भाषा क्षमता एवं भाषा व्यवहार (Language Competence and
Language Performance)
प्रजनक व्याकरण के जनक नोऑम चॉम्स्की द्वारा किसी व्यक्ति के भाषा ज्ञान और उसके
द्वारा किए जाने वाले भाषा व्यवहार के संदर्भ में दो अवधारणाएँ दी गई हैं- भाषा
क्षमता एवं भाषा व्यवहार। इन्हें संक्षेप में इस प्रकार समझ सकते हैं-
भाषा क्षमता (Language Competence)
भाषा क्षमता किसी भाषा प्रयोक्ता की वह मानसिक क्षमता है, जिसके आधार पर वह वाक्यों को सुनता, समझता
एवं अभिव्यक्त करता है या कर सकता है। भाषा व्यवहार के लिए संबंधित भाषा का कोश और
नियम भाषाभाषी के मस्तिष्क में अमूर्त रूप से स्थापित रहते हैं। नियमों की इस व्यवस्था
में स्वनिमिक, रूपिमिक, वाक्यीय एवं आर्थी
सभी प्रकार की उपव्यवस्थाएँ सम्मिलित होती हैं। इन सभी का संपूर्ण ज्ञान ही व्यक्ति
की भाषा क्षमता है।
भाषा क्षमता के अंतर्गत व्यक्ति की ऐसे वाक्य बनाने या समझने की वह कुशलता भी आ
जाती है, जिसका उसने कभी प्रयोग न किया हो।
अपनी भाषा क्षमता के आधार पर भाषाभाषी यह बताने के सक्षम होता है कि उसके सम्मुख
प्रस्तुत कोई वाक्य उसकी भाषा का है नहीं। उदाहरण के लिए हिंदी के संदर्भ में निम्नलिखित
दो वाक्यों को देखें-
· मैं भारतीय हूँ।
· वतशिवा इंदोजिन देसु।
ये दोनों वाक्य देवनागरी में लिखे गए हैं, किंतु कोई
भी हिंदी भाषी इन्हें देखकर बता देगा कि दूसरा वाक्य हिंदी भाषा का नहीं है।
इसी प्रकार भाषा के क्षमता के अंतर्गत संदिग्धार्थक वाक्यों का अर्थ समझना, व्याकरणिक या आर्थी दृष्टि से अशुद्ध वाक्यों को पहचान लेना आदि
भी आते हैं। उदाहरण के लिए हिंदी के संदर्भ में निम्नलिखित दो वाक्यों को देखें-
· मैं भारतीय हूँ।
· मैं भारतीय है।
कोई भी हिंदी भाषी बता देगा कि दूसरा वाक्य अशुद्ध (व्याकरण की दृष्टि से) है।
भाषा व्यवहार (Language Performance)
किसी व्यक्ति द्वारा अपने जीवन में किया जाने वाला भाषा का वास्तविक व्यवहार भाषा
व्यवहार है। इसमें व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला शब्द चयन, वाक्य रचना प्रयोग वाचन शैली आदि सभी आ जाते हैं। उदाहरण के लिए
एक हिंदी भाषी निम्नलिखित तीन में से किसी भी वाक्य का प्रयोग पुस्तक माँगने के लिए
कर सकता है-
· मुझे पुस्तक दीजिए।
· मुझे किताब दीजिए।
· मुझे बुक दीजिए।
इनमें एक ही वस्तु के लिए तीन शब्दों का ज्ञान होना व्यक्ति की ‘भाषा क्षमता’ है, किंतु
वह इनमें से किसी एक ही प्रकार के वाक्य या शब्द का प्रयोग करते हुए व्यवहार करता है।
यह उसका भाषा व्यवहार है।
भाषा व्यवहार में व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले विशेष प्रयोग, त्रुटियाँ, अभिरुचि और संदर्भ आदि सभी भाषायी
और मनोवैज्ञानिक तथ्य आ जाते हैं।
बहुत ही सुंदर लेख है थैंक्यू sir
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