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Wednesday, November 7, 2018

संस्कृत-कालीन भाषा चिंतन-8 (शब्दांश)


शब्दांश
प्रकृति : मूल शब्दांश जिसमें किसी भी प्रकार के उपसर्ग/प्रत्यय आदि का योग न हो, जैसे- राम, फल, देव आदि।
इनके दो भेद हैं-
(क) धातु : क्रियाओं के मूल रूप, जैसे- जा, खा, चल आदि।
    धातु + तिंङ् प्रत्यय = पद
(ख) प्रातिपदिक : धातु के अलावा अन्य सभी नाम शब्द ।
    प्रातिपदिक + सुप् प्रत्यय = पद
प्रत्यय वे शब्दांश जो प्रकृति के साथ जुड़कर पदों का निर्माण करते हैं। इनके दो प्रकार हैं-
तिंङ् प्रत्यय- वे प्रत्यय जो धातुओं के साथ जुड़कर क्रियापदों का निर्माण करते हैं, जैसे-
गच्छ+ति= गच्छति (ति = तिंङ् प्रत्यय)
सुप् प्रत्यय- वे प्रत्यय जो प्रातिपदिकों के साथ जुड़कर नामपदों का निर्माण करते हैं, जैसे-
बालक + औ = बालकौ (औ = सुप् प्रत्यय)


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