पदबंध : परिभाषा
एवं स्वरूप
पदबंध वाक्य रचना की
आधारभूत इकाई है। अर्थात पदबंधों के परस्पर योग से वाक्यों का निर्माण होता है।
पदबंध की एक सरल परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-
"एक पद या एक से
अधिक पदों का समूह जो वाक्य में किसी एक ही प्रकार्य को संपन्न करता हो, पदबंध है।"
डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय
के अनुसार, “पद या पदों का विस्तार पदबंध है।”
इस प्रकार स्पष्ट है कि
एक अकेला पद भी एक पदबंध का काम कर सकता है और एक से अधिक पद भी एक ही पदबंध का
कार्य कर सकते हैं।
शब्दों या पदों की संख्या
की दृष्टि से पदबंध के प्रकार
ऊपर परिभाषा में बताया जा
चुका है कि एक या एक से अधिक पदों का योग पदबंध होता है। अतः शब्दों या पदों की
संख्या की दृष्टि से पदबंध के दो प्रकार किए जा सकते हैं-
(क) एकपदीय पदबंध
इसके अंतर्गत वे
पदबंध आते हैं, जो केवल एक ही शब्द से निर्मित होते हैं,
जैसे-
लड़का आम खाएगा।
इस वाक्य में 'लड़का, आम और खाएगा' तीनों
शब्द या पद अपने आप में एक-एक पदबंध का काम कर रहे हैं, जिन्हें
हम इस प्रकार से दर्शा सकते हैं-
लड़का
आम
खाएगा
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
(ख) बहुपदीय
पदबंध
इसके अंतर्गत वे
पदबंध आते हैं, जिनका निर्माण एक से अधिक शब्दों या पदों से
होता है, जैसे-
वह लड़का
मीठे
आम खाता है।
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
वह बड़ा लड़का
बहुत मीठे आम
खा रहा है।
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
उपर्युक्त वाक्यों में हम
देख सकते हैं कि पहले वाक्य 'वह लड़का मीठे आम खाता
है' में दो-दो शब्दों या पदों के युग्म में एक-एक पदबंध का
काम कर रहे हैं, तो दूसरे वाक्य 'वह
बड़ा लड़का बहुत मीठे आम खा रहा है' में तीन-तीन शब्दों के
समूह मिलकर एक ही पदबंध का काम कर रहे हैं।
इस प्रकार पदबंध की
स्थिति को चित्र रूप में निम्नलिखित प्रकार से दर्शा सकते हैं-
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