वाक्य क्या है?
किसी भी भाषा की आधारभूत
संप्रेषणात्मक इकाई वाक्य है। अर्थात वाक्य वह इकाई है जिसके माध्यम से हम अपने
विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इसी बात को भारतीय परंपरा में कहा गया है -
वाक्य वह इकाई है जो
पूर्ण अर्थ की प्रतीति कराती है।
संरचना की दृष्टि
से बात की जाए तो वाक्य मुख्यतः दो प्रकार के पदबंध का योग होता है- संज्ञा पदबंध
तथा क्रिया पदबंध। किसी भी पूर्ण वाक्य की रचना के लिए
कम-सेकम एक संज्ञा पदबंध और क्रिया पदबंध का होना आवश्यक है। अतः संरचना की दृष्टि
से वाक्य को सूत्र के रूप में इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं-
वाक्य = संज्ञा पदबंध +
क्रिया पदबंध
वैसे वाक्य के घटकों के
स्वरूप की दृष्टि से विचार करें तो वाक्य में ‘क्रिया
पदबंध’ मूल घटक होता है और उससे ‘संबंधित
अन्य पदबंध’ आकर उसे वाक्य का स्वरूप प्रदान करते हैं। ये
दूसरे पदबंध सामान्यतः संज्ञा पदबंध होते हैं। इनके अलावा कुछ क्रियाविशेषण पदबंध,
अव्यय पदबंध या पूरक पदबंध आदि भी आते हैं। इसे केंद्र में रखते हुए
वाक्य को सूत्र रूप में इस प्रकार से दिखा सकते हैं-
वाक्य = क्रिया पदबंध +
अन्य संबंधित पदबंध (कर्ता, कर्म,
संप्रदान आदि)
स्थान की दृष्टि से विचार
किया जाए तो विभिन्न भाषाओं में वाक्य के अंतर्गत इन पदबंधों का स्थान अलग-अलग हो
सकता है। उदाहरण के लिए हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में क्रिया पदबंध वाक्य के
अंत में आते हैं, जबकि अंग्रेजी और इस
प्रकार की भाषाओं में वाक्य के बीच में।
उदाहरण-
§ मोहन आम खाता
है। Mohan eats
mango.
§ रमेश मेरा काम
नहीं करेगा। Ramesh
will not do my work.
§ तुम खेलो।
(You), Play.
इस प्रकार स्पष्ट है कि
हिंदी भाषा की संरचना के अंतर्गत वाक्य संरचना की बात करनी हो तो हमें यह देखना
होगा कि एक वाक्य में किस प्रकार के तथा कौन-से पदबंधों का योग होता है। वाक्य के
बारे में और विस्तार से निम्नलिखित लिंक पर पढ़ें-
...............................
वाक्य के अंग (घटक)
वाक्य का मूल प्रकार्य
किसी वस्तु या इकाई आदि के बारे में कोई सूचना प्रदान करना है। अतः इस दृष्टि से
विचार किया जाए तो वाक्य के मूलतः दो भाग किए जा सकते हैं। इन भागों को ही हम
वाक्य के अंग या घटक कहते हैं, जो इस प्रकार हैं-
(क) उद्देश्य (Subject)
: वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।संप्रेषण की दृष्टि से विचार किया जाए तो वाक्य के
किस अंग के बारे में वक्ता को पहले से ज्ञान होता है। उदाहरण-
· वह बच्ची खेल रही है।
· तुम बहुत पढ़ाई करते हो।
इन वाक्यों में
‘वह बच्ची’ और ‘तुम’
उद्देश्य हैं। वाक्य के शेष भाग द्वारा इन्हीं के बारे में सूचना दी
जा रही है।
(ख) विधेय (Predicate)
: वाक्य का वह भाग जिसके माध्यम से उद्देश्य के बारे में कोई
सूचना प्रदान की जाती है, विधेय कहलाता है। विधेय के माध्यम से ही श्रोता को वाक्य द्वारा अभिप्रेत सूचना प्राप्त
होती है। उदाहरण-
· वह बच्ची खेल रही है।
· तुम बहुत पढ़ाई करते हो।
इन वाक्यों में
‘खेल रही है’ और ‘बहुत
पढ़ाई करते हो’ विधेय हैं, क्योंकि
वाक्य में इन्हीं के माध्यम से उद्देश्य के बारे में सूचना दी जा रही है।
आधुनिक भाषाविज्ञान में
‘उद्देश्य’ को ‘टॉपिक’
और ‘विधेय’ को ‘कमेंट’ भी कहा गया है।
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