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आभ्यंतर (Aabhyantar)
SCONLI-12
विशेषांक ISSN : 2348-7771
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30. मैथिली भाषा में आदरसूचक शब्दों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन
श्वेतांगी कुमारी, शिशिर कुमार : पी-एच.डी. (ILE) म.गां.अं.हिं.वि. वर्धा
सारांश
मैथिली भाषा के नाम का प्रयोग प्रदेश के आधार पर किया जाता है। Ethnologue –language of world में इसकी कोडिंग है – iso 639-3 language code-mai ।
१८०१ ई. में एच.टी. कोलब्रुक नामक अंग्रेज ने अपनी पुस्तक ‘एशियाटिक रिसर्चेज’ में
सर्वप्रथम स्पष्टतः ‘मैथिली’ नाम का प्रयोग किया । तत्पश्चात विलियम केरी ने भी
इसे यही नाम दिया परंतु ‘मैथिली’ नाम को स्थिर करने का श्रेय 1880 में सर जार्ज ग्रियर्सन को ही दिया जा सकता है । प्रायः हर भाषा में
मध्यमपुरुष (second person) के लिए व्यक्ति के प्रतिष्ठा के
अनुसार विभिन्न प्रकार के सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है या यूँ कहे कि सर्वनाम
की जगह अन्य प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे- फारसी में हजूर
(महिमा), अंग्रेजी में “Your honour”, संस्कृत में “भवान”
इत्यादि. प्रस्तुत शोध-पत्र में मैथिली भाषा के आदरसूचक शब्दों की व्याख्या भाषा
वैज्ञानिक आधार पर करने की चेष्टा की गई है
मैथिली समाज में बड़े से लेकर छोटे बच्चें तक को आदरसूचक शब्दों द्वारा ही
संबोधन करने का प्रचलन है।
आदर
|
एकवचन
|
बहुवचन
|
क्रिया का वर्तमानकाल बोधक
(Marker)
|
क्रिया का भूतकाल बोधक (Marker)
|
क्रिया का भविष्यकाल बोधक (Marker)
|
उच्चतम आदर
|
ई
|
ई सब
|
(∅)
|
(ल)
|
(ब)
|
उच्च आदर
|
अपने
|
अपने सब
|
|
|
|
मध्य आदर
|
अहाँ
|
अहाँ सब
|
|
|
|
निम्न आदर
|
तों
|
तों सब
|
|
|
|
निम्नतम आदर
|
तों
|
तों सब
|
|
|
|
अपने कता जाइत छैत? (उच्च आदर) –मैथिली
əpəne
k ə t̪[ aː
dʒ aːɪ t̪
tʃʰɛ t̪?
You
Where Go
आप कहाँ जा रहे हैं?- हिंदी
ap
k əɦɑ̃
dʒ a
r əɦ e
ɦɛ̃?
You Where
Go
तों कता जाइत छहक ? (निम्न आदर)-मैथिली
You
where Go
तुम कहाँ जा रहे हो? -
हिंदी
मुख्य शब्द :- मैथिली, आदरसूचक, क्रिया
परिचय :
मैथिली भाषा भारोपीयन (इंडो-आर्यन) परिवार के अंतर्गत आने वाली भारत की 16 वीं
तथा विश्व की 40 वीं सबसे बड़ी भाषा है। संविधान के अष्टम अनुसूची में 2002 में
इसको स्थान दिया गया। मैथिली एक प्राचीन तथा समृद्ध भाषा है। यह भारत के बिहार
राज्य तथा नेपाल देश के एक बड़े विस्तृत एवं सघन क्षेत्र की मातृभाषा है। वर्तमान
काल में इसे मिथिला कहा जाता है। यह भाषा प्रदेश तीन प्राचीन राज्यों- वैशाली, विदेह, तथा अंग का मिला हुआ रूप है। बिहार के चौदह जिलों मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, समस्तीपुर,
मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मुंगेर, बेगुसराय, भागलपुर, पूर्णिया, अररिया, कटिहार और नेपाल के तराई क्षेत्रों में यह बोली जाती है। नेपाल की यह
द्वितीय राजभाषा है। इसका क्षेत्र लगभग 30,000 वर्गमील में
व्याप्त है। हिंदी भाषा के अनुरूप मैथिली का भी शब्द क्रम (Word Order) कर्ता, कर्म, क्रिया (SOV) है तथा मैथिली को रूपसाधकीय (Inflectionally)
समृद्ध भाषा माना जाता है। मैथिली भाषा को लिंगनिरपेक्ष भाषा माना जाता है तथा
इसके क्रिया पद को भी व्यापक माना जाता है। मैथिली भाषा में आदरसूचक शब्दों का
स्थान महत्वपूर्ण है तथा अन्य भारतीय भाषाओं की अपेक्षा अधिकतम भी है।
मैथिली भाषा में पांच स्तर पर आदरसूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है.
