प्रकृति और प्रत्यय (Base and Suffix)
शब्द
दो प्रकार के होते हैं- मूल और निर्मित शब्द। वे सभी मूल शब्द जिनमें किसी भी
प्रकार (उपसर्ग, प्रत्यय योग, संधि, समास
द्विरुक्ति आदि) शब्द निर्माण की प्रक्रिया न की गई हो, प्रकृति
कहलाते हैं। आचार्यों द्वारा प्रकृति के दो प्रकार किए गए हैं- धातु और प्रातिपदिक। क्रियाओं के मूल रूप को
धातु कहते हैं तथा इसके अलावा अन्य प्रकार के शब्दों, जैसे-
संज्ञा, विशेषण, क्रियाविशेषण के मूल
रूप को प्रतिपदिक कहते हैं। इन सभी
को सामूहिक रूप से ‘प्रकृति’ के अंतर्गत रखा जाता है। अतः प्रकृति मूल
शब्दों का सामूहिक रूप से दिया गया नाम है। प्रकृति के रूप में आने वाला ‘शब्दमूल’ अर्थ को धारण करने वाली सबसे छोटी और
स्वतंत्र इकाई होती है, जो सभी प्रकार के उपसर्ग प्रत्यय आदि
से मुक्त होती है। अतः यह भी शब्द का एक प्रकार ही है, जो
स्वतंत्र रूप से अर्थ को धारण करता है, किंतु इसमें सभी
प्रकार के शब्द नहीं आते, बल्कि केवल मूल शब्द आते हैं।
प्रत्यय
वे शब्दांश हैं, जो स्वतंत्र इकाई के रूप में अर्थ को धारण करने की क्षमता तो नहीं रखते, किंतु उनके माध्यम से नए शब्दों या शब्दरूपों का निर्माण किया जाता है।
इसमें जब नए शब्दों को निर्माण किया जाता है तो इस प्रक्रिया को व्युत्पादन तथा जब
शब्दरूपों का निर्माण किया जाता है तो इस प्रक्रिया को रूपप्रसाधन कहते हैं। अतः
निर्मित शब्दों के संबंध में हम कह सकते हैं कि किसी भी निर्मित शब्द के दो
अर्थपूर्ण खंड किए जा सकते हैं- प्रकृति और प्रत्यय। प्रत्यय को यहाँ अंग्रेजी के Affix
के पर्याय के रूप में समझना चाहिए, जिसमें
उपसर्ग (Prefix), मध्य प्रत्यय (Infix)
और प्रत्यय (Suffix) तीनों आ जाते हैं।
उदाहरण-
उपकार
= उप + कार
मानवता
= मानव + ता
संक्षेप
में, प्रकृति और प्रत्यय में अंतर करते हुए हम कह सकते हैं कि 'प्रकृति' शब्द
का वह लघुतम भाग है जिसका अपना ‘कोशीय अर्थ’ (Lexical Meaning) होता है। आधुनिक भाषाविज्ञान की दृष्टि से इसे हम ‘मुक्त
रूपिम’ (Free Morpheme) के रूप में समझ सकते हैं । इसी
प्रकार प्रत्यय शब्द यहां पर ‘बद्ध रूपिम’ (Bound Morpheme) का
प्रतिनिधित्व करता है, जिसका स्वतंत्र अर्थ को धारण करने वाली इकाई के रूप में प्रयोग नहीं होता,
बल्कि अर्थपूर्ण शब्दों से ही नए शब्दों या शब्दरूपों का निर्माण
करने में प्रयोग होता है। हिंदी के संदर्भ में इसमें उपसर्ग और प्रत्यय दोनों आ
जाते हैं।
प्रकृति
के अंतर्गत आने वाले कुछ शब्द इस प्रकार से देखे जा सकते हैं-
गाय, आना, खाना, चल, तुम, कुत्ता, पर आदि।
प्रत्यय
के अंतर्गत उपसर्ग और प्रत्यय दोनों प्रकार के शब्दांश आते हैं, जैसे-
उपसर्ग
- अ, अन, कु, वि, उप ... आदि।
प्रत्यय
- इया, ई, करण, आवट, आहट आदि।
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