शब्दांश
प्रकृति : मूल
शब्दांश जिसमें किसी भी प्रकार के उपसर्ग/प्रत्यय आदि का योग न हो, जैसे- राम, फल, देव
आदि।
इनके दो भेद हैं-
(क) धातु : क्रियाओं
के मूल रूप, जैसे- जा, खा,
चल आदि।
धातु +
तिंङ् प्रत्यय = ‘पद’ ।
(ख) प्रातिपदिक : धातु के
अलावा अन्य सभी नाम शब्द ।
प्रातिपदिक
+ सुप् प्रत्यय = ‘पद’।
प्रत्यय – वे शब्दांश जो प्रकृति
के साथ जुड़कर पदों का निर्माण करते हैं। इनके दो प्रकार हैं-
तिंङ् प्रत्यय- वे प्रत्यय जो धातुओं के साथ जुड़कर
क्रियापदों का निर्माण करते हैं, जैसे-
गच्छ+ति= गच्छति (ति = तिंङ् प्रत्यय)
सुप् प्रत्यय- वे प्रत्यय जो प्रातिपदिकों के साथ जुड़कर
नामपदों का निर्माण करते हैं,
जैसे-
बालक + औ = बालकौ (औ = सुप् प्रत्यय)
No comments:
Post a Comment