१.
मैथिली भाषा में पांच स्तर पर आदरसूचक शब्दों का प्रयोग
किया जाता है.
आदर
|
एक वचन
|
बहुवचन
|
उच्चतम आदर
|
ई
|
ई सब
|
उच्च आदर
|
अपने
|
अपने सब
|
मध्य आदर
|
अहाँ
|
अहाँ सब
|
निम्न आदर
|
तों
|
तों सब
|
निम्नतम आदर
|
तों
|
तों सब
|
परंतु मैथिली भाषा में आदर के कारण क्रिया में जटिलता (complication)पैदा होती
है. इसमें मध्यम पुरुष का निर्देश प्रतिष्ठा के क्रम में निम्नलिखित रूप में किया
जाता है :-
जैसे- वर्तमान काल (∅), भूतकाल (ल), भविष्यकाल (ब) में क्रिया के काल के बोधक के
अनुसार क्रिया में परिवर्तन नहीं होता है-
वर्तमान बोधक (∅)
|
भूतकाल बोधक (ल)
|
भविष्यकाल बोधक (ब)
|
छैथ (उच्चतम आदर )
|
कहलथि (उच्चतम आदर)
|
कहताह (उच्चतम आदर)
|
छथिन्ह (उच्च आदर)
|
कहलथिन्ह (उच्च आदर)
|
कहथुन्ह (उच्चआदर)
|
छथुन्ह (मध्य आदर)
|
कहलहुं (मध्यआदर)
|
कहतहु (मध्यआदर)
|
छहक (निम्नआदर)
|
कहलह (निम्न आदर)
|
कहबह (निम्न आदर)
|
छै (निम्नतम आदर)
|
कहलकै (निम्नतम आदर)
|
कहतह (निम्नतम आदर)
|
हिंदी की वर्तमान क्रिया पद ‘है, हैं, हो’ का
अनुवाद मैथिली में प्रसंगानुसार इक्कीस रूप में होता है –
क्रिया + आदरसूचक
|
वर्तमान काल बोधक
|
धातु+प्रत्यय (रूपसाधक)
|
छी (निम्नतम आदर )
|
∅
|
छ+ई
|
छिऔक
|
∅
|
छ+इऔक
|
छिअहु
|
∅
|
छ+इअहु
|
छिऐक
|
∅
|
छ+इऐक
|
छिएन्ह
|
∅
|
छ+इएन्ह
|
छँ (निम्न आदर)
|
∅
|
छ+एं
|
छहिक (निम्नतम आदर)
|
∅
|
छ+हिक
|
छहुन्ह
|
∅
|
छ+हुन्ह
|
छह (निम्न आदर)
|
∅
|
छ+ह
|
छहक (निम्नआदर)
|
∅
|
छ+हक
|
छहुन्ह
|
∅
|
छ+हुन्ह
|
अछि (निम्नतम आदर)
|
∅
|
अछ+इ
|
छौक (निम्नतम आदर)
|
∅
|
छ+औक
|
छहु
|
∅
|
छ+उहु
|
छैक
|
∅
|
छ+ऐक
|
छैन्ह
|
∅
|
छ+ऐन्ह
|
छथि/छैथ (उच्तमआदर)
|
∅
|
छ+इथ
|
छथुन्ह (मध्यआदर)
|
∅
|
छ+थुन्ह
|
छथुन्ह (मध्यआदर)
|
∅
|
छ+थुन्ह
|
छथिन्ह (उच्चआदर)
|
∅
|
छ+थिन्ह
|
छथिन्ह (उच्चआदर)
|
∅
|
छ+थिइन्ह
|
इसी क्रम में भूतकाल क्रिया
