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आभ्यंतर (Aabhyantar)
SCONLI-12
विशेषांक ISSN : 2348-7771
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35.
पवारी-हिंदी क्रिया पदबंधों के घटकों का व्यतिरेकी विश्लेषण
तुफान सिंह पारधी : पी.एच-डी.
(आई.एल.ई.) सूचना एवं भाषा अभियांत्रिकी केन्द्र
सारांश (Abstract): प्रस्तुत शोध-पत्र के माध्यम से पवारी
एवं हिंदी भाषा के वाक्य संरचना में प्रयुक्त क्रिया पदबंधों के घटकों का व्यतिरेकी
विश्लेषण किया गया है। पवारी एवं हिंदी दोनों एक ही भाषा परिवार से हैं, इसलिए दोनों की व्याकरणिक
संरचना लगभग एक ही तरह की है तथा दोनों की लिपि (देवनागरी) भी
एक ही है। बावजूद इसके पवारी एवं हिंदी भाषा के वाक्य संरचना में प्रयुक्त घटकों
में काफी भिन्नता देखने को मिलती है, जिसके आधार पर उनके बीच व्यतिरेक को देखा जा सकता
है। व्यतिरेकी विश्लेषण के अंतर्गत तुलनात्मक अध्ययन भी मौजूद होता है, इसलिए यहां पर पवारी एवं
हिंदी भाषा की वाक्य संरचना में प्रयुक्त क्रिया पदंबधों के घटकों के बीच तुलना
करते हुए विभिन्न व्यतिरेक को रेखांकित भी किया गया है। जिनका विस्तृत विश्लेषण
इस शोध-पत्र के माध्यम से देखा जा सकता है।
मुख्य शब्द (Keywords): पवारी, हिंदी, क्रिया पदबंध, वाक्य संरचना, व्यतिरेकी विश्लेषण।
प्रस्तावना (Introduction):
पवारी भाषा पवार जाति में बोली जाने वाली भाषा है, जो बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, भण्डारा, गोंदिया, नागपुर आदि क्षेत्रों में
बोली जाती है। पवारी भाषा ‘कथित भाषा’ (बोली) की श्रेणी में आती है। पवारी भाषा में हिंदी भाषा का अधिक प्रयोग मिलता है और
कुछ हिंदी शब्दों को मात्राओं के माध्यम से पवारी में रूपांतरित किया जाता है।
पवारी भाषा की स्थिति खतरे में है इसलिए इसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इसके
संरक्षण तथा संवर्धन की आवश्यकता है। पवारी बोलने वालों पर हिंदी, अंग्रेजी एवं मराठी का
प्रभाव तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे यह भाषा विलुप्त होने की कगार पर आ गई है।
प्रस्तुत शोध-पत्र के अंतर्गत पवारी-हिंदी भाषा के वाक्य संरचना में प्रयुक्त होने वाले क्रिया पदबंधों के सभी
रूपों के बीच उत्पन्न होने वाले व्यतिरेक का गहन अध्ययन एवं विश्लेषण किया
गया है।
क्रिया पदबंध :
किसी भी भाषा में क्रिया पदबंधों का एक महत्वपूर्ण
स्थान होता है, जिसके बिना वाक्य संरचना की कल्पना करना असंभव है। वाक्य में क्रिया ही वह
भाग होता है जो पूरे वाक्य की संरचना को नियंत्रित करता है एवं क्रिया के द्वारा
ही पता चलता है कि वाक्य संरचना में कितने घटक प्रयुक्त हो सकते हैं। क्रियाएं
जब वाक्य में प्रयुक्त होती हैं तो क्रिया पदबंध कहलाती हैं। जिसके शीर्ष में
क्रिया होती है एवं अन्य पद उसी पर आश्रित होते हैं। वाक्य संरचना में क्रिया
