संज्ञा शब्दों की पद (रूप) संरचना
संज्ञा वह
शब्दवर्ग या शब्दभेद है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति,
वस्तु, स्थान आदि के नामों को अभिव्यक्त करने
वाले शब्द आते हैं। सामान्यतः संज्ञा के तीन भेद किए जाते हैं- व्यक्तिवाचक,
जातिवाचक और भाववाचक। संज्ञा के स्वरूप
और इन भेदों को समझना इसकी आर्थी संरचना से संबंधित बात है।
रूप-संरचना की दृष्टि से
देखा जाए तो संज्ञा एक विकारी शब्दभेद है। अर्थात व्याकरण के स्तर पर संज्ञा
शब्दों में रूप परिवर्तन होता है। अतः संज्ञा शब्दों के रूपसाधन के नियम दिए जा
सकते हैं। भाषा संरचना की दृष्टि से हम कह सकते हैं कि संज्ञा शब्दों की पद संरचना
या रूप संरचना होती है।
संज्ञा के उपर्युक्त
तीनों
के संदर्भ में रूप संरचना संबंधी स्थिति को इस प्रकार से समझ सकते
हैं-
व्यक्तिवाचक
संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ
किसी का नाम होती हैं। इस कारण व्यक्तिवाचक
नामों को अभिव्यक्त करने वाले शब्दों पर किसी भी
व्याकरणिक कोटि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अतः
व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के शब्द रूप नहीं बनते इसलिए इनकी रूप संरचना या पद संरचना
की बात नहीं की जाती।
जातिवाचक और भाववाचक
संज्ञा
जातिवाचक और भाववाचक
संज्ञाओं के अंतर्गत आने वाले शब्दों में विकार होता है अर्थात इनके
शब्दरूप बनते हैं। अतः इन दोनों ही
प्रकारों के अंतर्गत आने वाले संज्ञा शब्दों की रूप-संरचना देखी जा सकती है। यहां
ध्यान रखने वाली बात है कि सभी जातिवाचक और भाववाचक संज्ञा शब्दों के भी रूप नहीं
बनते। अतः इस प्रकार के शब्दों के भी दो भेद किए जा सकते हैं - विकारी और अविकारी।
इस प्रकार रूप संरचना की
दृष्टि से संज्ञा शब्दों के दो भेद किए जा सकते हैं- विकारी और अविकारी संज्ञाएँ।
विकारी संज्ञाओं
से तात्पर्य उन शब्दों से जिनके रूप में परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन किसी ना
किसी व्याकरणिक कोटि के आधार पर होता है। इस दृष्टि से हिंदी संख्याओं को देखा जाए
तो इनमें रूपसाधन मुख्यत: वचन और उनकी परसर्गीय स्थिति के आधार पर
होता है। अतः इनके आधार पर रूपनिर्माण की प्रक्रिया को समझते हैं -
हम जानते हैं कि वचन के
दो भेद होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
परसर्गीय स्थिति के आधार
पर संज्ञा शब्दों के दो रूप किए जा सकते हैं- प्रत्यक्ष रूप और तिर्यक रूप।
‘प्रत्यक्ष रूप’ (Direct form) का अर्थ है-
शब्द का वह रूप जिसके बाद परसर्ग न आया हो, तथा ‘तिर्यक/परसर्गीय रूप’ (Oblique form) का अर्थ है-
शब्द का वह रूप जिसके बाद परसर्ग आया हो।
अब इन चारों को एक-दूसरे
के साथ मिला देने पर चार रूप हो जाते हैं-
एकवचन प्रत्यक्ष
एकवचन तिर्यक
बहुवचन प्रत्यक्ष
और
बहुवचन तिर्यक।
जब किसी शब्द का रूप बनता
है तो उसमें इनमें से संबंधित कोई एक सूचना युग्म आ जाता है। उदाहरण के लिए
निम्नलिखित वाक्यों को देखें –
·
वह लड़का घर जा रहा है।
·
उस लड़के को बुलाओ।
·
यहाँ लड़के खेल रहे हैं।
·
यहाँ लड़कों को खेलने दो।
इन वाक्यों में कोशीय
शब्द
‘लड़का’ के चार रूपों– ‘लड़का,
लड़के, लड़के और लड़कों’ का
प्रयोग किया गया है। वाक्य ‘2’ और ‘3’ में
प्रयुक्त ‘लड़के’ शब्द भले ही दिखने की
दृष्टि से एक ही हैं, किंतु इनका प्रयोग अलग-अलग व्याकरणिक
सूचनाओं के लिए हुआ है। इन चारों शब्दों द्वारा व्यक्त व्याकरणिक सूचनाएँ इस
