पुनरुक्ति
एक ही शब्द का एक से अधिक बार (सामान्यतः
दो बार) प्रयोग करके उससे दूसरे प्रकार का शब्द बनाना पुनरुक्ति कहलाता है, जैसे -
वह घर-घर गया। (घर-घर)
जो भी अच्छा-बुरा होगा, देखा जाएगा। (अच्छा-बुरा)
पुनरुक्ति के दो प्रकार किए
जाते हैं-
(क) पूर्ण पुनरुक्ति :
जब पूरा शब्द दो बार प्रयुक्त होता है तो
उसे पूर्ण पुनरुक्ति कहते हैं, जैसे- घर-घर, बार-बार, थोड़ा-थोड़ा, देखते-देखते आदि।
पूर्ण पुनरुक्ति का एक प्रकार समान अर्थ
रखने वाले सार्थक शब्दों का प्रयोग करके पुनरुक्त शब्द बनाना भी है, जैसे- घर-बार, साथ-संगत, बाग-बगीचा आदि।
इसका दूसरा प्रकार विलोम शब्दों का प्रयोग
करके पुनरुक्त शब्द बनाना है, जैसे- दिन-रात, इधर-उधर, ऊपर-नीचे आदि।
(नोट- जब किसी शब्द की पूर्ण पुनरुक्ति
होती है तो दोनों के बीच में डैश का प्रयोग किया जाता है।)
(ख) आंशिक पुनरुक्ति :
जब पहला शब्द सार्थक होता है और दूसरा शब्द
उसी शब्द की पहली ध्वनि के स्थान पर 'व' या 'स' आदि का
प्रयोग करते हुए निर्मित निरर्थक शब्द होता है, तो ऐसी
पुनरुक्ति को आंशिक पुनरुक्ति कहते हैं, जैसे- चाय-वाय, घर-वर, कमरा-समरा, चाय-साय
आदि।
पुनरुक्त शब्दों के अंतर्गत प्रतिध्वन्यात्मक शब्द (Onomatopoeic words)
भी
आते हैं,
जिनकी परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-
बाह्य संसार में होने वाली ध्वनियों का
अनुकरण करते हुए निर्मित किए जाने वाले शब्द प्रतिध्वन्यात्मक शब्द (Onomatopoeic words)
कहलाते
हैं। उदाहरण :
हिंदी :
धाँय, भौं-भौं, ठक-ठक, चट-चट, म्याऊँ-म्याऊँ,
सी-सी, पों-पों आदि।
अंग्रेजी :
Boom, Buzz, Clang, Click, Fizz, Hiccup/Hiccough. आदि।
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