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Saturday, April 1, 2023

प्रकार्य की दृष्टि से पदबंध के प्रकार (Functional Types of Phrases)

 प्रकार्य की दृष्टि से पदबंध के प्रकार 

इसे समझने के लिए सबसे पहले यह देखते हैं कि प्रकार्य क्या है?

प्रकार्य (Function) :- किसी व्यवस्था में किसी स्थान/पद (position) विशेष पर निर्धारित कार्य ‘प्रकार्य’ कहलाते हैंजैसे- ‘शिक्षक’ शिक्षा व्यवस्था में एक स्थान/पद (position) हैजिसका कार्य ‘विद्यार्थियों को पढ़ाना’ है। यह कार्य शिक्षक का ‘प्रकार्य’ कहलाएगा। इसी प्रकार ‘कुलपति’ (VC) विश्वविद्यालय व्यवस्था में एक स्थान/पद (position) हैजिसका कार्य ‘विश्वविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन एवं संबंधित गतिविधियों को सुचारु रूप से संपन्न कराना’ है। यह कार्य कुलपति का ‘प्रकार्य’ कहलाएगा। इसे कोई एक व्यक्ति भी संपन्न कर सकता है या एक से अधिक लोगों के समूह को भी यह कार्य दिया जा सकता है।

इसी प्रकार वाक्य में ‘एक पद’ या ‘एक से अधिक पदों का समूह’ होता हैजो वाक्य में कोई एक प्रकार्य (function)जैसे- कर्ताकर्मकरणक्रिया आदि संपन्न करता है। वही एक पद या एक से अधिक पदों का समूह ‘पदबंध’ कहलाता है।

उदाहरण- 

बच्चा      मिठाई     खाएगा। => 03 पद

प्रकार्य => (कर्ता + कर्म +      क्रिया) = 03 पदबंध

छोटा बच्चा            ताजी मिठाई           खाता है। => 06 पद

प्रकार्य => (कर्ता +                कर्म +                    क्रिया) = 03 पदबंध

बहुत छोटा बच्चा    थोड़ी ताजी मिठाई   खा रहा है। => 09 पद

प्रकार्य => (कर्ता +                कर्म +                    क्रिया) = 03 पदबंध

 एक वाक्य में कई पदबंध देखें-

   राम ने      रावण को       बाण से     लंका में       सीता के लिए          मारा। => 12 पद

प्रकार्य => (कर्ता +    कर्म +          करण +       अधिकरण +    संप्रदान +            क्रिया) = 06 पदबंध

प्रकार्य के आधार पर वर्गीकरण

प्रकार्य की दृष्टि से पदबंधों को दो रूपों में वर्गीकृत किया गया है- संरचनात्मक प्रकार्य की दृष्टि से और व्याकरणिक प्रकार्य की दृष्टि से।

(1) संरचनात्मक प्रकार्य की दृष्टि से वर्गीकरण - संरचनात्मक प्रकार्य के के अंतर्गत मुख्यता प्रमुख शब्दभेद (Parts of speech) आते हैं। अतः इस आधार पर पदबंधों के निम्नलिखित वर्ग किए जाते हैं-

(क) संज्ञा पदबंध : ऐसा पदबंध जिसका शीर्ष पद संज्ञा होता है, संज्ञा पदबंध कहलाता है। संज्ञा पदबंध रचनाएँ अंतःकेंद्रिक पदबंध रचनाएँ होती हैं। उदाहरण-

 राम

 लड़का

 छोटा बच्चा

 बहुत बड़ा आदमी

(ख) सर्वनाम पदबंध : वे पदबंध जिनका शीर्ष पद सर्वनाम होता है, सर्वनाम पदबंध कहलाते हैं।  उदाहरण-

 मैं तुम वह

 तुम लोग हम लोग

(ग) विशेषण पदबंध : वे पदबंध जिनका शीर्ष पद विशेषण होता है, विशेषण पदबंध कहलाते हैं।  उदाहरण-

 अच्छा

 बहुत अच्छा

 अत्यंत सुरीला

(घ) क्रिया पदबंध : वे पदबंध जो क्रिया पदों से निर्मित होते हैं, क्रिया पदबंध कहलाते हैं।  उदाहरण-

 खाएगा

  जाता है

 उठ रहा है

 उठता जा रहा है

(ङ) क्रियाविशेषण पदबंध : वे पदबंध जो वाक्य में क्रियाविशेषण का कार्य करते हैं, क्रियाविशेषण पदबंध कहलाते हैं।  उदाहरण-

 तेज

 बहुत अधिक तेज

 धीरे धीरे

 चुपके चुपके

(च) अव्यय पदबंधहिंदी में कुछ ऐसी पदबंध स्तरीय इकाइयाँ पाई जाती हैं, जो वाक्य में स्वतंत्र प्रकार्य करती हैं, किंतु उपर्युक्त में से किसी के अंतर्गत नहीं आतीं। इन सभी को अव्यय पदबंध के अंतर्गत रखा गया है, जैसे- नकारात्मक-सकारात्मक प्रयोग (न, नहीं, मत, हाँ), समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक आदि।

(2) व्याकरणिक प्रकार्य की दृष्टि से पदबंध के प्रकार

वाक्य में सभी पदबंध विभिन्न प्रकार्यात्मक भूमिकाओं के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं। इन भूमिकाओं को व्याकरणिक प्रकार्य कहते हैं। इस दृष्टि से पदबंधों  के निम्नलिखित प्रकार किए जाते हैं-

कर्ता पदबंध

कर्म पदबंध

करण पदबंध

संप्रदान पदबंध

अपादान पदबंध

अधिकरण पदबंध

पूरक पदबंध                        आदि ।

इनके बारे में निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ सकते हैं –

पदबंध और कारक संबंध

वाक्य में अन्य संबंध (कारकेतर संबंध)

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