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आभ्यंतर (Aabhyantar)
SCONLI-12
विशेषांक ISSN : 2348-7771
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3. हिंदी मानववाची नामपदों का संरचनात्मक विश्लेषण
(नामपद अभिज्ञानक के विशेष संदर्भ में)
अभिजीत प्रसाद : पी-एच.डी.
भाषाविज्ञान एवं भाषा
प्रौद्योगिकी,
म.गां.अं.हिं.वि. वर्धा
शोध-सारांश
नामपद वे घटक हैं जिनके
द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड की केवल एक ही इकाई का बोध होता है; पारंपरिक व्याकरण में
ऐसे शब्द ‘व्यक्तिवाचक संज्ञा’ हैं लेकिन प्राकृतिक
भाषा संसाधन (प्रा.भा.सं.-NLP)
में इन्हें ही ‘नामपद’ कहा गया है। नामपद अभिज्ञानक प्रा.भा.सं.का एक अनुप्रयुक्त क्षेत्र है जिसका उपयोग सूचना प्रत्ययन, मशीनी अनुवाद, वार्ता प्रणाली आदि क्षेत्रों में किया जाता है। नामपद के मुख्य तीन प्रकार- मानववाची, स्थानवाची और संस्थावाची हैं। इनमें ‘मानववाची’ अत्यधिक विविधतापूर्ण है। इसके पाठ में प्रयोग की आवृत्ति भी बहुत अधिक है। इसलिए
प्रा.भा.सं.
में ‘नामपद अभिज्ञानक’ (NER) तैयार करना एक
कठिन कार्य है। इसके लिए नामपदों का विस्तृत अध्ययन या विश्लेषण कर तार्किक नियम
तैयार करना आवश्यक अंग बन जाता है। जिन शब्दों से किसी व्यक्ति (मानव)
के नाम का बोध होता है उसे मानववाची नामपद कहते हैं।
मानववाची नामपद का प्रयोग मानव द्वारा सामाज में किसी व्यक्ति विशेष को संबोधित
करने,
अन्य व्यक्तियों में उनकी पहचान, अलग करने आदि उद्देश्य के लिए किया जाता है। जैसे- सोनू,
मोहन, राजू,
रमेश, पूजा,
ममता, प्रिती,
रेखा, अनिता आदि। मानववाची नामपदों में
बहुत अधिक विविधता पाई जाती है। उदाहरण के लिए-
लिंग को आधार मानकर देखें तो ‘लड़के और लड़कियों’ के नाम अलग-अलग रखे जाते हैं। इसी प्रकार धर्म के आधार पर भी ‘हिंदू व मुस्लिम’ नामों में अंतर होता है। पाठ विश्लेषण की दृष्टि से नामपदों को ‘पद संयोजन’
के आधार पर देखें तो कहीं एक शब्द के नाम से काम चल जाता है
तो कहीं एक से अधिक पदों को जोड़कर नामपदों का निर्माण किया जाता है। पद संयोजन से यहाँ आशय किसी नामपद
में प्रयुक्त शब्दों की संख्या से है जिससे किसी नाम की अभिव्यक्ति होती हो। कुछ व्यक्तियों का नाम
एक ही शब्द
का होता है तो
कुछ व्यक्तियों का एक से अधिक शब्दों का। दो या दो से अधिक
पदों
(या घटकों)
को जोड़कर मानववाची नामपदों का निर्माण किया जाता है। किस प्रकार किसी नामपद का निर्माण
किया जा सकता है तथा इनमें मुख्य रूप सहायक घटक कौन-कौन हो सकते हैं जिनसे नामों का निर्माण होता है? प्रस्तुस शोध-पत्र में मानववाची नामों की निर्माण-प्रक्रिया तथा सहायक घटकों के संरचनात्मक पक्ष का विश्लेषण किया गया है।
1. प्रस्तावना
‘नामपद’
‘नाम’
(name) + ‘पद’
(entity) दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘नाम (name)’
एक ऐसा पद (term) है जिसका प्रयोग किसी वस्तु की पहचान (identification) करने के लिए किया जाता है और ‘पद (entity)’ एक ऐसी इकाई है जिससे किसी वस्तु, गुण, मात्रा आदि का ज्ञान होता है। पारंपरिक व्याकरण में नामों की पहचान कराने वाली
इकाइयों को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- ताजमहल,
