स्वन और स्वनिम (Phone and Phoneme)
हम अपने जीवन में किसी भी स्वन (भाषायी ध्वनि) का लाखों-करोड़ों बार प्रयोग करते हैं, किंतु प्रत्येक स्वन का केवल एक अमूर्त प्रतीक ही हमारे मन में रहता है। किसी भाषाई ध्वनि का व्यवहार में बार-बार प्रयोग ‘स्वन’ है, जबकि मन में निर्मित उसकी अमूर्त संकल्पना ‘स्वनिम’ है। इसे एक उदाहरण से इस प्रकार से देख सकते हैं-
इस चित्र में हम देख सकते हैं कि उदाहरण वाक्य में कुल 06 बार बार 'क' ध्वनि का प्रयोग हुआ है। अतः कुल 06 'क' स्वन हुए, जबकि सबके लिए मन में संकल्पनात्मक चित्र एक ही है, अतः स्वनिम एक बार ही माना जाएगा। उक्त वाक्य के स्वनिमों और स्वनों की संख्या को इस प्रकार से समझ सकते हैं-
स्वनिम स्वन
क 06
आ 04
म 01
र 01
ए 03
अ 04
ब 01
ल 01
अं 01
ग 01
नोट- स्वर और मात्रा एक साथ ही गिने जाते हैं, क्योंकि ये एक ही वर्ण के दो तरह से होने वाले लेखन हैं।
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