वाक्य के अंग (घटक)
वाक्य का मूल प्रकार्य किसी वस्तु या इकाई आदि के बारे में कोई सूचना प्रदान करना है। अतः इस दृष्टि से विचार किया जाए तो वाक्य के मूलतः दो भाग किए जा सकते हैं। इन भागों को ही हम वाक्य के अंग या घटक कहते हैं, जो इस प्रकार हैं-
(क) उद्देश्य (Subject) : वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।संप्रेषण की दृष्टि से विचार किया जाए तो वाक्य के किस अंग के बारे में वक्ता को पहले से ज्ञान होता है। उदाहरण-
· वह बच्ची खेल रही है।
· तुम बहुत पढ़ाई करते हो।
इन वाक्यों में ‘वह बच्ची’ और ‘तुम’ उद्देश्य हैं। वाक्य के शेष भाग द्वारा इन्हीं के बारे में सूचना दी जा रही है।
(ख) विधेय (Predicate) : वाक्य का वह भाग जिसके माध्यम से उद्देश्य के बारे में कोई सूचना प्रदान की जाती है, विधेय कहलाता है। विधेय के माध्यम से ही श्रोता को वाक्य द्वारा अभिप्रेत सूचना प्राप्त होती है। उदाहरण-
· वह बच्ची खेल रही है।
· तुम बहुत पढ़ाई करते हो।
इन वाक्यों में ‘खेल रही है’ और ‘बहुत पढ़ाई करते हो’ विधेय हैं, क्योंकि वाक्य में इन्हीं के माध्यम से उद्देश्य के बारे में सूचना दी जा रही है।
आधुनिक भाषाविज्ञान में ‘उद्देश्य’ को ‘टॉपिक’ और ‘विधेय’ को ‘कमेंट’ भी कहा गया है।
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