पदबंध के मुख्य रूप से दो घटक मौजूद होते हैं, मुख्य क्रिया एवं सहायक क्रिया। मुख्य क्रिया के
द्वारा हमें शब्द के अर्थ अथवा कार्य-व्यापार का बोध होता है और सहायक क्रिया से कार्य-व्यापार के काल, वचन, पक्ष, वृत्ति, वाच्य आदि से संबंधित व्याकरणिक
सूचना का बोध होता है।
पवारी-हिंदी में क्रिया पदबंध :
पवारी एवं हिंदी दोनों ही भाषाओं में क्रिया पदबंध मुख्य क्रिया एवं सहायक
क्रिया के योग से बनती है। जैसे-
हिंदी में
|
खा रहा है।
|
जा चुका है।
|
पवारी में
|
खाय रही से।
|
चली गई से।
|
उपर्युक्त दोनों भाषा में मुख्य क्रिया के बाद ही
सहायक क्रिया प्रयुक्त होती है। अर्थ एवं रूप के स्तर पर पवारी एवं हिंदी क्रिया
पदबंध की संपूर्ण संरचना को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:
सहायक क्रिया : हिंदी एवं पवारी भाषा की सहायक क्रियाएं पूर्णत: एक-दूसरे से भिन्न हैं, जो कभी-कभी मुख्य क्रिया के साथ
ही प्रयुक्त होती हैं, तो कभी स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त होती हैं। दोनों भाषाओं की सहायक क्रिया
को निम्न रूप से समझा जा सकता है।
हिंदी सहायक क्रिया
|
पवारी सहायक
क्रिया
|
||||
पक्ष
|
वृत्ति
|
काल
|
पक्ष
|
वृत्ति
|
काल
|
-ता
|
-ए
|
है
|
-नो
|
-ए
|
से
|
-या
|
-एगा
|
था
|
-यो
|
-ए
|
होतो
|
मुख्य क्रिया : पवारी एवं हिंदी भाषा की मुख्य क्रिया की मूल धातुएं लगभग
एकसमान रूप में ही प्रयुक्त होती हैं, लेकिन इनमें प्रत्यय भिन्न-भिन्न रूप में प्रयुक्त
होते हैं। जैसे-
हिंदी मूल धातु
|
प्रत्यय
|
पवारी मूल धातु
|
प्रत्यय
|
कट
|
ना
|
कट
|
नो
|
खा
|
ता
|
खा
|
नो
|
इस प्रकार मुख्य क्रिया को
संरचना के आधार पर निम्न भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. सरल क्रिया : हिंदी की तरह की पवारी भाषा में क्रिया की मूल धातु
से बनने वाली अधिकांश क्रियाएं एक ही शब्द में प्रयुक्त होती हैं, जिन्हें सरल क्रिया कहा जाता है। इनमें धातु के
अकर्मक, सकर्मक और प्रेरणार्थक सभी रूप शामिल हैं। जैसे :
हिंदी सरल क्रिया
|
पवारी सरल क्रिया
|
कट
|
कट
|
काट
|
काट
|
काटना
|
काटनो
|
कटवाना
|
कटवावनों
|
2. मिश्र क्रिया: हिंदी की तरह ही पवारी में भी मिश्र क्रिया संज्ञा
या विशेषण शब्दों के बाद ‘कर’ या ‘हो’ आदि क्रियाकरों के योग से ही बनती
हैं, लेकिन पवारी भाषा में कभी-कभी हिंदी के समानांतर शब्द नहीं होने के कारण
मिश्र क्रिया के रूप में बदलाव देखने को पर्याप्त मात्रा में मिलता है। जिसे निम्न
में उदाहरण स्वरूप देखा जा सकता है। जैसे :
हिंदी मिश्र क्रिया
|
पवारी मिश्र क्रिया
|
इंतजार करना
|
रास्ता देखनो
|
मालूम होना
|
पता चलनो
|
शादी करना
|
बिहा करनो
|
3. यौगिक क्रिया : वाक्य में जब क्रिया
संरचना के द्वारा दो कोशीय अर्थ का बोध हो तब इस प्रकार की क्रिया संरचना यौगिक
क्रिया होती है। जैसे-
हिंदी संयुक्त क्रिया
|
पवारी संयुक्त क्रिया
|
खा आया
|
खायकर आयो
|
खरीद दी
|
लेय देयों
|
