संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान और प्रोक्ति विश्लेषण
(Cognitive Linguistics and Discourse analysis)
प्रोक्ति विश्लेषण भाषाविज्ञान की वह
शाखा है, जिसके अंतर्गत प्रोक्ति के स्वरूप, इसकी संरचना और
प्रोक्ति से संबंध विविध पक्षों, जैसे- प्रोक्ति और पाठ, प्रोक्ति और संदर्भ, वाक् व्यापार, वाक् घटनाएं आदि का अध्ययन किया जाता है। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से
प्रोक्ति के क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में काम किया गया है, जिससे एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि प्रोक्ति भी भाषा का अभिन्न अंग है
तथा मानव मन में केवल शब्द संरचना, वाक्य संरचना जैसी
संरचनाएं ही नहीं होतीं, बल्कि प्रोक्ति संरचनाएं भी होती
हैं। इसी कारण कुछ विद्वानों ने तो यहां तक कहा है-
भाषा प्रोक्तियों को संरचित और अभिव्यक्त करने
वाली व्यवस्था है।
अर्थात विद्वानों की एक ऐसी धारा है जो यह मानती
है कि मानव मन में प्रोक्तियाँ ही संग्रहित होती हैं। ध्वनि, शब्द, वाक्य आदि इकाइयों का काम तो केवल उन
प्रोक्ति को अभिव्यक्त करने के लिए छोटे-छोटे ध्वनि समूहों की व्यवस्था प्रदान
करना है।
अतः प्रोक्ति विश्लेषण भी
संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान से सीधे-सीधे संबद्ध है,
क्योंकि यदि संज्ञान और भाषा के संबंध को ठीक से समझना है तो हमें मानव मन या मानव
संज्ञान में प्रोक्ति संरचनाओं के स्वरूप को समझना अतिआवश्यक हो जाता है और वह तभी
संभव हो पाएगा, जब संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान प्रोक्ति
विश्लेषण से प्राप्त निष्कर्षों को भी अपने अध्ययन-विश्लेषण में स्थान दे।
No comments:
Post a Comment