पद, पदबंध और वाक्य
पदबंध भाषा की वह इकाई है
जो एक और पद से तो दूसरी ओर वाक्य से जुड़ी हुई है। इन दोनों के साथ पदबंध के
संबंध को निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं-
पद और पदबंध
वाक्य में
प्रयुक्त होने वाला प्रत्येक शब्द पद कहलाता है। यदि अकेला पद वाक्य में एक पूर्ण
प्रकार्यात्मक इकाई या का कार्य कर रहा है तो वह पदबंध ही होता है जैसे-
लड़का आम खाएगा।
इस वाक्य में 'लड़का, आम और खाएगा' तीनों
शब्द या पद अपने आप में एक-एक पदबंध का काम कर रहे हैं, जिन्हें
हम इस प्रकार से दर्शा सकते हैं-
लड़का
आम
खाएगा
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
अतः यहाँ पर
प्रत्येक पद एक पदबंध है।
इसके विपरीत यदि एक से
अधिक पदों का योग एक पदबंध या प्रकार्यात्मक इकाई का कार्य करता है,
तो वहाँ पर पद पदबंध का हिस्सा हो जाता है, जैसे
-
छोटा बच्चा
मिठाई
के लिए रो रहा है
पदबंध-1
पदबंध-2 पदबंध-3
इस वाक्य में कुल 08
शब्द या पद आए हैं, किंतु पदबंधों की संख्या
केवल 03 है। अतः यहां पर आया हुआ प्रत्येक पद अपने-अपने
पदबंध का अंग कहलाएगा।
वाक्य और पदबंध
पदबंध वाक्य रचना की
आधारभूत इकाई है। अर्थात पदबंधों के परस्पर योग से वाक्यों का निर्माण होता है।
पदबंध की एक सरल परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-
"एक पद या एक से
अधिक पदों का समूह जो वाक्य में किसी एक ही प्रकार्य को संपन्न करता हो, पदबंध है।"
वाक्य और पदबंध
के बीच संबंध बताते हुए हम कह सकते हैं कि पदबंध वाक्य की मूलभूत रचक इकाई है। कोई
भी पदबंध अपने आप में वाक्य नहीं हो सकता, बल्कि वह सदैव
वाक्य का अंग होता है। प्रत्येक वाक्य एक से अधिक पदबंधों का योग होता है। विशेष
परिस्थितियों में कोई पदबंध भी एक वाक्य का काम कर सकता है किंतु वह अल्पांग वाक्य
के रूप में होगा अथवा उसे हम संदर्भ के माध्यम से ही वाक्य के रूप में समझ सकते
हैं।
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