संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान और मनोभाषाविज्ञान
(Cognitive Linguistics and Psycholinguistics)
मानव मन का वह भाग जो उसे बाह्य संसार
से जोड़ता है, संज्ञान कहलाता है। संज्ञान के अंतर्गत
मानव मन की वे सभी युक्तियां आती हैं, जिनके माध्यम से वह
अपने परिवेश के साथ अंतरक्रिया करता है। स्मृति, तर्क, भाषा, ध्यान (attention) आदि
इस प्रकार की प्रमुख युक्तियां हैं। संज्ञान मानव मन का एक अंग या भाग होने के
कारण ‘संज्ञानात्मक विज्ञान’
मनोविज्ञान का एक अंग है। ‘संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान’ संज्ञानात्मक विज्ञान और भाषाविज्ञान के योग से विकसित ज्ञानशाखा है, जो संज्ञान और भाषा के अंतःसंबंधों पर फोकस करती है।
मनोभाषाविज्ञान मैं मानव मन और भाषा
के बीच संबंध और अंतरक्रिया का अध्ययन किया जाता है। अतः संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान
की विषयवस्तु एक प्रकार से मनोभाषाविज्ञान की विषयवस्तु का अंग तो हो जाती है, किंतु मनोभाषाविज्ञान की विषयवस्तु अत्यधिक विस्तृत है। इस कारण वह केवल
उन्हीं बिंदुओं पर फोकस नहीं कर पाता, जिन पर संज्ञानात्मक
भाषाविज्ञान करता है। संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान मूलतः भाषा उत्पादन और भाषा बोधन
के संदर्भ में संज्ञान की युक्तियों की स्थिति और कार्य-प्रक्रिया पर अपना विशेष
फोकस करता है, किंतु मनोभाषाविज्ञान भाषा अर्जन, भाषा अधिगम, भाषा उत्पादन,
भाषा बोधन, भाषा विकार, भाषा और
मस्तिष्क जैसे अनेक विषयों को अपने
अंतर्गत समाहित करता है। अतः मनोभाषाविज्ञान मानव मन और भाषा के संबंधों को समझने
का एक विस्तृत ज्ञान क्षेत्र है, जबकि संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान
मानव संज्ञान और भाषा के विशिष्ट पक्षों को फोकस करते हुए विकसित नवीन ज्ञानशाखा
है।
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