दिल्ली, यमुना, श्रीकृष्ण आदि। प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP) में इन्हें ही ‘नामपद’
(name entity) कहा गया है। इसके कई प्रकार हैं, जिनमें
मानववाची नाम, स्थानवाची नाम,
या संस्थावाची मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त कुछ विद्वानों ने
अंकीय मान जैसे-
दिनांक (date), समय
(time), मात्रा (measure) को भी नाम के अंतर्गत
रखा है। नाम के संदर्भ में निम्नलिखित गद्यांश को देखें-
जागरण
संवाददाता, गाजीपुर
:
नेहरू युवा केंद्र के तत्वावधान में मंगलवार को करंडा विकास
खंड स्थित माता भाग्यमानी देवी महिला डिग्री
कालेज सहेड़ी में
ब्लाक स्तरीय देश भक्ति एवं राष्ट्र निर्माण विषयक भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में ग्राम मुड़वल
से राजलक्ष्मी सिंह प्रथम स्थान, इसी गांव की नीलम सिंह द्वितीय स्थान और ग्राम भितुवा की शिखा यादव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
इस अवसर पर नागेंद्र कुमार सिंह
राज
प्रशिक्षक नेहरू युवा केंद्र संगठन, प्रदीप कुमार, मनोज कुमार, धर्मेंद्र गिरी उपस्थित थे।[1]
उपरोक्त पाठ में नेहरू युवा केंद्र, और माता भाग्यमानी देवी
महिला डिग्री कालेज,
संस्थावाची नाम तथा गाजीपुर, करंडा,
सहेड़ी, मुड़वल, भितुवा,
स्थानवाची नाम है और राजलक्ष्मी
सिंह, नीलम सिंह,
शिखा यादव, नागेंद्र कुमार सिंह राज,
प्रदीप कुमार, मनोज कुमार, धर्मेंद्र गिरी मानववाची नाम हैं। इस प्रकार किसी पाठ में नामों का प्रयोग किया जाता है। इन नामों को
नामपद के प्रकारों में वर्गीकृत कर अलग-अलग (मानव, स्थान व संस्था में)
किया जाता है। इनके प्रयोग में अनेक विभिन्नताएँ देखी जा
सकती है जिसके आधार इनके भी कई उपवर्ग कर सकते हैं।
मशीनी संसाधन हेतु नामपदों की रूप-रचना, प्रयोग तथा इनमें पाई जाने वाली विविधताएँ आदि पक्षों का अध्ययन करना आवश्यक
होता है। प्रस्तुत शोध-पत्र में हिंदी में पाए जाने वाले मानववाची नामों के स्वरूप एवं संरचनाओं का
विश्लेषण किया गया है।
2. मानववाची नामपद का स्वरूप
जिन
शब्दों से किसी व्यक्ति (पुरुष, महिला) के नाम बोध होता है उसे मानववाची नामपद कहते हैं।
सामान्य व्यवहार में इसे ‘नाम’
(Name) कहा गया हैं। इनका प्रयोग मानव
समाज में किसी व्यक्ति विशेष को संबोधित करने, अन्य व्यक्तियों में उनकी पहचान या अलग करने आदि के लिए किया जाता है। मानववाची नामपदों में
बहुत अधिक विविधता पाई जाती है। उदाहरण के लिए- लिंग को आधार मानकर देखें तो ‘पुरुष और स्त्री’ के नाम अलग-अलग रखे जाते हैं। इसी प्रकार धर्म के आधार पर भी ‘हिंदू व मुस्लिम’ नामों में अंतर होता है। शब्द-संख्या की दृष्टि से इन्हें ‘एकशब्दीय’, जैसे- मोहन, कृष्ण, अनिल, द्विपदीय जैसे- राम प्रकाश, राज बहादुर, अभय नारायण तथा ‘बहुपदीय’, जैसे- अमित कुमार राय या अनिल कुमार ठाकुर आदि
में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रत्येक भाषा की अपनी एक संरचना और व्यवस्था होती है। इसका
प्रभाव नामपद में देखा जा सकता है। भाषा विशेष के आधार पर मानववाची नामपदों (मा. ना.) में पाई जाने वाली विभिन्नता को देख सकते हैं। उदाहरण
स्वरूप राजेश कुमार मौर्या, अनिल
सिंह यादव (हिंदी
मा.ना.) शिवाजीराव निलंगेकर, तुषार
वानखेड़े, कैलाश खामरे (मराठी मा.ना.)
