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Sunday, March 6, 2022

जार्ज ग्रियर्सन का भाषा सर्वेक्षण

 जार्ज ग्रियर्सन का भाषा सर्वेक्षण

जॉर्ज ग्रियर्सन का पूरा नामजॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन है, जिन्होंने भारत का पहला और अब तक का एकमात्र संपूर्ण भाषा सर्वेक्षण किया है। उनका सर्वेक्षण लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया नाम से 11 खंडों में प्रकाशित है। इसे भारतीय भाषायी सर्वेक्षण या भारत का भाषा सर्वेक्षण (Linguistic Survey of India) भी कहा जाता है। ग्रियर्सन द्वारा भारत के भाषा सर्वेक्षण का कार्य सन् 1894 से लेकर सन् 1928 तक किया गया। इसमें कुल 364 भारतीय भाषाओं एवं बोलियों का सर्वेक्षण किया गया। जॉर्ज ग्रियर्सन ब्रिटिश सरकार के भारतीय सिविल सेवा अधिकारी थे, जिन्होंने इस सर्वेक्षण परियोजना का निर्देशन किया।

जार्ज ग्रियर्सन द्वारा किए गए भाषायी सर्वेक्षण के रिकार्डिंग को ब्रिटिश सरकार ने सुरक्षित रखा। इसकी रिकार्डिंग ब्रिटिश लाइब्रेरी में सुरक्षित रही। बाद में शिकागो यूनिवर्सिटी ने अपने डिजीटल साउथ एशिया लाइब्रेरी के माध्यम से इसे सार्वजनिक किया है, जिसे https://dsal.uchicago.edu/books/lsi/ पर इस प्रकार से देखा जा सकता है-

 

 

Linguistic survey of India / [compiled and edited] by George Abraham Grierson.
Calcutta : Office of the Superintendent of Government Printing, India, 1903-1928.
11 v. in 20 : maps (part fold.) ; 36 cm.

Click on the volume number to view in BookReader.

 

Vol. 1, Pt. 1 Introductory.
Vol. 1, Pt. 2 Comparative Vocabulary.
Vol. 1, Supp. II Addenda et Corrigenda Minora.
Vol. 2 Mōn–Khmēr and Siamese-Chinese Families (including Khassi and Tai).
Vol. 3, Pt. 1 Tibeto-Burman Family. General Introduction, Specimens of the Tibetan Dialects, the Himalayan Dialects, and North Assam Group.
Vol. 3, Pt. 2 Tibeto-Burman Family. Specimens of the Bodo, Nāgā, and Kachin Groups.
Vol. 3, Pt. 3 Tibeto-Burman Family. Specimens of the Kuki-Chin and Burma Groups.
Vol. 4 Muṇḍā and Dravidian Languages.

Vol. 5, Pt. 1 Indo-Aryan Family. Eastern Group. Specimens of the Bengali and Assamese Languages.
Vol. 5, Pt. 2 Indo-Aryan Languages. Eastern Group. Specimens of the Bihārī and Oiyā Languages.
Vol. 6 Indo-Aryan Family. Mediate Group. Specimens of the Eastern Hindī Language.
Vol. 7 Indo-Aryan Family. Southern Group. Specimens of the Marāṭhī Language.
Vol. 8, Pt. 1 Indo-Aryan Family. North-Western Group. Specimens of Sindhī and Lahndā.
Vol. 8, Pt. 2 [Indo-Aryan Family. North-Western Group.] Specimens of the Dardic or Piśāchā Languages (including Kāshmīrī).

Vol. 9, Pt. 1 Indo-Aryan Family. Central Group. Specimens of Western Hindī and Pañjābī.
Vol. 9, Pt. 2 Indo-Aryan Family. Central Group. Specimens of the Rājasthānī and Gujarātī.
Vol. 9, Pt. 3 Indo-Aryan Family. Central Group. The Bhīl Languages, including Khāndēśī, Banjārī or Labhānī, Bahrūpiā, &c.
Vol. 9, Pt. 4 Indo-Aryan Family. Central Group. Specimens of the Pahārī Languages and Gujurī.
Vol. 10 Specimens of Languages of the Eranian Family.
Vol. 11 Gipsy Languages.
Index of Language-Names.