प्रकार हैं–
लड़का : एकवचन प्रत्यक्ष
लड़के : एकवचन परसर्गीय
लड़के : बहुवचन प्रत्यक्ष
लड़कों : बहुवचन परसर्गीय
इसे एक टेबल के रूप में
निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है-
वचन |
कारक (तिर्यकता) |
|
प्रत्यक्ष |
तिर्यक |
|
एकवचन |
लड़का |
लड़के |
बहुवचन |
लड़के |
लड़कों |
इस टेबल को उस शब्द का
शब्दरूप टेबल (Word form table-WFT) कहते हैं।
नोट- लड़के शब्द
‘एकवचन परसर्गीय’ है या ‘बहुवचन प्रत्यक्ष’ का निर्धारण उसके आगे आए हुए
परसर्ग से होता है। यदि शब्द के बाद परसर्ग आया हो तो वह एकवचन होगा (वाक्य–
2) और यदि नहीं आया हो तो बहुवचन (वाक्य– 3)।
सभी विकारी संज्ञा शब्दों
के जो रूप निर्मित होते हैं, उनके टेबल इसी प्रकार
से बनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए हमें हर लड़की शब्द का शब्द रूप टेबल भी देख
सकते हैं-
वचन |
कारक (तिर्यकता) |
|
प्रत्यक्ष |
तिर्यक |
|
एकवचन |
लड़की |
लड़की |
बहुवचन |
लड़कियाँ |
लड़कियों |
किसी संज्ञा शब्द के
कौन-कौन से शब्दरूप निर्मित होंगे यह उस शब्द के लिंग,
अंतिम वर्ण, शब्द के वाक्यात्मक व्यवहार और
प्रत्यय जुड़ने की स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए ऊकारांत, पुल्लिंग शब्दों का शब्द रूप टेबल इस प्रकार से निर्मित होगा -
वचन |
कारक (तिर्यकता) |
|
प्रत्यक्ष |
तिर्यक |
|
एकवचन |
साधू |
साधू |
बहुवचन |
साधू |
साधुओं |
इसी प्रकार आकारांत,
स्त्रीलिंग शब्दों का शब्द रूप टेबल इस प्रकार से निर्मित होगा -
वचन |
कारक (तिर्यकता) |
|
प्रत्यक्ष |
तिर्यक |
|
एकवचन |
भाषा |
भाषा |
बहुवचन |
भाषाएँ |
भाषाओं |
इसी प्रकार अलग रूप-रचना
वाले अन्य शब्दों की भी सूची तैयार की जा सकती है। इनमें से प्रत्येक शब्द अपनी
तरह के अन्य शब्दों का भी प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए
‘लड़का’ शब्द की तरह- कपड़ा, छाता, कमरा, झोला, मेला, खाका, गाना आदि के रूप
बनते हैं, जैसे-
इसी प्रकार आकारांत,
स्त्रीलिंग शब्दों का शब्द रूप टेबल इस प्रकार से निर्मित होगा -
वचन |
कारक (तिर्यकता) |
|
प्रत्यक्ष |
तिर्यक |
|
एकवचन |
कपड़ा |
कपड़े |
बहुवचन |
कपड़े |
कपड़ों |
इसी प्रकार लड़की शब्द की
तरह- बकरी, खिड़की, नारी,
कली, रानी आदि; साधू की
तरह- बाबू, नींबू, आलू आदि; सड़क की तरह- मेज, कलम, दवात,
दुकान, फाइल आदि शब्दों के रूप बनते हैं।
किन-किन शब्दों के रूप एक तरह से बनते हैं, इसे भाषा व्यवहार
से ही प्राप्त किया जा सकता है।
वर्तमान में भाषा
प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोग तथा भाषा संरक्षण की दृष्टि से विभिन्न भाषाओं के कार्पस
निर्मित किए जा रहे हैं। अतः इनका पूरा में से
विविध प्रकार के शब्दों के शब्दरूपों को विश्लेषित और संग्रहीत किया जा सकता है।
अविकारी संज्ञा
वे संज्ञा शब्द जिनके रूप
में परिवर्तन नहीं होता है, अविकारी संज्ञा के अंतर्गत
आते हैं। उदाहरण के लिए ‘चीनी’ अविकारी
संज्ञा है जबकि ‘सब्जी’ विकारी। वचन के
आधार पर इनमें की स्थिति विकार देख सकते हैं-
· चीनी बहुत फीकी है।
(एकवचन)
· सब्जी पक रही है।
(एकवचन)
· यहाँ
ढेर सारी चीनी है। (बहुवचन)
· यहाँ ढेर सारी सब्जियाँ हैं। (बहुवचन)
वे सभी शब्द जिनसे मात्रा
का बोध होता है या जिनकी गिनती नहीं की जा सकती, अविकारी
संज्ञा के अंतर्गत आते हैं जैसे, नमक दही गेहूं पानी आदि।
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