समुच्चय से निसृत अर्थ (Meaning Derived from Set)
‘समुच्चय’
गणित में प्रयुक्त होने वाली अवधारणा है। आधुनिक अर्थविज्ञान में आर्थी विश्लेषण
में गणितीय विधियों का प्रयोग करने का भी प्रयास किया गया है। इस प्रकार विकसित
विधा को ‘गणितीय अर्थविज्ञान’
(Mathematical Semantics) अथवा
मॉडल-सैद्धांतिक अर्थविज्ञान (Model-theoretic semantics) नाम दिया गया है। गणित के क्षेत्र से लेकर इसमें प्रयोग
की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं-
समुच्चय (Set)-
एक समान या भिन्न-भिन्न
प्रकार की वस्तुओं सुपरिभाषित समूह समुच्चय कहलाता है। किसी समुच्चय में जितने सदस्य
होते हैं, उतना उसका आकार
(size) माना जाता है। उदाहरण के
लिए ‘1,2,3,4,5,6,7,8,9’ कुछ संख्याएँ हैं। इन्हें अंकों के समुच्चय digits में
इस प्रकार से रखा जा सकता है-
digits = {1,2,3,4,5,6,7,8,9}
चूँकि इसमें कुल नौ अंक हैं।
इसलिए इसका आकार (size) 09 माना जाएगा। यदि इसमें शून्य को सम्मिलित
कर लिया जाए तो इसका आकार 10 हो जाएगा और स्वरूप निम्नलिखित होगा-
digits = {0,1,2,3,4,5,6,7,8,9}
इस अवधारणा का प्रयोग करते हुए
मॉडल-सैद्धांतिक अर्थविज्ञान में समान प्रकार के शब्दों के समुच्चय बनाए जाते हैं, जैसे-
पुरुष नामों का समुच्चय X = {राम, श्याम, मोहन, रमेश, कार्तिक ...}
स्त्री नामों का समुच्चय Y =
{सीता, गीता, सरला, मोहिनी, पूजा
...}
रंगों का समुच्चय Z =
{लाल, पीला, नीला, हरा, काला, सफेद
...}
इनके माध्यम से वाक्यों में प्रयुक्त
शब्दों से व्यक्त अर्थों के सत्यता मानों का परीक्षण किया जा सकता है और उपयुक्त वाक्यों
का प्रजनन किया जा सकता है। उदाहरण के लिए –
‘गाना’ क्रिया
का कर्ता समुच्चय ‘X’ अथवा ‘Y’ का
सदस्य ही हो सकता है।
राम + गाना ....
सीता + गाना ....
शब्द समूहों द्वारा वाक्य बनाए
जा सकते हैं, किंतु –
लाल + गाना
पीला + गाना
शब्द समूहों द्वारा वाक्य नहीं
बनाए जा सकते।
अन्य अवधारणाएँ
उपसमुच्चय (Subset) –
सदस्य (Member) –
यूनियन (Union) -
सर्वनिष्ठ (Intersection) -
कार्डिनैलिटी (Cardinality) -
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