 

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कुछ अन्य जानकारी-

(1) स्रोत- https://cgsongs.wordpress.com/tag/भारतीय-भाषाओं-का-सर्वेक्/

1857 के महान विद्रोह को कुचलने के पश्चात् भारत में गहरी पैठ बनाने और औपनिवेशिक राज्य के पुनर्गठन हेतु भारतीय लोगों और वस्तुओं से सम्बंधित जानकारीयों का व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से वर्गीकृत रूप में दस्तावेजीकरण किया गया। यह काल भारतीय साम्राज्य में अनेक बड़े सर्वेक्षणों के योजनाओं के बनने और निष्पादन होने का गवाह रहा है जैसे पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey), भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey), नृवंशविज्ञान सर्वेक्षण (ethnographic survey) (बाद में छोटे, प्रांतीय श्रृंखला में विभाजित) तथा भाषाई मानचित्रण सर्वेक्षण (linguistic mapping)

इंडियन सिविल सर्विस में बंगाल और बिहार केडर से संबंधित भाषाविद् जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन को भारत में भाषायी सर्वेक्षण (Linguistic Survey of India – LSI) के प्रणोता के रूप में जाना जाता है। 7 जनवरी, 1851 में डब्लिन में पैदा हुए हिंदुस्तानी और संस्कृत के जानकार भाषाविद् ग्रियर्सन 1873 में पहली बार इंडियन सिविल सर्विस के अधिकारी बन कर भारत आए थे। 1886 में वियेना में हुए तीसरे ओरिएंटल काँग्रेस में औपनिवेशिक सरकार ने ग्रियर्सन के आग्रह पर भारत की भाषाओं का व्यवस्थित सर्वेक्षणहेतु परियोजना के प्रस्ताव को पारित किया। लेकिन परियोजना अलग-थलग या कहें बंद पड़ी रही, पहली बार 1894 में जिला अधिकारियों को उनके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत भाषाओं और बोलियों की सूची संकलन करने को कहा गया। सरकार द्वारा सर्वे के लिए ग्रियर्सन के विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्ति होने तक अगले चार साल यूँही गुजर गए। उनकी अध्यक्षता में पहली बार 1898 में भारतीय भाषाओं का सर्वेक्षण हुआ, उन्हें शिमला में एक छोटा सा कार्यालय दिया गया जहाँ द्विभाषी देशी भाषा शास्त्री जिलों में एकत्रित नमूनों की प्रेस प्रतियां तैयार किया करते थे। 1899 के आखिर तक यह कार्य बंगाली हेडक्लर्क के देखरेख में हुआ। ग्रियर्सन को इसके संपादन का कार्य इंग्लैंड में रहकर करने की विशेष अनुमति दी गई थी। अगले तीस वर्षों तक केम्बर्ले के अपने बंगले में रहते हुए, ग्रियर्सन ने भारतीय भाषाओं और बोलियों के सर्वेक्षण के विशाल उन्नीस भागों वाले ग्यारह संस्करणों का संपादन किया।

 

33 वर्षों के अनवरत परिश्रम के फलस्वरूप यह कार्य सन् 1927 ई0 में समाप्त हुआ। मूलतः यह ग्यारह खण्डों में विभक्त है। अनेक खण्डों (खण्ड एक, तीन, पॉच, आठ एवं नौ) के एकाधिक भाग हैं। ग्यारह हजार पृष्ठों का यह सर्वेक्षण-कार्य विश्व में अपने ढंग का अकेला कार्य है। विश्व के किसी भी देश में भाषा-सर्वेक्षण का ऐसा विशद् कार्य नहीं हुआ है। प्रशासनिक अधिकारी होते हुए आपने भारतीय भाषाओं और बोलियों का विशाल सर्वेक्षण कार्य सम्पन्न किया। चूँकि आपका सर्वेक्षण अप्रत्यक्ष-विधि पर आधारित था, इस कारण इसमें त्रुटियों का होना स्वाभाविक है। सर्वेक्षण कार्य में जिन प्राध्यापकों, पटवारियों एवं अधिकारियों ने सहयोग दिया, अपने अपने क्षेत्रों में बोले जाने वाले भाषा रूपों का परिचय, उदाहरण, कथा-कहाँनियां आदि लिखकर भेजीं, वे स्वन-विज्ञान एवं भाषा विज्ञान के विद्वान नहीं थे। अपनी समस्त त्रुटियों एवं कमियों के बावजूद डॉ.ग्रियर्सन का यह सर्वेक्षण कार्य अभूतपूर्व है।

 

सर्वेक्षण मुख्यतः नमूनों के संग्रहण पर केंद्रित था जिसमें मानक परिच्छेद का चुनाव तुलना के उद्देश्य से किया जाता था। सभी भाषा और बोलियों के संग्रहण हेतु नमूनों के तीन आधारभूत हिस्से होते थे मानक अनुवाद, स्थानीय बोलचाल के आधार पर तैयार लेखांश, और 1866 में बंगाल एशियाटिक सोसायटी द्वारा शब्दों और वाक्यों की तैयार की गई मूल सूची।

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पूरा पढ़ें-

https://cgsongs.wordpress.com/tag/भारतीय-भाषाओं-का-सर्वेक्/

 

