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Friday, December 1, 2023

स्थिति नियोजन (Status planning)

 स्थिति नियोजन (Status planning)- 

यह भाषा नियोजन का एक अंग है, जिसमें यह देखा जाता है कि बहुभाषी समाज में एक से अधिक भाषाओं की स्थिति का कैसे व्यवस्थापन किया जाए। 

जब किसी भाषायी समाज में एक से अधिक भाषाओं का व्यवहार होता है, तो यह निर्धारित करना कि किस भाषा का प्रयोग किस प्रयोजन के लिए होगा? स्थिति नियोजन के अंतर्गत आता है। इसमें हम केवल प्रयोजन का ही निर्धारण नहीं करते हैं, बल्कि उन भाषाओं के प्रयोग की स्थितियों का निर्धारण करते हैं। उदाहरण के लिए हिंदी भाषी समाज में हिंदी और अंग्रेजी के संदर्भ में स्थितियों का निर्धारण किया गया है। जैसे उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय की मूल भाषा अंग्रेजी होगी तथा आवश्यकतानुसार कहीं-कहीं हिंदी के प्रयोग की अनुमति है। यह विधि के क्षेत्र में इन भाषाओं की स्थिति का निर्धारण है।

इसी प्रकार किसी देश की राजभाषा का निर्धारण, राष्ट्रभाषा की स्थिति पर विचारकिसी भाषा की लिपि का निर्धारण/विकास आदि संबंधी कार्य भी इसके अंतर्गत आते हैं। हिंदी अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं की स्थिति के निर्धारण के संबंध में राजभाषा अधिनियम 1976 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों को निम्नलिखित लिंक पर 15.6.2 संपर्क भाषा शीर्षक के अंतर्गत देखा जा सकता है-

 हिंदी का अधुनिक विकास और संवैधानिक स्थिति

अर्जन नियोजन (Acquisition planning)

 अर्जन नियोजन (Acquisition planning)- 

यह भाषा नियोजन का एक अंग है, जिसमें यह देखा जाता है कि बहुभाषी समाज में बच्चों द्वारा सीखी जा रही भाषाओं का कैसे व्यवस्थापन किया जाए। 

मानव शिशु जन्म के पश्चात अपने परिवार और परिवेश में प्राप्त भाषा को सीखता है, जिसे उसकी मातृभाषा कहते हैं, किंतु जब उस समाज में एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग होता है या हो रहा होता है, तो ऐसी स्थिति में उसके प्राथमिक शिक्षण के दौरान कौन-सी भाषा का किस रूप में शिक्षण किया जाए तथा किस भाषा के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया संपन्न की जाए? आदि इसके अंतर्गत आते हैं।

 अतः इसमें प्रथम भाषा का शिक्षणद्वितीय भाषा का शिक्षणशिक्षण की माध्यम भाषा का निर्धारण आदि संबंधी बिंदु आते हैं। उदाहरण के लिए भारतीय समाज में अंग्रेजी का प्रभुत्व धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इस कारण अब माता-पिता प्रारंभ से ही बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में प्रवेश दिलाते हैं, किंतु विभिन्न शोधों द्वारा स्पष्ट हुआ है कि कोई भी बच्चा अपनी मातृभाषा में ही अपना सर्वोत्तम विकास कर सकता है।

 इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जारी की गई है, जिसमें बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही दिए जाने पर बल दिया गया है। यह भाषा अर्जन संबंधी नियोजन का एक उपयुक्त उदाहरण है ।

भाषा नियोजन के लक्ष्य

भाषा नियोजन के लक्ष्य

भाषा नियोजन के निम्नलिखित लक्ष्य हैं-

§  भाषा शुद्धि 

§  भाषा पुनरुद्धार के भीतर से विचलन

§  भाषा सुधार

§  भाषा एकीकरण

§  भाषा के बोलने वालों की संख्या बढ़ाने का प्रयास

§  शब्दकोशीय समृद्धि

§  शब्दावली एकीकरण

§  लेखन शैली सरलीकरण

§  अंतरभाषायी संप्रेषण

§  भाषा संरक्षण

§  सहायक-कोड विकास (मूक बधिरों आदि के लिए)

Thursday, November 30, 2023

व्युत्पादक और रूपसाधक रूपविज्ञान (Derivational and Inflectional Morphology)

व्युत्पादक और रूपसाधक रूपविज्ञान (Derivational and Inflectional Morphology)

रूपविज्ञान के दो प्रकार किए जाते हैं- व्युत्पादक रूपविज्ञान (Derivational Morphology) और रूपसाधक रूपविज्ञान (Inflectional Morphology)

व्युत्पादक रूपविज्ञान का कार्यशब्दों से नए शब्दों का सृजन करना है अर्थात इसमें शब्दों के साथउपसर्ग प्रत्यय या दूसरे शब्दआदि जोड़कर नए शब्द बनाए जाते हैं अतःउत्पादक रूप विज्ञान के अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के कार्य एवं इनसे संबंधित अध्ययन आते हैं-

§  उपसर्ग योग

§  प्रत्यय योग

§  संधि

§  समास

रूपसाधक रूपविज्ञान का संबंध शब्दरूपों (Word forms) के निर्माण से है। रूपविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत शब्द रूपों का निर्माण किया जाता है। रूपसाधक रूपविज्ञान कहलाती है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित बातें आती हैं-

§  संज्ञा शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph. Structur...

§  सर्वनाम शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph Structure...

§  क्रिया शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph. Structure...

§  विशेषण शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph. Structure...

§  अन्य शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph. Structure o...