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Saturday, April 1, 2023

संरचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

 संरचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार 

 संरचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार के अंतर्गत हम यह देखते हैं कि हिंदी में किन-किन रूपों में वाक्य निर्मित या अभिव्यक्त होते हैं। इस दृष्टि से वाक्य के दो प्रकार किए जा सकते हैं-

सरल वाक्य

असरल वाक्य

इनमें सरल वाक्य के दो उपभेद किए जाते हैं-

मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य

 सरल वाक्य के अलावा असरल वाक्य के दोनों उपभेदों को मिला दिया जाए तो वाक्य के कुल 03 प्रकार हो जाते हैं, जिन्हें इस प्रकार से समझ सकते हैं-

(क) सरल वाक्य : ऐसे वाक्य जिनमें केवल एक समापिका क्रिया होती है, सरल वाक्य कहलाते हैं। संप्रेषण के स्तर पर ऐसे वाक्यों में केवल एक उद्देश्य और एक विधेय होते हैं, जैसे-

·       रमेश चुपचाप अपना काम कर रहा है।

·        आज मेरे घर क्या बना है?

·        सीता एक अच्छी लड़की है।

उपर्युक्त वाक्यों में एक-एक कार्यों के बारे में सूचना मिल रही है। अतः ये सरल वाक्य हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात है कि सरल वाक्य की लंबाई कितनी भी हो सकती है। अर्थात इनमें पदबंधों की संख्या निश्चित नहीं है, किंतु अंततः उनके योग से केवल एक ही काम के संपन्न होने की सूचना प्राप्त होती है।

(ख) मिश्र वाक्य : यह एक प्रकार का असरल वाक्य है, जिसका निर्माण एक से अधिक उपवाक्यों के योग से होता है। उन उपवाक्यों की व्यवस्था का विश्लेषण किया जाए तो मिश्र वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य होता है और एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं। इन्हें सूत्र रूप में इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं-

 मिश्र वाक्य  = मुख्य उपवाक्य  + आश्रित उपवाक्य 

उदाहरण-

·    मैंने कहा कि आज तुम्हारा काम हो जाएगा।

·     वह आदमी गांव गया है जो बहुत झगड़ालू है।

मिश्र वाक्यों की रचना मुख्य उपवाक्य के साथ संज्ञा, विशेषण और क्रियाविशेषण सभी प्रकार के उपवाक्यों के योग से होती है। इनकी रचना में उपवाक्यों के बीच व्यधिकरण समुच्चयबोधकों (Subordinating conjunctions), जैसे- कि, जो, जो...कि, जिस, क्योंकि, इसलिए आदि का प्रयोग किया जाता है।

(ग) संयुक्त वाक्य : यह भी एक प्रकार का असरल वाक्य है, जिसका निर्माण एक से अधिक उपवाक्यों के योग से होता है।  संयुक्त वाक्य में एक से अधिक मुख्य उपवाक्यों का प्रयोग होता है तथा वे आपस में समानाधिकरण समुच्चयबोधकों (Coordinating conjunctions) के माध्यम से जुड़े होते हैं। संयुक्त वाक्य की संरचना को सूत्र रूप में इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं-

 संयुक्त वाक्य = मुख्य उपवाक्य +  मुख्य उपवाक्य 

 उदाहरण-

·       आज वह परीक्षा देगा और पास हो जाएगा।

·        तुम बाजार जाओगे या घर में ही पड़े रहोगे।

इनकी रचना में मुख्य उपवाक्यों के बीच समानाधिकरण समुच्चयबोधकों (Coordinating conjunctions), जैसे- और, तथा, एवं, या, अथावा, अतः क्योंकि, इसलिए आदि का प्रयोग किया जाता है।

सरल वाक्य के इन दोनों भेदों के संयोजन से निम्नलिखित और दो उपभेद भी किए जा सकते हैं-

 संयुक्त मिश्र वाक्य

 मिश्र संयुक्त वाक्य 

...............................

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार 

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार करते हुए हम यह देखते हैं कि वाक्य द्वारा किस प्रकार की सूचना अभिव्यक्त की जा रही है। अतः अर्थ की दृष्टि से भी वाक्य के मुख्यतः तीन भेद किए जाते हैं-

(क) कथनात्मक वाक्य : ऐसे वाक्य जिनमें किसी व्यक्ति, वस्तु आदि के बारे में कोई कथन उद्धृत किया जाता है या कोई बात कही जाती है, कथनात्मक वाक्य कहलाते हैं। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के सरल और सूचनात्मक वाक्य  आते हैं।

  उदाहरण-

·        अब मेरा काम हो गया है।

·        तुम बाजार नहीं जाते हो।

 क्या आज सभी लोग विद्यालय जाएंगे?

 यहां पर ध्यान रखने वाली बात है कि वाक्यों का नकारात्मक, प्रश्नवाचक आदि होना अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इनका निर्धारण वाक्य रूपांतरण के माध्यम से किया जाता है  जिसके बारे में निम्नलिखित लिंक पर पढ़ सकते हैं-

वाक्य रूपांतरण (Sentence Transformation)

(ख) आपनिपरक/आज्ञार्थक (Imperative) वाक्य : वे वाक्य जिनमें वक्ता का उद्देश्य श्रोता को निर्देशित या प्रभावित करना होता है, आज्ञार्थक वाक्य कहलाते हैं। इनमें तीन प्रकार की चीजें पाई जाती हैं- आज्ञा, परामर्श और निवेदन। इन तीनों के योग से ही मैंने 'आपनिपरक' (आ+प+नि)  नामक नया शब्द बनाया है, जिससे शब्द से ही हमें वाक्य के भेद की परिभाषा पता चल जाती है।

उदाहरण-

 आज्ञा-

·       तुम  जल्दी-जल्दी अपना काम करो।

·        चलो जल्दी से बैठ जाओ ।

 परामर्श-

·        आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।

·         बहुत देर हो गई, अब हमें चलना चाहिए ।

  निवेदन-

·        कृपया पहले मेरा काम कर दीजिए।

·         हमें यहां बैठने की अनुमति दीजिए ।

(ग) मनोभावात्मक वाक्य : ऐसे वाक्य जिनमें वक्ता अपने मनोभावों या संवेगों को व्यक्त करता है, मनोभावात्मक वाक्य कहलाते हैं। इनमें वक्ता अपनी स्वयं की बात को व्यक्त करना चाहता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के मनोभावों को व्यक्त करने वाले वाक्य आते हैं-

इच्छा

 आशीर्वाद

 शोक

 हर्ष

विस्मय                      आदि 

 उदाहरण- 

·       जुग जुग जियो।

·        वाह ,आज हमारी टीम जीत गई।

·       ओह!  यह तो बहुत बुरा हुआ।

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