(2) जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन, लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया

(स्रोत- https://www.hmoob.in/wiki/Linguistic_Survey_of_India, 24-02-2021)

भारतीय भाषाई सर्वेक्षण ( एलएसआई ) ब्रिटिश भारत की भाषाओं का एक व्यापक सर्वेक्षण है , जिसमें 364 भाषाओं और बोलियों का वर्णन किया गया है । [१] सर्वेक्षण का प्रस्ताव सबसे पहले भारतीय सिविल सेवा के एक सदस्य जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने दिया था और एक भाषाविद् जिन्होंने सितंबर 1886 में वियना में आयोजित सातवीं अंतर्राष्ट्रीय ओरिएंटल कांग्रेस में भाग लिया। उन्होंने भाषाई सर्वेक्षण का प्रस्ताव रखा और इसे शुरू में भारत सरकार ने ठुकरा दिया। यह दिखाने और प्रदर्शित करने के बाद कि यह उचित लागत पर सरकारी अधिकारियों के मौजूदा नेटवर्क का उपयोग करके किया जा सकता है, इसे 1891 में अनुमोदित किया गया था। हालांकि इसे औपचारिक रूप से केवल 1894 में शुरू किया गया था और अंतिम परिणाम प्रकाशित होने के साथ सर्वेक्षण तीस वर्षों तक जारी रहा। १९२८ में।

जून 1920 में सर्वेक्षण के पीछे का आदमी, ग्रियर्सन। नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी, लंदन से फोटो 

एलएसआई [2] का एक ऑन-लाइन खोज योग्य डेटाबेस उपलब्ध है, जो ग्रियर्सन के मूल प्रकाशन में दिखाई देने वाले प्रत्येक शब्द के लिए एक अंश प्रदान करता है। इसके अलावाब्रिटिश लाइब्रेरी है ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग अपनी आवाज संग्रह में [3] जो दस्तावेज़ स्वर विज्ञान 

विधि और समालोचना

ग्रियर्सन ने पूरे भारत से डेटा एकत्र करने के लिए सरकारी अधिकारियों का उपयोग किया। उन्होंने जानकारी एकत्र करने वाले अधिकारियों के लिए प्रपत्र और मार्गदर्शन सामग्री बनाई। डेटा एकत्र करने और समझ की स्पष्टता की एकरूपता सुनिश्चित करने में कई समस्याएं थीं। एक अधिकारी ने एक घर से भाषा का नाम नोट करने में भी कठिनाई महसूस की। साक्षात्कारकर्ता अपनी भाषा का नाम अपनी जाति के नाम पर रखेंगे। [४]

ग्रियर्सन द्वारा इंगित मानचित्रों और सीमाओं का उपयोग अक्सर राजनीतिक समूहों द्वारा राज्य की सीमाओं के पुनर्गठन के लिए किया जाता है। [४]

वॉल्यूम की सूची

1898 से 1928 तक ग्रियर्सन द्वारा प्रकाशित संस्करणों की सूची इस प्रकार है:

  • I. भाग I परिचय

भाग II भारतीय भाषाओं की तुलनात्मक शब्दावली

  • द्वितीय सोम-खमेर और ताई परिवार
  • III भाग I हिमालयी बोलियाँ, उत्तर असम समूह

भाग II बोडो-नागा और तिब्बती-बर्मन भाषाओं के कोचीन समूह

भाग III तिब्बती-बर्मन भाषाओं के कुकी-चिन और बर्मा समूह

भाग बंगाली-असमिया

भाग II बिहारी और उड़िया

  • VI इंडो-आर्यन भाषाएं, मध्यस्थ समूह ( पूर्वी हिंदी )
  • VII इंडो-आर्यन भाषाएँ, दक्षिणी समूह ( मराठी )
  • आठवीं इंडो-आर्यन भाषाएं, उत्तर-पश्चिमी समूह

भाग सिंधी और लहंडा

भाग II दर्दिक या पिसाचा भाषाएँ ( कश्मीरी सहित )

  • IX. इंडो-आर्यन लैंग्वेज, सेंट्रल ग्रुप

भाग पश्चिमी हिंदी और पंजाबी

भाग II राजस्थानी और गुजराती

भाग III भील भाषाएँ जिनमें खांडेसी , बंजारी या लाभानी , बहरूपिया आदि शामिल हैं।

भाग IV पहाड़ी भाषाएँ और गुजराती

उक्त लिंक पर जाकर इसे पूरा पढ़ सकते हैं...

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(3) https://archive.org/details/LSIV0-V11/LSI-V0-1898/

इस लिंक पर जाकर संपूर्ण सर्वेक्षण अंग्रेजी में प्राप्त किया जा सकता है।

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