वाक्य साँचा (Sentence Frame/Syntactic Frame) :-
वह साँचा जिसमें क्रिया को केंद्र में
रखते हुए उसके संपादन के लिए आने अथवा आ सकने वाले पदों/पदबंधों के स्वरूप, वर्ग एवं लक्षणों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत
किया जाता है, वाक्य-साँचा कहलाता है। प्रत्येक क्रिया का अपना
एक विशिष्ट व्यवहारपरक स्वरूप होता है। उसके आधार पर यह निश्चित होता है कि उसके कर्ता, कर्म, करण आदि प्रकार्य-स्थानों पर कौन-से पद आ सकते
हैं तथा कौन-से नहीं आ सकते। इन सब की व्यवस्थित प्रस्तुस्ति वाक्य-साँचा है। उदाहरण
के लिए ‘भौंकना’ क्रिया का कर्ता सदैव ‘कुत्ता’ ही होगा। अतः इसके लिए जो भी वाक्य साँचा बनाया
जाएगा, उसमें विशिष्ट रूप से कुत्ता को कर्ता के रूप में दर्शाया
जाएगा। इसी प्रकार ‘सोना और खाना’ जैसी
क्रियाओं के कर्ता के रूप में सभी चेतन प्राणी आ सकते हैं। इन सब प्रकार की बातों को
वाक्य साँचों में व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
सभी भाषाओं में क्रियाओं के स्वरूप और
संज्ञा शब्दों लक्षण आधारित वर्गीकरण के आधार पर वाक्य-साँचे निर्मित करने के प्रयास
किए गए हैं। हिंदी के लिए इसे कार्य प्रो. सूरजाभान सिंह (2000) द्वारा ‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ में व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया
गया है। उसमें से एक वाक्य साँचे को उदाहरणस्वरूप हम इस प्रकार से देख सकते हैं-
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