पृष्ठभूमि-
इसकी पृष्ठभूमि को ठीक से समझने के लिए एक
व्यवस्था के रूप में भाषा शीर्षक के बारे में निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ें
-
अब मूल विषय पर आते हैं -
भाषा और संरचना
जब कोई वस्तु एक से अधिक इकाइयों से कुछ
नियमों के माध्यम से निर्मित होती है तो उन नियमों और घटकों की खोज 'संरचना' के रूप में की जाती है। अर्थात किसी निर्मित
वस्तु में प्रयुक्त होने वाली इकाइयों और उनके नियमों की व्यवस्था का वर्णन संरचना
कहलाता है। यहाँ संरचना के संबंध में एक बात स्पष्ट है कि संरचना उन्हीं चीजों की
हो सकती है जिनका निर्माण एक से अधिक घटकों से हुआ हो। इस संदर्भ में भाषा को देखा
जाए तो भाषा एक बहुस्तरीय व्यवस्था है। इसके सबसे छोटे
स्तर के अलावा शेष सभी स्तरों पर एक से अधिक इकाइयों का योग होता है, अतः उनकी संरचना ज्ञात की जा सकती है।
हम जानते हैं कि भाषा के मूलता दो पक्ष
हैं- ध्वनि और अर्थ। एक व्यवस्था के रूप में
भाषा इन दोनों को जोड़ने का कार्य करती है। यह कार्य भाषा द्वारा विविध स्तरों पर
संपन्न किया जाता है जिनकी चर्चा ऊपर 'एक व्यवस्था के रूप
में भाषा' शीर्षक के अंतर्गत की जा चुकी है। उनमें से
निम्नलिखित स्तरों की संरचना देखी जाती है-
शब्द संरचना
पद संरचना
पदबंध संरचना
वाक्य संरचना
भाषिक इकाइयों और नियमों की व्यवस्था के
रूप में आधारभूत रूप से 'ध्वनि, अर्थ और प्रोक्ति' की संरचना जैसी बात नहीं की जाती।
इन तीनों की संरचना का विश्लेषण नहीं
करने के कारण इस प्रकार दिए जा सकते हैं-
ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई है।
अतः इसकी संरचना के विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि
पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि उसी वस्तु या इकाई की संरचना का विश्लेषण किया
जा सकता है, जिसका निर्माण उसे छोटे घटकों से हुआ हो। किसी
भाषा की ध्वनि व्यवस्था का विश्लेषण किया जा सकता है, जिसे
सामान्यतः 'ध्वनि संरचना' नाम दे दिया
जाता है। उदाहरण के लिए 'हिंदी की ध्वनि संरचना' नाम से कहीं कोई सामग्री प्राप्त होती है तो उसे हम 'हिंदी की ध्वनि व्यवस्था' के रूप में समझ सकते हैं।
अर्थ भी कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका निर्माण
एक से अधिक छोटे घटकों के योग से हुआ हो, बल्कि
अर्थ के स्तर पर विविध प्रकार के प्रतीकों की व्यवस्था काम करती है, जिसे हम 'आर्थी व्यवस्था' नाम
दे सकते हैं, किंतु कहीं-कहीं उसके लिए अर्थ संरचना शब्द भी
चलता है। उदाहरण के लिए 'हिंदी की अर्थ संरचना' नाम से कहीं कोई सामग्री प्राप्त होती है तो उसे हम 'हिंदी की आर्थी व्यवस्था' के रूप में समझ सकते हैं।
प्रोक्ति की संरचना संभव है,
किंतु अभी तक प्रोक्ति संरचना का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करते हुए उसके
रचक घटकों और उनके नियमों की खोज नहीं की जा सकी है। अतः प्रोक्ति संरचना जैसी बात
अभी नहीं की जा सकती।
इस प्रकार स्पष्ट है कि उपर्युक्त तीनों की
संरचना संबंधी पक्ष भाषा संरचना संबंधी विवेचन का अंग नहीं है,
फिर भी व्यवस्था के संदर्भ में इन तीनों की संरचना संबंधी वर्णन भी
कहीं-कहीं देखने को मिल जाता है। अतः इन तीनों को भी जोड़ दिया जाए तो भाषा संरचना
की बात निम्नलिखित स्तरों पर की जा सकती है-
संरचना के मूलभूत स्तर
शब्द संरचना
पद संरचना
पदबंध संरचना
वाक्य संरचना
संरचना के अतिरिक्त
स्तर
ध्वनि संरचना
अर्थ संरचना
प्रोक्ति संरचना
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