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Saturday, April 1, 2023

विशेषण शब्दों की पद (रूप) संरचना (Morph. Structure of Adjectives)

 विशेषण शब्दों की पद (रूप) संरचना 

विशेषण शब्दों द्वारा अपने से संबंधित संज्ञा पदों की विशेषता बताई जाती है।  रचना के आधार पर विशेषण शब्दों के दो भेद  किए जाते हैं- मूल और व्युत्पन्न।

 इसी प्रकार अर्थ के आधार पर विशेषणों  के कुछ भेद इस प्रकार से किए जाते हैं-

 गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, सार्वनामिक आदि ।

संज्ञा के लिंग और वचन के अनुसार इनमें रूप परिवर्तन भी होता है जो हिंदी में विशेषण शब्दों की पद (रूप) संरचना का विवेच्य विषय है। यहां ध्यान रखने वाली बात है कि सभी विशेषण शब्दों के रूप नहीं बनते अतः रूप-संरचना की दृष्टि से इनके दो वर्ग किए जा सकते हैं- विकारी और अविकारी। 

विकारी विशेषणों के शब्दरूप बनते हैं जबकि अविकारी विशेषण सदैव  मूल रूप में प्रयुक्त होते हैं। विशेषण शब्दों के रूप रचना के संबंध में एक सामान्य नियम किस प्रकार से दिया जा सकता है-

नियम-01 : ‘आकारांत’ (आ से समाप्त होने वाले) विशेषणों केएकारांतऔरईकारांतरूप बनते हैं, जैसे-अच्छामें अंत मेंआया है तोअच्छेऔरअच्छीइसके दो रूप बनेंगे। विशेषणों में यह विकारलिंगऔरवचनके आधार पर होता है। 

रूप निर्माण की प्रक्रिया को एक टेबल के माध्यम से निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं-

लिंग

वचन

पुल्लिंग (Masculine)

स्त्रिलिंग (Feminine)

एकवचन (Singular)

अच्छा

अच्छी

बहुवचन (Plural)

अच्छे

अच्छी

उदाहरण

Ø  अच्छा लड़का  मीठे आम खा  रहा है।

Ø  अच्छे लड़के  मीठे आम खा रहे हैं।

Ø  अच्छी लड़की  मीठे आम खा रही है।

Ø  अच्छी लड़कियाँ  मीठे आम खा रही हैं।

इसी प्रकार एक दूसरा नियम भी दे सकते हैं-

नियम-02 : ‘वाँअंतिम अक्षर वाले विशेषणों में भी संबंधित संज्ञा के लिंग और वचन के अनुसार परिवर्तन होता है। यह स्थितिसंख्यावाची शब्द + वाँमें स्पष्ट दिखाई पड़ती है, जैसे-

Ø  रमेश का यहाँ सातवाँ स्थान है।

Ø  मोहन सातवीं कक्षा में पढ़ता है।

Ø  वह लड़का सातवें स्थान पर आया।

अपवाद : आकारांत विशेषणों में वे विशेषण जिनका अंत 'या' से होता हो उनके रूप नहीं बनते। उदाहरण के लिघटियाशब्द का सदैव इसी रूप में प्रयोग होता है जैसे-

घटिया आदमी’ (एकवचन, पुल्लिंग), घटिया लोग (बहुवचन, पुल्लिंग), घटिया औरत (एकवचन, स्त्रीलिंग), घटिया औरतें (बहुवचन, स्त्रीलिंग) 

इनमें हम देख सकते हैं कि किसी भी रूप में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। 

भोलानाथ तिवारी (2004) द्वाराहिंदी की भाषा संरचनामें निम्नलिखित पाँच प्रकार के आकारांत अविकारी विशेषण शब्दों की चर्चा की गई है-

(1) यांत सीकिया, टुटपूँजिया, पुरबिया, रसिया, घटिया, बढ़िया, लफाड़िया, झंझटिया, कानपुरिया, बंबइया, ननिया, ममिया,चचिया आदि।

(2) वांत महकौवा, जुड़वाँ, सवा, भगवा, ढलुआ, ढलवाँ, उठौआ, गेरुआ आदि।

(3) संस्कृत तत्सम महा, हर्ता, कर्ता (-धर्ता)।

(4) फ़ारसी- अरबी शब्द जिनमें मूलत: अंत मेंन होकरअ:था तथा वह हिंदी में आकरहो गया : खुलासा, सोफ़ियाना, सालाना, शायराना, आवारा, संजिंदा, मौजूदा, शर्तिया, शौकिया, दुतरफ़ा, एकतरफ़ा, नाकारा, लापता, बचकाना, माहाना ... आदि।ताज़ाभी इसी वर्ग में है। इसमें भी परिवर्तन नहीं होता है (ताज़ा फल, ताज़ा सब्जी, ताज़ा ख़बर) किंतु कुछ लोग ताज़ा-ताज़ी-ताज़े बोलते हैं, जो मानक नहीं है।

(5) अन्य :

(i) तद्भव आगबाबूला, चौकन्ना, छुट्टा, पोंगा, इकट्ठा।

(ii) विदेशी तनहा, आला।

इसी प्रकार कुछ विशेषणों केओंकारांतरूप भी बनते हैं, जब वे वाक्य मेंसंज्ञाके रूप में प्रयुक्त होते हैं, जैसे-बूढ़ाके चार रूप बनेंगे- बूढ़ा, बूढ़ी, बूढ़े, बूढ़ों। ऐसे विशेषणों को अलग से चिह्नित किया जाता है।

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