संरचना की दृष्टि से पदबंध के प्रकार
संरचना की दृष्टि से
पदबंध के दो वर्ग किए गए हैं- अंतःकेंद्रिक और
बाह्य केंद्रिक। इन्हें समझने के लिए हमें सबसे पहले पदबंध में शीर्ष की अवधारणा
को समझना होगा-
पदबंध में शीर्ष
(Head)
किसी भी पदबंध
में वह पद शीर्ष पद कहलाता है, जो अकेले संपूर्ण पदबंध के
रूप में कार्य करने की क्षमता रखता है, जैसे-
मोटा आदमी
मीठे फल
खा
रहा है
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
इस वाक्य में 'मोटा आदमी और मीठे फल' इन दो पदबंधों में प्रत्येक
दूसरा शब्द शीर्ष का काम कर रहा है। अतः इसे हम निम्न प्रकार से लिख सकते हैं-
आदमी फल खा रहा
है।
अतः यहां पर 'आदमी' और 'फल' अपने-अपने पदबंध के शीर्ष पद कहलाएंगे।
अब आगे संरचना की
दृष्टि से पदबंध के प्रकारों को देखते हैं।
(1) अंतःकेंद्रिक
पदबंध
वे पदबंध जिनका शीर्ष (या
केंद्र) पदबंध में उपस्थित होता है , अंतःकेंद्रिक
पदबंध कहलाते हैं। उदाहरण -
मोटा आदमी
मीठे फल
खा
रहा है
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
इस वाक्य में
‘मोटा आदमी’ में ‘आदमी’
तथा ‘मीठे फल’ में
‘फल’ शब्द शीर्ष हैं। क्योंकि संपूर्ण पदबंध
की जगह केवल इनका प्रयोग करके भी सार्थक वाक्य निर्मित किया जा सकता है-
आदमी फल खा रहा है।
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
अंतःकेंद्रिक पदबंध के तीन
प्रकार हैं-
(क) सविशेषक (Attributive)
पदबंध : वे पदबंध जिनमें एक शीर्ष
पद होता है और अन्य पद उस पर आश्रित होते हैं, सविशेषक
पदबंध कहलाता है। हिंदी में परसर्ग रहित संज्ञा पदबंध सविशेषक पदबंध होते हैं,
जिनमें मुख्य पद ‘संज्ञा’ होता है, और विशेषण या अन्य शब्द वर्गों के शब्द उस
पर आश्रित होते हैं, जैसे-
आश्रित
शीर्ष
मोटा
आदमी
घरेलू
सामान
यह घरेलू और नया
सामान
इसी प्रकार विशेषण पदबंध
में
‘विशेषण’ शीर्ष होता है और अन्य प्रविशेषण आदि
पद उस पर आश्रित होते हैं, जैसे-
आश्रित
शीर्ष
बहुत
मोटा
बहुत अधिक
मोटा
(ख) समवर्गीय (Appositional)
पदबंध : समवर्गीय पदबंध वे पदबंध
होते हैं,
जिनमें एक से अधिक शीर्ष पद होते हैं और दोनों में से कोई भी एक पद
संपूर्ण पदबंध का कार्य करने की क्षमता रखता है। उदाहरण:
‘लड़का और लड़की’,
‘मेज और कुर्सी’, ‘कुत्ता और बिल्ली’ आदि।
इन पदबंधों में दोनों
शीर्षों के बीच ‘और, या’ आदि संयोजक रहते हैं।
(ग) समानाधिकरण (Coordinative)
पदबंध : समानाधिकरण पदबंधों की
रचना ऐसे दो पदबंधों के योग से होती है जो बाह्य संसार में एक ही इकाई को व्यक्त
करते हैं अतः उन दोनों में से किसी एक का प्रयोग करने पर भी पूरे पदबंध का अर्थ आ
जाता है। उदाहरण :
प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी आज भाषण देंगे।
इस वाक्य में 'प्रधानमंत्री और नरेंद्र मोदी' दोनों वास्तविक संसार
में एक ही इकाई या व्यक्ति को अभिव्यक्त कर रहे हैं अतः इन में से किसी भी एक का
प्रयोग करके बनाया हुआ वाक्य वहीं सूचना देगा जैसे-
प्रधानमंत्री आज
भाषण देंगे
नरेंद्र मोदी आज
भाषण देंगे
अतः 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी' शब्दों के योग से बनने
वाला पदबंध समानाधिकरण पदबंध कहलाएगा।
(2) बाह्यकेंद्रिक
पदबंध
ऐसे पदबंध जिनके
अंदर आया हुआ कोई भी पद सिर्फ पद नहीं होता, बाह्यकेंद्रिक
पदबंध कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऐसे पदबंध जिनमें से कोई भी पद
दूसरे पद के बिना अकेले संपूर्ण पदबंध की तरह प्रयुक्त होने की क्षमता नहीं रखता,
बाह्यकेंद्रिक पदबंध कहलाते हैं। इनके दो प्रकार होते हैं-
(क) अक्ष-संबंधक (Axis
relater) पदबंध : ऐसे
पदबंध जिनमें एक घटक अक्ष या केंद्र होता है और दूसरा घटक उसे वाक्य के दूसरे
अंगों से जोड़ता है, अक्ष-संबंधक पदबंध कहलाते
हैं। इन पदबंधों में दूसरा पद संबंध-तत्व होता है, जिसका काम
केंद्रीय घटक (अक्ष) को दूसरे वाक्य के दूसरे तत्वों से जोड़ना होता है, जैसे-
· सीता ने मोहन से बात की।
इस वाक्य में
‘सीता ने, मोहन से’ दो
संज्ञा पदबंध ऐसे हैं, जिनमें संज्ञा शब्द के बाद परसर्ग का
प्रयोग हुआ है। इनमें से यदि परसर्ग को हटा दिया जाए, तो इसी
प्रकार के सार्थक वाक्य की रचना नहीं हो सकती, जैसे-
सीता मोहन बात
की।
अतः यह पदबंध
अक्ष-संबंधक के अंतर्गत आएंगे।
(ख) गुंफित (Closed-knit)
पदबंध : ऐसे पदबंध जिनमें सभी घटक
पद एक ही पदबंध का कार्य कर रहे होते हैं, गुंफित
पदबंध कहलाते हैं। ऐसे पदबंधों के पदों के बीच न तो हम कोई शीर्ष और अन्य जैसा
संबंध पाते हैं, और ना ही अक्ष-संबंधक जैसा कोई संबंध पाते
हैं। हिंदी के क्रिया पदबंध को इस श्रेणी में रखा जाता है, जैसे-
सुरेश आज फिल्म देखेगा
इस वाक्य में 'देखेगा' शब्द में ही संपूर्ण क्रिया पदबंध आ गया है,
जिसमें मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया की सूचनाएं निहित हैं। अतः यह
एक गुंफित पदबंध है।
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