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Sunday, June 19, 2022

सी.शार्प में प्रापर्टीज विंडो (Properties Window in C#)

 

सी शार्प में विंडोज फॉर्म एप्लीकेशन विकास में एक फॉर्म होता है। इस फॉर्म पर कुछ कंट्रोल लिए जाते हैं और विकास का कार्य किया जाता है। इसमें स्वयं फॉर्म और इस पर लिए जाने वाले कंट्रोलों की कुछ प्रापर्टियाँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से प्रापर्टीज विंडो के अंतर्गत रखा गया है। प्रयोगकर्ता जिस कंट्रोल को चयनित करता है उसकी प्रापर्टियाँ इस विंडो में दिखने लगती हैं। यदि प्रापर्टीज विंडो न दिख रही हो तो view मीनू के अंतर्गत Properties Window पर क्लिक करें या Ctrl+W,P दबाएँ।

यदि वस्तुपरक दृष्टि से देखा जाए तो प्रत्येक वस्तु की अपनी कुछ विशेषताएँ होती हैं जिनके आधार पर उसे पहचाना जा सकता है, जैसे: लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई, नाम, रंग आदि। इन विशेषताओं को ही प्रापर्टी कहा गया है। इनके माध्यम से किसी कंट्रोल को हम दूसरे से अलगाते हैं तथा आवश्यकतानुसार उसका स्वरूप  और स्थान तय करते हैं। प्रापर्टीज विंडो इस प्रकार होती है:                

 


प्रापर्टीज विंडो में प्रापर्टियों को दो तरह से देखा जा सकता है: वर्णक्रमानुसार (Alphabetical) और वर्गीकृत (Categorized)। उपरोक्त चित्र में फॉर्म की प्रापर्टियों को दिखाया गया है। इसी प्रकार किसी कंट्रोल को चयनित करने पर उसकी प्रापर्टियाँ आ जाती हैं। यह वर्णक्रमानुसार वियू है। वर्गीकृत में निम्नलिखित प्रकार के वर्ग दिखाई पड़ते हैं:

 

Ø  Accessibility

Ø  Appearance

Ø  Behavior

Ø  Data

Ø  Design

Ø  Focus

Ø  Layout

Ø  Misc

वर्गीकृत को चयनित करने पर यह विंडो इस प्रकार दिखाई देगी :

              


प्रापर्टियों के दो प्रकार किए जा सकते हैं: सामान्य (common) और विशिष्ट (specific)। सामान्य प्रापर्टियाँ वे हैं जो सभी कंट्रोलों में समान रूप से पाई जाती हैं। विशिष्ट प्रापर्टियाँ वे हैं जो प्रत्येक कंट्रोल में अलग-अलग होती हैं। सी. शार्प में किसी भी कंट्रोल के लिए बहुत सारी प्रापर्टियाँ दी गई होती हैं। उनमें से कुछ प्रमुख, जिनकी आवश्यकता भाषावैज्ञानिक प्रोजेक्टों के विकास में होती है, निम्नलिखित हैं:

(क) Name: इसमें कंट्रोल का वह नाम दिया जाता है जो कोड विंडो में प्रयुक्त होता है। किसी भी कंट्रोल का नाम लिखते समय संक्षिप्तता और सूचनात्मकता का ध्यान रखना आवश्यक होता है। अर्थात् नाम ऐसा होना चाहिए कि वह छोटा से छोटा हो और उसे पढ़ते ही यह समझ में आ जाए कि यह किस लिए है; जैसे: ‘Run’ करने वाले बटन का नाम ‘btnRun’ और बड़े अक्षरों (capital letters) में बदलने वाले बटन का नाम ‘btnCptl’ आदि लिखा जाना चाहिए। हिंदी के प्रोग्रामों का विकास करने वाले व्यक्ति ये नाम हिंदी में भी रख सकते हैं, जैसे: ‘Run’ करने वाले बटन का नाम बटनरन या इनपुट के लिए प्रयुक्त होने वाले टेक्स्टबॉक्स का नाम इनपुटटे रखना आदि। किंतु इसके लिए यूनिकोड कोडिंग प्रणाली का उपयोग करना आवश्यक होता है।

किसी कंट्रोल का नाम रोमन अक्षरों में रखते समय यदि दो अक्षरों को जोड़कर लिखना हो तो ‘CamelCase’ पद्धति का प्रयोग अच्छा माना जाता है।

(ख) BackColor: यह कंट्रोलों की साज सज्जा से संबंधित है। इसे क्लिक करके हम अपना मनपसंद पृष्ठ रंग चुनकर फॉर्म और कंट्रोलों को अधिक आकर्षक बना सकते हैं।

(ग) Font: इसके द्वारा हम कंट्रोल में प्रदर्शित हो रही पाठ-सामग्री (texual matter) के फ़ॉन्ट के आकार, प्रकार और रूप को बदल सकते हैं।

(घ) ForeColor: यह BackColor के विपरीत होता है। इसमें उपलब्ध रंगों में से हम अपने मनपसंद रंग का चयन करते हुए किसी भी कंट्रोल एवं फॉर्म को आकर्षक बनाते हैं।

(ङ) Text: यह विजुअल बेसिक की Caption प्रापर्टी की तरह है। इसमें जो चीज हम लिखेंगे वही चीज अंतरापृष्ठ अर्थात् फॉर्म पर दिखेगी। इसका संबंध केवल डिजाइन विंडो से होता है, कोड विंडो से नहीं। उदाहरणस्वरूप हम निम्नलिखित चित्र में देख सकते हैं कि किस प्रकार किसी बटन की टेक्स्ट प्रापर्टी में देखें लिखे जाने पर उस बटन के ऊपर देखें लिखकर आ जाता है।         


(च) Enable: यह बूलियन टाइप प्रापर्टी है। बाइ-डिफॉल्ट यह सत्य (true) होती है। यदि किसी स्थिति विशेष में किसी कंट्रोल को सक्रिय करना हो तो पहले इसे यहाँ से असत्य (false) कर देते हैं और फिर जिस स्थिति में उसे सत्य होना हो उसको कोड में दे दिया जाता है। जब उस स्थिति की वैल्यू सत्य होगी तब वह कंट्रोल सक्रिय हो जाएगा।

(छ) Size: फॉर्म पर किसी भी कंट्रोल की साइज को इस प्रापर्टी द्वारा निर्धारित तथा परिवर्तित किया जाता है। वैसे हम सामान्यत: कंट्रोल के चारो तरफ बने हुए पॉइंट्स को ड्रैग करके ही साइज को मनोवांछित रूप से सेट कर लेते हैं।

इसी प्रकार सभी कंट्रोल्स के अपने कुछ विशिष्ट प्रॉपर्टीज भी होती हैंं, जिन्हें संबंधित कंट्रोल को क्लिक करके प्रॉपर्टीज विंडो में देखा जा सकता है उनके बारे में विस्तार से मेरी पुस्तक 'सी शार्प प्रोग्रामिंग एवं हिंदी के भाषिक टूल्स' (2012) में देखा जा सकता है ।

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