ध्वनि ‘स’ शेष बची है।
·
व्याकरण
का लक्ष्य भाषिक इकाइयों का अलग-अलग विश्लेषण करते हुए उनका अध्ययन करना होता है, क्योंकि व्याकरण शब्द ही ‘वि + आकरण’ से बना है। इसके विपरीत भाषाविज्ञान भाषा
संरचना की बात करता है। भाषा संरचना की परिभाषा दी गई है-
“भाषा की इकाइयों के
बीच प्राप्त होने वाले अंतःसंबंधों की व्यवस्था संरचना है”
अतः दोनों का लक्ष्य अमूर्त
रूप में एक ही है।
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