Total Pageviews

Friday, December 24, 2021

व्यतिरेकी विश्लेषण (Contrastive Analysis)

व्यतिरेकी विश्लेषण (Contrastive Analysis)

मातृभाषा व्याघात की समस्या से बचने के लिए भाषा शिक्षकों द्वारा शिक्षार्थी की मातृभाषा और लक्ष्य भाषाओं की तुलना करते हुए उनमें प्राप्त होने वाली समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण किया जाता है, जिसे व्यतिरेकी विश्लेषण (Contrastive Analysis) कहते हैं। चूँकि समान भिन्नताएँ ही शिक्षार्थी को नई भाषा सीखने में समस्या उत्पन्न करती हैं, इसी कारण व्यतिरेकी विश्लेषण मूलतः भिन्नताओं पर केंद्रित होता है।

(नोट- यह भाषाविज्ञान में प्रचलित तुलनात्मक अध्ययन पद्धति से भिन्न है, जो समानताओं पर केंद्रित होती है)

व्यतिरेकी विश्लेषण में भाषाओं की स्थिति-

विद्यार्थी                    मातृभाषा        ß à लक्ष्य भाषा

(L1)                        (L2)

व्यतिरेकी विश्लेषण का कार्य भाषा के सभी स्तरों पर किया जाता/ जा सकता है। जिस स्तर पर व्यतिरेक प्राप्त होता है, उसी के अनुरूप शिक्षण बिंदु तैयार किए जाते हैं, जैसे -



व्यतिरेकी विश्लेषण संबंधी कार्य दो प्रकार के होते हैं-

और पढ़ें-

व्यतिरेकी विश्लेषण एवं भाषा शिक्षण


No comments:

Post a Comment