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Saturday, September 18, 2021

अग्रप्रस्तुति (Foregrounding)

 अग्रप्रस्तुति (Foregrounding)

 मुख्यतः यह शब्द फोटोग्राफी का है। फोटो लेने पर वह वस्तु जिसे विशेष फोकस करना हो, अग्रप्रस्तुत होती है। अग्रप्रस्तुति (Foregrounding) की अवधारणा पश्चप्रस्तुति (Back grounding) के सापेक्ष होती है। कोई भी वस्तु पश्चप्रस्तुति की तुलना में अग्रप्रस्तुत होती है। हिंदी में अग्रप्रस्तुति के लिए अनेक शब्द दिए गए हैं, जैसे- अग्रगामिता, अग्रस्थापना, अग्रप्रस्तुति और पेशबंदी आदि।

 कोई भी रचना या प्रसंग संप्रेषण के केंद्र में तब आ जाती है, जब उसमें अग्रगामिता या अग्रप्रस्तुति होती है। भाषा के संदर्भ में अग्रप्रस्तुति भाषा के मानक, सामान्य अथवा नियमित रूप (norm) से भिन्नता है। जब रचना या उसके किसी भाग में भाषा अपने सामान्य रूप से भिन्न होकर संप्रेषण के केंद्र में आ जाए’, तो इसे अग्रप्रस्तुति कहते हैं। अग्रप्रस्तुति के मुख्य रूप से दो अभिकरणों की बात की गई है- विचलन और समानांतरता।

(क) विचलन (Deviation)

 अग्रप्रस्तुति में प्रतिमान से विचलन किया जाता है। यह विचलन व्याकरणिक (व्याकरण के सामान्य नियमों से) होता है। यह विचलन सोदेश्य होता है। इसमें लेखक का उद्देश्य अपनी बात को अग्रप्रस्तुत करने का होता है।

 इस संदर्भ में व्याकरणिक त्रुटि और व्याकरणिक विचलन दो बातें हैं। व्याकरणिक त्रुटि नियमों की जानकारी के अभाव में होती है। साहित्यकार विचलन अपने उद्देश्य के अनुसार जानबूझकर करता है। किसी प्रयोग में त्रुटि और विचलन के निर्धारण के लिए हम यह देखते हैं कि जो प्रयोग है, क्या वह किसी विशेष प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए किया गया है या नहीं? इसे समझने के लिए साहित्य में विचलन के उदाहरण देखे जा सकते हैं।

उदाहरण-01

मुक्तिबोध के काव्य का शीर्षक चाँद का मुँह टेढ़ा है है। इसमेंचाँद का मुँहजो नहीं होता है, की असंगति है। इसी रूप में यहाँ अग्रप्रस्तुति की गई है। यहाँ पर चाँद का मानवीकरण किया गया है, जो सामान्य भाषा व्यवहार से हटकर या विचलित प्रयोग है।

 एक दूसरे संदर्भ में सामान्य धारणा है कि चाँद सुंदर है। यहाँ उससे भी विचलन है कि वह सुंदर नहीं है, बल्कि टेढ़ा है। अतः नई बात होने के कारण यह हमें आकर्षित करती है।

 भाषा के प्रति हमारी जड़ता का कारण यह है कि इसका प्रयोग करते-करते हम भाषा के प्रति संवेदनहीन हो जाते हैं। हम इतना प्रयोग करते हैं कि हमें अपनी बातचीत में भाषा का ध्यान ही नहीं आता। यह यंत्रीकरण (automatization) की प्रवृत्ति है। normal routine के कारण हम भाषा पर ध्यान नहीं देते, अग्रगामिता de-automatization करती है।

अतः अग्रप्रस्तुति भाषा के प्रति हमारी जड़ीभूत संवेदनाएँ को तोड़ने का उपक्रम है।

 उदाहरण 02

अपरिचय के विंध्याचल

 इसमें अपरिचय एक अमूर्त संज्ञा है, जबकि विंध्याचल मूर्त। विंध्य  संभवतः (According to archeologists) विश्व का सबसे पुराना पर्वत है और हिमालय सबसे नया। उससे अपरिचय की बात की जा रही है।

उदाहरण 03

 लक्ष्मीकांत वर्मा का उपन्यास है- खाली कुर्सी की आत्मा। इसमें भी हम देख सकते हैं। कि आत्मा जीवित प्राणियों की होती है, जबकि यहाँ लेखक खाली कुर्सी जो अचेतन वस्तु है’, की आत्मा की बात कर रहा है। अतः यह सामान्य भाषा के प्रयोग से विचलन है।

 विचलन का संबंध अनियमितता के साथ है। नियमित तो लगभग सभी हैं। इसमें जो अनियमित दिखाई पड़ता है, वही विचलन है।

कविता में दो चीजें होती है- व्याकरण का विचलन,  अर्थ का संघनन ।

 नोट-

·       सौंदर्य वही है, जो छण-छण नया होता है।

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