अन्य शब्दों की पद (रूप) संरचना
हिंदी में मूलतः चार शब्द
वर्ग ही विकारी के अंतर्गत आते हैं जिनके शब्दों के रूप बनते हैं- संज्ञा,
सर्वनाम, विशेषण और क्रिया । फिर भी इनके अतिरिक्त कुछ अन्य शब्दों के भी
कुछ रूप बनते हैं जिनकी संख्या बहुत ही कम है।
इन्हें संक्षेप में निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं-
· प्रश्नवाचक शब्द : सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त
होने वाले ‘कौन’ प्रश्नवाचक शब्द के
‘किस’ एवं ‘किन दो
तिर्यक रूप बनते हैं। इन रूपों में परसर्ग जोड़ने पर सर्वनामों की तरह ही इनके
अनेक रूप देखे जा सकते हैं, जैसे-
किसने,
किसको, किसे, किससे,
किसका, किसकी, किसके,
किसमें, किसपर, किन्होंने,
किन्हें, किनसे, किनका,
किनकी, किनके, किनमें,
किनपर आदि।
इसी प्रकार
‘कैसा’ से ‘कैसा,
कैसी, कैसे’ और ‘कितना’ से ‘कितना, कितनी, कितने’ रूप भी बनते
हैं।
· परसर्ग : ‘का’ परसर्ग के
का, की, के तथा ‘-रा, -री, -रे’ रूप बनते हैं।
· क्रियाविशेषण : यहाँ और वहाँ में ‘ही’ का योग होने पर ‘यहाँ से
यहीं’, ‘वहाँ से वहीं’ रूप बनते हैं।
· सहायक क्रिया : मुख्य क्रियाओं के अलावा सहायक
क्रियाओं के भी कुछ रूप बनते हैं, जैसे-
है =>
है, हैं, हो, हूँ
था =>
था, थी, थे
इन शब्दों के शब्दरूप
निर्माण को समझाने के लिए रूप संरचना के
अंतर्गत नियम निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि इनकी
संख्या कम होने के कारण इन्हें सीधे-सीधे सूचीबद्ध किया जा सकता है।
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