के चेंगलाराय रेड्डी, बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा, राधाकृष्ण हेगडे (कन्नड़ मा.ना.)
शिंजो अबे, तारो असो, (जपानी मा.ना.)
शी जिनपिंग, ली क्विंग (चाइनीज मा.ना.)
आदि। इन नामों में अंतर भाषा के विशेष लक्षण, तत्व के आधार पर मिलता है। इस तरह भाषा-भेद के आधार पर मानववाची नामपद (अन्य नामपद भी) अलग-अलग
होते हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक, व्यावहारिक,
पारंपरिक, और जाति-वर्गगत भेद,
भौगोलिक क्षेत्र आदि अन्य आधारों पर भी नामपदों में अंतर को देखा जा सकता है।
प्रस्तुत शोध-पत्र ‘हिंदी मानववाची नामपद’
(Human Name Entity -HNE) से
संबंधित है। जिसमें आगे ‘पद-संयोजन’ के आधार पर नामपदों का संरचनात्मक विश्लेषण की चर्चा की जा रही है।
3. पद-संयोजन के आधार पर मानववाची नामपद का वर्गीकरण
पद संयोजन
से यहाँ आशय किसी नामपद में प्रयुक्त पदों
की संख्या से है जिससे किसी एक नाम की अभिव्यक्ति होती हो।
कुछ व्यक्तियों का नाम एक शब्द/पद का होता है
तथा कुछ व्यक्तियों का एक से
अधिक शब्दों का भी। जैसे-
‘मोहन’ एक नाम है तथा ‘कृष्ण मोहन’
भी एक ही नाम है जबकि इसमें पदों की संख्या को देंखे तो दो
पद हैं जो एक साथ प्रयुक्त होकर एक इकाई के रूप में कार्य कर रहा है। इस तरह स्वतंत्र एक पद किसी व्यक्ति का नाम हो सकता है तथा एक से अधिक पद एक
साथ परस्पर जुड़कर एक नाम हो सकता है। दो से अधिक पद भी आपस में जुड़कर एक नाम का
निर्माण करते हैं। ऐसे नामों को बहुपदीय नाम (multi words name) कहा गया है। बहुपदीय नामों में एक पद मुख्य होता है तथा अन्य पद (घटक)
उस पर आश्रित या उससे संबंधित होता है। ये अन्य घटक भाषा की
संरचनात्मक इकाई का हिस्सा होती है या भाषा के आर्थीय पक्ष में अन्य जानकारी को
अभिव्यक्त करती है।
इस प्रकार पद-संयोजन के अंतर्गत अन्य पदों/घटकों की सहायता से
मानववाची नामपदों का निर्माण किया जाता है। बहुपदीय नामपदों का निर्माण प्रक्रिया
में मुख्य रूप से उपनाम (surname)
सहायक होते हैं लेकिन इसके अलावा अन्य ऐसे भी घटक हैं जिनकी
सहायता से नामों का निर्माण होता है। मानववाची नामपदों के निर्माण में प्रयुक्त
पदों/घटकों
की संख्या के आधार पर इनकी व्याख्या निम्न वर्गों में
वर्गीकृत कर की जा सकती है-
1. एकपदीय नामपद (Single word HNE)
2. द्विपदीय नामपद (Double
words HNE)
3. बहुपदीय नामपद (Multi
words HNE)
3.1.
