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Sunday, March 29, 2020

संयुक्त व्यंजन


संयुक्त व्यंजन
संस्कृत एक संयोगात्मक भाषा है। इस कारण संस्कृत और उससे निकली भाषाओं में विभिन्न स्तरों पर एकाधिक भाषिक इकाइयों का संयोग प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए शब्द/पद के स्तर पर अर्थतत्व (शब्द) और संबंधतत्व (विभक्ति) का योग करके लिखा और बोला जाता है। ध्वनि के स्तर पर इसी प्रकार की स्थिति व्यंजनों के प्रयोग में देखी जा सकती है। देवनागरी में लेखन करते समय बहुत से ऐसे अक्षरों/वर्णों का प्रयोग किया जाता है, जिनमें दो व्यंजनों का संयोग रहता है। ऐसे व्यंजनों को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। अतः-
संयुक्त व्यंजन वे व्यंजन हैं, जिनमें दो (या कभी-कभी दो से अधिक) व्यंजनों का संयोग होता है।
मूल देवनागरी वर्णमाला में निम्नलिखित संयुक्त व्यंजन  हैं-
क्ष = क् + ष
त्र = त् + र
ज्ञ = ज् + ञ
इसके अलावा भी बहुत सारे संयुक्त व्यंजनों का प्रयोग होता रहा है, जैसे-
क्त = क् + त
द्य = द् + य
द्व = द् + व
श्व = श् + व
श्न = श् + न
ह्य = ह् + य
ह्म = ह् + म
ह्ल = ह् + ल
इसी प्रकार व्यंजनों के पहले और बाद में का योग करके भी संयुक्त व्यंजनों का निर्माण किया जाता है, जैसे-
व्यंजनों के पहले का योग
र्क = र् + क
र्ख = र् + ख
र्च = र् + च         आदि।
व्यंजनों के बाद में का योग
क्र = क् + र
ख्र = ख् + र
ग्र = ग् + र             आदि।
डॉ. हरदेव बाहरी (1965) द्वारा हिंदी : उद्भव और विकास में हिंदी में प्रयुक्त होने वाले संयुक्त व्यंजनों की वर्गीकृत सूची इस प्रकार से प्रस्तुत की गई है-


1 comment:

  1. संयुक्त व्यंजन के बारे में अपने काफी अच्छी जानकारी दी है. संयुक्त व्यंजन पर मैंने एक लेख पढ़ा है जो काफी सरल और विस्तृत तरीके से समझाया गया है. आपको इसे जरुर पढना चाहिए.

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