ले गया
|
लिजाय लिस
|
4. संयुक्त क्रिया : संयुक्त क्रिया की रचना
दो क्रियाओं के योग से होती है, जिनमें से पहली क्रिया हमेशा धातु रूप में होती है
और दूसरी क्रिया में काल-पक्ष आदि के रूप-प्रत्यय जुड़ते हैं। पवारी भाषा में भी हिंदी की तरह ही संयुक्त क्रिया
प्रयुक्त होती है। हिंदी की तुलना में पवारी भाषा की संयुक्त क्रिया के दूसरी
क्रिया में अंतर देखने को मिलता है, जिसे निम्नवत समझा जा सकता है। जैसे:
हिंदी संयुक्त क्रिया
|
पवारी संयुक्त क्रिया
|
फेंक दी
|
फेक देयो
|
रो पड़ी
|
रोय पड़ी
|
खा लिया
|
खाय लियो
|
कर्म के आधार पर क्रिया निम्न दो प्रकार की होती हैं-
1. अकर्मक क्रिया 2. सकर्मक क्रिया
1. अकर्मक क्रियाएं : अकर्मक क्रिया के अंतर्गत
वे क्रियाएं शामिल हैं, जो कर्म की आकांक्षा नहीं करती।
हिंदी अकर्मक क्रिया
|
पवारी अकर्मक क्रिया
|
ईश्वर है।
|
भगवान से।
|
बच्चा रो रहा है।
|
टुरा रोय रही से।
|
सभी किताबें बिक गईं।
|
पुरी पुस्तक बिकाय गईन।
|
2. सकर्मक क्रियाएं : सकर्मक क्रिया के अंतर्गत
वे क्रियाएं शामिल हैं जो वाक्य में कर्म की आकांक्षा करती हैं। ये कर्म संज्ञा
के रूप में भी हो सकते हैं, भावार्थ संज्ञा और उपवाक्य के रूप में भी। जिसे निम्न तालिका के माध्यम से
समझा जा सकता है।
हिंदी सकर्मक क्रिया
|
पवारी सकर्मक क्रिया
|
|
हम लोग चाय पी रहे हैं।
|
हामी लोग चाय पीय रया सेजन।
|
|
हरीश अपनी पत्नी को पीटता है।
|
हरीश आपरी बायको ला पीट से।
|
|
मैं कार चलाना जानता हूँ।
|
मी कार चलावनो जानुसू।
|
निष्कर्ष :
प्रस्तुत शोध-पत्र के अंतर्गत पवारी एवं हिंदी भाषा की वाक्य
संरचना के अंतर्गत क्रिया पदबंधों के बीच प्रयुक्त घटकों का व्यतिरेकी विश्लेषण
किया गया है। पवारी और हिंदी का क्रिया पदबंध के स्तर पर अनेक समानताएँ और
विषमताएँ मिलती है, इसमें पवारी एवं हिंदी भाषा में अत्यधिक समानता प्राप्त होती है। दोनों ही
भाषाओं की मूल धातुएं लगभग समान ही प्रयुक्त होती हैं, जबकि प्रत्यय एवं सहायक
क्रिया भिन्न-भिन्न रूप में प्रयुक्त की जाती है, जो दोनों भाषाओं के बीच व्यतिरेक पैदा करती है।
विषमता के स्तर पर दोनों के क्रिया रूप संरचना में अधिक अंतर होता है।
संदर्भ-सूची :
1.
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2.
टेंभरे, दामोदर ब्रजलाल. (1967). पंवार जाति का इतिहास. बालाघाट: बघरेचा प्रिटिंग प्रेस
3.
सिंह, सूरजभान. (2015). अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण.दिल्ली: प्रभात प्रकाशन
4.
बासुतकर, म. मा. (1985). हिंदी-मराठी क्रिया पदबंध (व्यतिरेकी विश्लेषण). आगरा: केंद्रीय हिंदी संस्थान
5.
सक्सेना, रामप्रकाश एवं सपना तिवारी. (2016). हिंदी तथा मराठी का व्यतिरेकी विश्लेषण. रायपुर: वैभव प्रकाशन
6.
पांडेय, अनिल कुमार. (2010). हिंदी संरचना के विविध पक्ष. नई दिल्ली: प्रकाशन संस्थान
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