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Wednesday, November 7, 2018

संस्कृत-कालीन भाषा चिंतन-6 (वाक्य के गुण)

वाक्य के गुण

आकांक्षा, योग्यता और सन्निधि
आकांक्षा, योग्यता और सन्निधि की संगतता प्राप्त करने वाले पद समूह को वाक्य के रूप में परिभाषित करते हुए कहा गया है-
    आकांक्षा योग्यता सन्निधिश्च वाक्यार्थ ज्ञान
हेतु पद समूहो वाक्यम्
  आकांक्षा : जब किसी शब्द का वाक्य में प्रयोग होता है तो उसे अन्य शब्दों की आवश्यकता होती है, जैसे- वाक्य में कर्ता शब्द के आते ही क्रिया (और सकर्मक क्रियाओं में कर्ता) की आकांक्षा।
योग्यता : वाक्य में प्रकार्य के स्तर पर एक शब्द के साथ दूसरे शब्द के जुड़ सकने की क्षमता।
अर्थमूलक योग्यता
व्याकरणमूलक योग्यता
सन्निधि : वाक्य निर्माण के लिए उच्चरित या अभिव्यक्त शब्दों का एक-दूसरे के पास या समीप ही होना।

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