एकपदीय नामपद (Single word HNE)
ऐसे नामपद जिसमें केवल एक ही पद (शब्द) हो, उसे ‘एकपदीय नामपद’
(single word name entity) कहा गया है जैसे- विनोद,
सुनिल, अरबिंद, सीमा,
पूनम, बबीता आदि। यहाँ एकपदीय
नामपद का संबंध व्यक्ति के मुख्य नाम (केवल नाम) से है अर्थात इसमें किसी पूर्वनामपद (pre-name words) या उपनाम (surname)
के जुड़े रूप को नहीं लिया गया है। पूर्वनामपद वे पद हैं जो
किसी व्यक्ति के नाम से पूर्व प्रयोग किया जाता है। जैसे-श्री, श्रीमति, सुश्री आदि। इनका प्रयोग सम्मानसूचक शब्द के रूप में किया जाता है। उपनाम वे
पद हैं जो किसी जाति, वर्ग या कुल, वंश को व्यक्त करने वाली इकाई के रूप में कार्य करता है। यदि पूर्वनामपद तथा
उपनाम को एकपदीय नामपद का हिस्सा बना लिया जाए तो ऐसे बहुत कम नाम होंगे जो केवल
एकपदीय नामपद हो। इसलिए एकपदीय नामपद के रूप में उन्हें ही लिया गया जो संपूर्ण
नामपद में शीर्ष-शब्द (head
word) हो।
उदाहरण के लिए
पुरुषवाची नाम- राजेंद्र,
श्री राजेंद्र प्रसाद, राजेंद्र सिंह यादव, तथा स्त्रीवाची नाम सुनीता, सुनीता यादव, कुमारी सुनीता, सुश्री सुनीता
यादव,
सुनीता सिंह यादव हैं। इन नामों में पदों की संख्या अलग-अलग हैं लेकिन पुरुषवाची
नाम में ‘राजेंद्र’ तथा स्त्रीवाची में ‘सुनीता’ शीर्ष-शब्द (मूल नाम)
है। अतः ये एकपदीय नामपद हैं। इनमें प्रयुक्त अन्य पद श्री, सुश्री पूर्वनामपद तथा प्रसाद, मिश्र, यादव, सिंह उपनाम हैं। इस प्रकार एकपदीय नामपद के अंतर्गत एक स्वत्रंत नाम की बात
की गई है। हिंदी मानववाची नामों में पुरुषवाची और स्त्रीवाची एकपदीय नामों की
संख्या अत्यधिक है। इसके अन्य उदाहरण को निम्न तालिका में देख सकते हैं-
पुलिंग नाम स्त्रीलिंग नाम
¦ गौतम,
सुजीत, मोहन ¦ खुश्बू,
काजल, रितु
¦ रत्नेश,
अंकित, महेश ¦ वैशाली,
पूनम, नीलम
¦ विनय,
सौरभ, बलराम ¦ सोनाली,
अनिता, अनुराधा
¦ राहुल,
राकेश, मुकेश इत्यादि। ¦
महिमा, सीमा, सरिता इत्यादि।
इसके अलावा दो पदों की सहायता से भी
एकपदीय नामों का निर्माण किया जाता हैं। जब किसी नाम में दो पदों का जोड़कर उसे एक
साथ लिखा जाए तो ऐसे नाम एकपदीय नाम होंगे। एकपदीय नामों के निर्माण में सहायक
शब्द पूर्व तथा बाद दोनों रूप में प्रयुक्त होकर नए नामपदों का निर्माण करती हैं।
एकपदीय नाम के निर्माण-प्रक्रिया को निम्न संरचनाओं द्वारा समझा जा सकता है-
3.1.1. बाद में प्रयुक्त होने वाले पद
ऐसे घटक जिनका प्रयोग किसी नाम के बाद में जोड़कर अन्य नामपद बनाने में किया
जाता है। इनकी सहायता से बनने वाले अन्य नामों के स्वरूप एवं संरचना को निम्न
उदाहरणों में देख सकते हैं-
(1) ‘शरण’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + शरण = रामशरण
शिव + शरण = शिवशरण
शंभु + शरण =
शंभुशरण
(2) ‘चरण’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + चरण = रामचरण
शिव +
चरण = शिवचरण
गुरु + चरण = गुरुचरण
(3) ‘नाथ’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + नाथ = रामनाथ
छवि + नाथ = छविनाथ
भोला + नाथ = भोलानाथ
(4) ‘नंद’ (नन्द)
जोड़कर बनने वाले नाम-
सदा + नंद = सदानंद
विद्या + नंद = विद्यानंद
शिव + नंद = शिवनंद
