उपसर्ग द्वारा शब्द निर्माण और कारक
शब्द निर्माण में कारक देखने की बात सामन्यतः ‘समास’ के अंतर्गत
की जाती है, जैसा कि मुख्य रूप से ‘तत्पुरुष समास’ में
हम देखते हैं कि इसके कारक आधारित कुछ प्रकार भी किए जाते हैं, जैसे-
कर्म तत्पुरुष
करण तत्पुरुष
संप्रदान तत्पुरुष
अपादान तत्पुरुष
अधिकरण तत्पुरुष आदि
किंतु उपसर्ग /प्रत्यय योग से बनने वाले शब्दों में भी कारकीय
संबंधों की अभिव्यक्ति हो सकती है। ऐसा सामान्यतः निर्मित शब्द के स्वरूप की दृष्टि
से होता है। उदाहरण के लिए जब उपसर्ग किसी शब्द के साथ जुड़कर नए शब्द बनाते हैं
तो उनके अर्थ में कई प्रकार के कारक आधारित भेद भी देखे जा सकते हैं।
इन्हें समझने के लिए निम्नलिखित शब्दों के उदाहरण को देख
सकते हैं-
निःसंदेह: जिसमें कोई संदेह ना हो (अधिकरण)
निःसंतान :जिसे कोई संतान ना हो (कर्म)
निःसंबल : जिसका कोई संबल ना हो (षष्ठी-संबंधवाची)
निःसंग : जिसके साथ कोई ना हो (षष्ठी-संबंधवाची)
निस्सहाय : जिसकी सहायता करने वाला कोई ना हो (संप्रदान)
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