अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार करते हुए हम यह देखते हैं कि वाक्य द्वारा किस प्रकार की सूचना अभिव्यक्त की जा रही है। अतः अर्थ की दृष्टि से भी वाक्य के मुख्यतः तीन भेद किए जाते हैं-
(क) कथनात्मक वाक्य : ऐसे वाक्य जिनमें किसी व्यक्ति, वस्तु आदि के बारे में कोई कथन उद्धृत किया जाता है या कोई बात कही जाती है, कथनात्मक वाक्य कहलाते हैं। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के सरल और सूचनात्मक वाक्य  आते हैं।
  उदाहरण-
·        अब मेरा काम हो गया है।
·        तुम बाजार नहीं जाते हो।
 क्या आज सभी लोग विद्यालय जाएंगे?
 यहां पर ध्यान रखने वाली बात है कि वाक्यों का नकारात्मक, प्रश्नवाचक आदि होना अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इनका निर्धारण वाक्य रूपांतरण के माध्यम से किया जाता है  जिसके बारे में निम्नलिखित लिंक पर पढ़ सकते हैं-
वाक्य रूपांतरण (Sentence Transformation)
(ख) आपनिपरक/आज्ञार्थक (Imperative) वाक्य : वे वाक्य जिनमें वक्ता का उद्देश्य श्रोता को निर्देशित या प्रभावित करना होता है, आज्ञार्थक वाक्य कहलाते हैं। इनमें तीन प्रकार की चीजें पाई जाती हैं- आज्ञा, परामर्श और निवेदन। इन तीनों के योग से ही मैंने 'आपनिपरक' (आ+प+नि)  नामक नया शब्द बनाया है, जिससे शब्द से ही हमें वाक्य के भेद की परिभाषा पता चल जाती है।
उदाहरण-
 आज्ञा-
·       तुम  जल्दी-जल्दी अपना काम करो।
·        चलो जल्दी से बैठ जाओ ।
 परामर्श-
·        आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
·         बहुत देर हो गई, अब हमें चलना चाहिए ।
  निवेदन-
·        कृपया पहले मेरा काम कर दीजिए।
·         हमें यहां बैठने की अनुमति दीजिए ।
(ग) मनोभावात्मक वाक्य : ऐसे वाक्य जिनमें वक्ता अपने मनोभावों या संवेगों को व्यक्त करता है, मनोभावात्मक वाक्य कहलाते हैं। इनमें वक्ता अपनी स्वयं की बात को व्यक्त करना चाहता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के मनोभावों को व्यक्त करने वाले वाक्य आते हैं-
इच्छा
 आशीर्वाद
 शोक
 हर्ष
विस्मय                      आदि 
 उदाहरण- 
·       जुग जुग जियो।
·        वाह ,आज हमारी टीम जीत गई।
· ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ।
 
 
 
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