(5) ‘आनंद’ जोड़कर बनने वाले नाम-
विवेक + आनंद = विवेकानंद
नित्य + आनंद = नित्यानंद
संपूर्ण + आनंद = संपूर्णानंद
(6) ‘नंदन’ (नन्दन)
जोड़कर बनने वाले नाम-
रघु + नंदन = रघुनंदन
सुख + नंदन = सुखनंदन
अभि + नंदन = अभिनंदन
(7) ‘कांत’ (कान्त)
जोड़कर बनने वाले नाम-
निशि + कांत = निशिकांत
लक्ष्मी + कांत = लक्ष्मीकांत
कमल + कांत = कमलकांत
(8) ‘जीत’ जोड़कर बनने वाले नाम-
सु + जीत = सुजीत
विश्व + जीत = विश्वजीत
अमर +
जीत = अमरजीत
(9) ‘लाल’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + लाल = रामलाल
मुन्ना + लाल = मुन्नालाल
वंश + लाल = वंशलाल
(10) ‘चंद्र’ (चन्द्र)
जोड़कर बनने वाले नाम-
ज्ञान + चंद्र = ज्ञानचंद्र
हरिश + चंद्र = हरिशचंद्र
गुलाब + चंद्र = गुबालचंद्र
(11) ‘दास’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + दास = रामदास
शिव + दास = शिवदास
ठाकुर + दास = ठाकुरदास
(12) ‘पाल’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + पाल = रामपाल
विजय + पाल = विजयपाल
धर्म + पाल = धर्मपाल
(13) ‘राज’ जोड़कर बनने वाले नाम-
ऋतु + राज = ऋतुराज
धर्म + राज = धर्मराज
गिरि + राज = गिरिराज
(14) ‘देव’ जोड़कर बनने वाले नाम-
वासु + देव = वासुदेव
इंद्र + देव = इंद्रेदेव
ईश्वर + देव = ईश्वरदेव
(15) ‘दीप’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राज + दीप = राजदीप
कुल + दीप = कुलदीप
अमर +
दीप = अमरदीप
3.1.2. पूर्व में प्रयुक्त होने वाले पद
ऐसे घटक जिनका प्रयोग किसी नाम के पूर्व में जोड़कर दूसरे नामपद बनाने में किया
जाता है। इनकी सहायता से बनने वाले अन्य नामों के स्वरूप एवं संरचना को निम्न
उदाहरणों में देख सकते हैं-
(1) ‘चंद्र’ जोड़कर बनने वाले नाम-
चंद्र + भूषण = चंद्रभूषण
चंद्र + प्रकाश = चंद्रप्रकाश
चंद्र + शेखर = चंद्रशेखर
(2) ‘जय’ जोड़कर बनने वाले नाम-
जय +
कुमार = जयकुमार
जय +
प्रकाश = जयप्रकाश
जय +
शंकर = जयशंकर
(3) ‘दया’ जोड़कर बनने वाले नाम-
दया +
नंद = दयानंद
दया +
शंकर = दयाशंकर
दया +
राम = दयाराम
(4)
‘देव’ जोड़कर बनने वाले
नाम-
देव +
मूर्ति = देवमूर्ति
देव +
चंद्र = देवचंद्र
देव +
लाल = देवलाल
इस प्रकार हिंदी में ऐसे अनेक नाम हैं जिनका निर्माण अन्य पदों की सहायता से
की जाती है। ये संरचना के स्तर पर एक साथ लिखे जाने के कारण इन्हें एकपदीय नामपद
के अंतर्गत रखा गया है। कभी-कभी कुछ लोग इन नामों
में पदों के बीच विराम (space)
का प्रयोग करते हैं; यदि इन नामों के पदों में
विराम का प्रयोग कर दिया जाए तो ये नाम द्विपदीय नामपद हो जाएँगे। द्विपदीय नामपद
के बारे में आगे चर्चा है।
3.2. द्विपदीय नामपद (Double words HNE)- ऐसे नाम जिनमें दो पदों का प्रयोग किया गया हो; वे द्विपदीय नामपद (double
words name entity) हैं। जैसे- राम बहादुर,
सत्य प्रकाश, ओम प्रकाश, प्रेम नारायण,
शैल कुमारी, रश्मि रानी आदि।
द्विपदीय नामपद में अनेक ऐसे घटक प्राप्त होते हैं जो एकपदीय नामों के पूर्व या
बाद में प्रयुक्त होकर दूसरे नामों का निर्माण कर सकते हैं। इस प्रकार द्विपदीय
नामपदों के निर्माण में सहायक घटकों या पदों को नामपद के निर्माण की इकाई के रूप
