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Wednesday, January 1, 2020

संदिग्धार्थकता और अनेकार्थकता


संदिग्धार्थकता और अनेकार्थकता
(1) संदिग्धार्थकता (Ambiguity)
किसी शब्दपदबंध या वाक्य का ऐसा प्रयोग जिसमें उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हों ‘संदिग्धार्थकता’ है। प्रत्येक भाषा में कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका प्रयोग एक से अधिक शब्दवर्गों के लिए होता है। ऐसे शब्दों को संदिग्धार्थक शब्द कहा जाता है। शब्द स्तर पर प्राप्त होने वाली संदिग्धार्थक स्थिति को ‘शाब्दिक संदिग्धार्थकता’ कहते हैं। इसी प्रकार वाक्य में पदबंधों का प्रयोग होने पर भी कुछ विशेष प्रकार की संरचनाओं में संदिग्धार्थकता की स्थिति  जाती है। इसे ‘संरचनात्मक संदिग्धार्थकता’ कहते हैं। शाब्दिक संदिग्धार्थकता की स्थिति में वाक्य में प्रयुक्त शब्द के ही दो शब्दवर्ग होते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित तीन वाक्यों में सोना शब्द के प्रयोग को देखें
1.      मुझे दिन में ही सोना पड़ता है।
2.      वैश्विक माँग के कारण सोना महँगा हो गया है।
3.      मुझे सोना चाहिए।
 इनमें पहले वाक्य में ‘सोना’ क्रिया हैदूसरे में ‘संज्ञा’ है। किंतु तीसरे वाक्य में स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि यह ‘संज्ञा’ है या ‘क्रिया। यही स्थिति संदिग्धार्थकता है जो शब्द स्तर की होने के कारण शाब्दिक संदिग्धार्थकता कहलाती है। हिंदी में ऐसे कई प्रयोग पाए जाते हैंजैसे - ‘आम’ शब्द के भी दो शब्दवर्ग हैं  ‘संज्ञा’ (मुझे आम चाहिए) और ‘विशेषण’ (मैं आम आदमी हूँ)। इसी प्रकार संरचनात्मक संदिग्धार्थकता में एक से अधिक अर्थों की स्थिति प्राप्त होती है। यह स्थिति वाक्य स्तर पर होती है। ऐसे वाक्यों में आए पदबंध मूलत: किसी अन्य वाक्य के रूपांतरण होते हैं जो पदबंध के रूप में वाक्य में प्रयुक्त होते हैं। इन वाक्यों का विसंदिग्धिकरण चॉम्स्की की बाह्य संरचना (surface structure) और आंतरिक संरचना (deep structure) की संकल्पना का प्रयोग करते हुए सरलता से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए  ‘मैंने दौड़ते हुए शेर को देखा।’ वाक्य में ‘दौड़ते हुए शेर’ एक संदिग्धार्थक संरचना है। इसके विसंदिग्धिकरण के लिए हमें इसकी आंतरिक संरचना में आए दोनों वाक्यों को अलग-अलग व्याख्यायित करना होगायथा 
मैंने शेर को देखाशेर दौड़ रहा था।
मैंने शेर को देखामैं दौड़ रहा था।
(2) अनेकार्थकता (Polysemy)
किसी शब्द का एक ही शब्दवर्ग में एक से अधिक अर्थ होने की अवस्था अनेकार्थकता है। उदाहारण-
कनक      – संज्ञा – सोना; धतूरा
पानी        - संज्ञा – जल; इज्जत
चोटी       - संज्ञा – शिखर; बालों का गुच्छा
ऊपर आपने संदिग्धार्थकता के बारे में देखा। जब एक शब्द के एक से अधिक शब्दवर्ग (जैसे- सोना = संज्ञा या क्रिया; आम = संज्ञा या विशेषण आदि) हों तो यह स्थिति संदिग्धार्थकता है, जबकि एक ही शब्दवर्ग (जैसा कि ऊपर तीन शब्दों के केवल संज्ञा वर्ग में दो-दो अर्थ दिखाए गए हैं) में एक से अधिक अर्थ होना अनेकार्थकता है। इसे अंग्रेजी शब्द ‘play’ के दो शब्दवर्गों संज्ञा (noun) और क्रिया’ (verb) में एक से अधिक अर्थ देखकर और सरलता से समझ सकते हैं-
Meanings of play in Hindi


noun 
verb 
अर्थ संदर्भ-

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