में उनका संरचनात्मक विश्लेषण किया जा सकता है। द्विपदीय नामों की निर्माण
प्रक्रिया भी एकपदीय नामपद की तरह होती है। इस प्रकार द्विपदीय नामपदों के निर्माण
में सहायक घटकों या पदों से निर्मित नामपदों के निर्माण-प्रक्रिया को निम्न संरचनाओं द्वारा समझा जा सकता है-
3.2.1 बाद में प्रयुक्त होने वाले पद
(1) ‘नारायण’ जोड़कर बनने वाले नाम-
विभूति + नारायण = विभूति नारायण
प्रताप + नारायण = प्रताप नारायण
अभय + नारायण = अभय नारायण
(2) ‘बहादुर’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम + बहादुर = राम बहादुर
वीर + बहादुर = वीर
बहादुर
शिव + बहादुर = शिव
बहादुर
(3) ‘सागर’ जोड़कर बनने वाले नाम-
शिव
+ सागर = शिव सागर
राम +
सागर = राम सागर
विद्या + सागर = विद्या सागर
(4) ‘प्रकाश’ जोड़कर बनने वाले नाम-
वेद +
प्रकाश = देव प्रकाश
ओम +
प्रकाश = ओम प्रकाश
ज्योति + प्रकाश = ज्योति प्रकाश
(5) ‘शंकर’ जोड़कर बनने वाले नाम-
दिव्य + शंकर = दिव्य शंकर
कृपा +
शंकर = कृपा शंकर
गौरी +
शंकर = गौरी शंकर
(6) ‘प्रताप’ जोड़कर बनने वाले नाम-
पियूष + प्रताप = पियूष प्रताप
अमरेंद्र + प्रताप = अमरेंद्र प्रताप
भानू +
प्रताप = भानू प्रताप
(7) ‘मोहन’ जोड़कर बनने वाले नाम-
शिव +
मोहन = शिव मोहन
बृज +
मोहन = बृज मोहन
राधा +
मोहन = राधा मोहन
(8) ‘बिहारी’ जोड़कर बनने वाले नाम-
कृष्ण + बिहारी = कृष्ण बिहारी
बृज +
बिहारी = बृज बिहारी
श्याम + बिहारी = श्याम बिहारी
(9) ‘कुमार’ जोड़कर बनने वाले नाम-
कृष्ण + कुमार = कृष्ण कुमार
विजय +
कुमार = विजय कुमार
विनय +
कुमार = विनय कुमार
(10) ‘किशोर’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम +
किशोर = राम किशोर
जुगल +
किशोर = जुगल किशोर
कमल +
किशोर = कमल किशोर
3.2.2 पूर्व में प्रयुक्त होने बनाने वाले पद
(1) ‘राम’ जोड़कर बनने वाले नाम-
राम +
यश = रामयश
राम +
सूरत = रामसूरत
राम +
धनी = रामधनी
(2) ‘शिव’ जोड़कर बनने वाले नाम-
शिव +
बहादुर = शिव बहादुर
शिव +
मोहन = शिव मोहन
शिव +
मंगल = शिव मंगल
(3) ‘लाल’ जोड़कर बनने वाले नाम-
लाल +
बहादुर = लाल बहादुर
लाल +
विजय = लाल विजय
लाल +
बिहारी = लाल बिहारी
(4) ‘श्री’ जोड़कर बनने वाले नाम-
श्री +
नारायण = श्री नारायण
श्री +
प्रकाश = श्री प्रकाश
श्री +
भगवान = श्री भगवान
(5) ‘सत्य’ जोड़कर बनने वाले नाम-
सत्य + प्रकाश = सत्य प्रकाश
सत्य + नारायण = सत्य नारायण
सत्य + देव = सत्य देव
(6) ‘हरि’ जोड़कर बनने वाले नाम-
हरि +
मोहन = हरि मोहन
हरि +
प्रताप = हरि प्रताप
हरि +
नारायण = हरि नारायण
(7) ‘कृष्ण’ जोड़कर बनने वाले नाम-
कृष्ण + बिहारी = कृष्ण बिहारी
कृष्ण + कुमार = कृष्ण कुमार
कृष्ण + कांत = कृष्ण कांत
(8) ‘श्याम’ जोड़कर बनने वाले नाम-
श्याम + बहादुर = श्याम बहादुर
श्याम + नारायण = श्याम नारायण
श्याम + बिहारी = श्याम बिहारी
इस तरह हिंदी में ऐसे बहुत नाम हैं जिनके पूर्व में राम, शिव, लाल, श्री, सत्य, कृष्ण, श्याम आदि पदों तथा बाद में नारायण, बहादुर, सागर, प्रकाश, शंकर, प्रताप, मोहन, बिहारी, कुमार, किशोर आदि पदों को जोड़कर द्विपदीय नामपदों का निर्माण किया जाता है। इस
प्रकार पद-संयोजन के आधार पर इनमें मिलने वाली समानताओं एवं बनने वाली इकाइयों का
विश्लेषित किया जा सकता है जिनकी सहायता से द्विपदीय नामपदों का निर्माण संभव है।
इसके अलावा अनेक ऐसे द्विपदीय नाम हैं जिनका दूसरा पद नाम में विशिष्टता या प्रभाव
आदि के रूप प्रयोग रहता है।
उदाहरण के लिए-
सतेंद्र शुभम प्रमोद प्रेमी आदित्यनाथ योगी
रामधनी प्रधान गुड्डु रंगीला
रश्मि रानी माया त्यागी खुश्बू उत्तम अरबिंद अकेला मुन्ना पहलवान
सीता राम राधा मोहन ज्योति प्रकाश विजय लक्ष्मी सुधीर सुदामा इत्यादि।
उपरोक्त प्रकार के कई नामपद प्रयोग
होते हैं जिनका दूसरा पद व्यक्ति के इच्छानुसार हो सकता है। ऐसा किसी मूल या
एकपदीय नाम के साथ स्वेच्छा से रहता है लेकिन ये नाम का मुख्य हिस्सा होने के कारण
ऐसे नामों को भी संरचना के स्तर पर द्विपदीय नामपद के अंतर्गत रखा जाएगा।
o द्विपदीय नामपद और एकपदीय नामपद में संबंध
एकपदीय और द्विपदीय नामपदों के बीच समानता भी देखी जा सकती है। वे सभी एकपदीय
नाम द्विपदीय नामपद हो सकते हैं जिनका निर्माण में दो पदों के योग हुआ हो लेकिन
दोंनो पदों के बीच विराम (space)
का प्रयोग किया गया हो। इसके विपरीत वे सभी द्विपदीय नाम
एकपदीय नामपद हो सकते हैं जब पदों के बीच विराम (space) प्रयोग न हो अर्थात उनके बीच के विराम को हटा दिया जाए। उदाहरण के लिए-
एकपदीय नामपद द्विपदीय नामपद
विजयबहादुर - विजय बहादुर
श्यामनारायण -
श्याम नारायण
मनोजकुमार - मनोज कुमार
लालबिहारी - लाल बिहारी
शिवमोहन - शिव मोहन
विनयकुमार - विनय कुमार
रामकिशोर - राम किशोर
अमरेंद्रप्रताप - अमरेंद्र प्रताप
शिवसागर - शिव सागर
विजयपाल - विजय पाल
मुन्नालाल - मुन्ना लाल
कमलकांत -
कमल कांत इत्यादि।
पदों की संख्या के स्तर पर इनमें दो-दो पद हैं लेकिन निर्माण
के बाद एक साथ होने पर एकपदीय तथा अलग-अलग होने पर द्विपदीय
नामपद होंगे।
इसे ऐसे कह सकते हैं कि यदि इन्हें एक साथ लिखा जाएगा तो ये
नाम एकपदीय होंगे तथा अलग-अलग होने पर यही नाम द्विपदीय होंगे। इनके बीच विराम रखने या विराम नहीं रखने
के लिए कोई नियम, तर्क या किसी मानकता की कहीं बात नहीं की गई। यह व्यक्ति के इच्छानुसार एक
साथ या अलग रखा सकता है। ऐसे नामों में इस अंतर को समझना मानव के लिए बहुत आसान है
परंतु मशीन को इसे समझना/समझाना कठिन है क्योंकि मशीन की दृष्टि से यह अलग-अलग दो नाम होंगे। जैसे- मशीन हेतु ‘मनोजकुमार’ और ‘मनोज कुमार’ ये दो नाम हैं। इस प्रकार ऐसे सभी नामों को दो-दो मद (item)
मानकर मानववाची नामपद डाटा (data) में प्रवेश (entry) करनी पड़ेगी। इससे मानववाची नामपद के डाटा में वृद्धि होगी क्योंकि इनके दोनों
रूपों को वहाँ शामिल करना होगा। इसलिए मशीन हेतु मानवाची नामपदों का संरचना की
दृष्टि से विश्लेषण करना एक महत्वपूर्ण कार्य है।
3.3. बहुपदीय नामपद (Multi
words HNE)
बहुपदीय नामपद वे नामपद
हैं जिनमें दो से
अधिक पदों (शब्दों) का
प्रयोग किया गया हो और वे परस्पर एक साथ जुड़कर एक ही नाम का कार्य करे। अर्थात वे नाम जो दो से अधिक पदों या घटकों को जोड़कर बनाया गया हो, बहुपदीय नाम है;
जैसे- मुकुल बिहारी सरोज, ओम प्रकाश वाल्मीकि,
मोहन किशोर दिवान, आनंद प्रकाश
दीक्षित,
गिरिजा कुमार माथुर, बाबू गोपाल राम
गहमरी, अबुल पाकिर जैनूल अब्दिन अब्दुल कलाम आदि। किसी व्यक्ति द्वारा अपने नाम को
सबसे भिन्न या महत्वपूर्ण बनाने के लिए नाम के साथ अन्य पद जोड़कर बहुपदीय नाम
बनाया जा सकता है। इसके अलावा बहुपदीय नामों में ऐसे नामों को रखा जा सकता है
जिसमें पुत्र और पिता के नाम को साथ में लिखा जाता है। जैसे- अश्वनी कुमार रामप्रवेश कुशवाहा, विजयलाल शिव
गोपाल ठाकुर आदि ऐसा प्रारूप (format) मुख्य रूप से दस्तावेजों
या बैंक फॉर्म आदि में लिखा मिलता है। इस संदर्भ में ‘धमाल’
फिल्म का एक दृश्य जिसमें एक व्यक्ति अपना पूरा नाम ‘अइय्यर,
वेणु गोपाल अइय्यर ...’ बता रहा है; प्रसंग को याद किया जा सकता है।
इस प्रकार हिंदी में ऐसे
अनेक बहुपदीय नामपद प्राप्त होते हैं। इनके निर्माण-प्रक्रिया में ऐसे पद नहीं मिलते हैं जिनकी सहायता से अन्य नामपदों का निर्माण
किया जा सके। केवल विशिष्ट नाम के रूप में ऐसे नामों का निर्माण किया जाता है।
पुरुषवाची बहुपदीय नामों की संख्या सीमित है तथा स्त्रीवाची नामों में इनकी संख्या न के बराबर है।
4.
निष्कर्ष
इस प्रकार हम देख सकते
हैं कि मानववाची नामपदों में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है तथा इनका किसी पाठ में
प्रयोग होने की आवृत्ति बहुत अधिक है। इन विविधताओं को लिंग, धर्म, जाति, वर्ग आदि आधारों पर वर्गीकृत कर सकते हैं तो भाषाविज्ञान की दृष्टिकोण से
भाषा, पद-संयोजन, पद प्रमुखता आदि के आधार पर। यहाँ पद-संयोजन के आधार पर हमने
देखा कि मानववाची नामपदों को एकपदीय (signal word), द्विपदीय (double
words) तथा बहुपदीय (multi words) के रूप में रख सकते हैं। प्रस्तुत शोध-पत्र में इनके
संरचनात्मक पक्ष को प्रस्तुत किया गया है जिसमें मुख्य रूप में एकपदीय, द्विपदीय और बहुपदीय नामपदों की आंतरिक संरचना, निर्माण-प्रक्रिया तथा उनके निर्माण में सहायक इकाइयों (पदों)
की विस्तार से चर्चा की गई है, जो नामपद अभिज्ञान/अभिज्ञानक (NER)
हेतु मानववाची नामों के संग्रह एवं नियम निर्माण में उपयोगी
होगा।
नामपद अभिज्ञानक प्रा.भा.सं.का एक अनुप्रयुक्त क्षेत्र है जिसका उपयोग सूचना प्रत्ययन, मशीनी अनुवाद, वार्ता प्रणाली आदि क्षेत्रों में किया जाता है। इसके लिए नामपदों का विस्तृत
अध्ययन या विश्लेषण कर तार्किक नियम तैयार करना एक आवश्यक अंग है। प्रस्तुत शोध-पत्र में मानववाची नामपद के संरचनात्मक पक्ष को रखने का प्रयास किया गया है।
यह हिंदी के क्षेत्र में ‘नामपद अभिज्ञानक’
(NER) के विकास में सहायक हो सकता है।
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Santoshi Sekine and Elisabete Ranchhod Named
Entities: Recognition, Classification, and Use Jonh Benjamins Publishing
Company
शोध-पत्र
A Review of Name
Entity Recognition (NER) in Hindi
A survey of Named
Entity Recognition and classification
A Deeper Look into
Features for NE Resolution in Indian Languages
Named Entity
Recognition
for Indian Languages
Named Entity
Recognition
for Telugu using
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