था,थे,थीका अनुवाद मैथिली में प्रसंगानुसार
इक्कीस रूप में होता है –
क्रिया+आदरसूचक
|
भूतकाल बोधक
|
धातु+प्रत्यय (रूपसाधक )
|
छली/छलहुँ (निम्न आदर)
|
(ल)
|
छल+ई/छल+हउंह
|
छलिऔक (निम्न आदर)
|
(ल)
|
छल+इऔक
|
छलिअहु
|
(ल)
|
छल+ इअहु
|
छलिऐक
|
(ल)
|
छल+ इऐक
|
छलिऐन्ह
|
(ल)
|
छल+इऐन्ह
|
छलँ/छलहिँ
|
(ल)
|
छल+एं/छल+हिं
|
छलहिक
|
(ल)
|
छल+इहक
|
छलहुन्ह
|
(ल)
|
छल+हुन्ह
|
छलह (निम्न आदर)
|
(ल)
|
छल+ह
|
छलहक (निम्न आदर)
|
(ल)
|
छल+हक
|
छलहुन्ह
|
(ल)
|
छल+हुन्ह
|
छल (निम्न आदर )
|
(ल)
|
छ+ल
|
छलौक (निम्नतम आदर)
|
(ल)
|
छल+औक
|
छलहु
|
(ल)
|
छल+हु
|
छलैक (निम्नतम आदर)
|
(ल)
|
छल+ऐक
|
छलैन्ह
|
(ल)
|
छल+ऐन्ह
|
छलथि/छलाह (उच्चतम आदर)
|
(ल)
|
छल+थि/छल+आह
|
छलथुन्ह/छलथुक (मध्यआदर)
|
(ल)
|
छल+थुन्ह/छल+थुक
|
छलथुन्ह (मध्यआदर)
|
(ल)
|
छल+थुन्ह
|
छलथिन्ह/ छलथिक (उच्चआदर)
|
(ल)
|
छल+थिन्ह/छल+थिक
|
छलथिन्ह (उच्चआदर)
|
(ल)
|
छल+थिन्ह
|
इसी क्रम में भविष्यकाल क्रिया गा, गे, गी का अनुवाद मैथिली में प्रसंगानुसार इक्कीस रूप में
होता है-
क्रिया+आदरसूचक
|
भविष्य काल बोधक
|
धातु+प्रत्यय (रूपसाधक )
|
कहब (निम्न आदर)
|
(ब)
|
कह+ब
|
कहबौक (निम्न आदर)
|
(ब)
|
कह+बऔक
|
कहबहु
|
(ब)
|
कह+बहु
|
कहबैक
|
(ब)
|
कह+बैक
|
कहबैन्ह
|
(ब)
|
कह+बैन्ह
|
कहबेँ
|
(ब)
|
कह+बें
|
कहबहिक
|
(ब)
|
कह+बहिक
|
कहबहुन्ह
|
(ब)
|
कह+बहुन्ह
|
कहबह (निम्न आदर)
|
(ब)
|
कह+बह
|
कहबहक (निम्न आदर)
|
(ब)
|
कह+बहक
|
कहबहुन्ह
|
(ब)
|
कह+बहुन्ह
|
कहत (निम्न आदर )
|
(ब)
|
कह+त
|
कहतौक (निम्नतम आदर)
|
(ब)
|
कह+तौक
|
कहतहु
|
(ब)
|
कह+तहु
|
कहतैक (निम्नतम आदर)
|
(ब)
|
कह+तैक
|
कहतैन्ह
|
(ब)
|
कह+तैन्ह
|
कहताह (उच्चतम आदर)
|
(ब)
|
कह+ताह
|
कहथुन्ह (मध्यआदर)
|
(ब)
|
कह+थुन्ह
|
कहथुन्ह (मध्यआदर)
|
(ब)
|
कह+थुन्ह
|
कहथिन्ह (उच्चआदर)
|
(ब)
|
कह+थिन्ह
|
कहथिन्ह (उच्चआदर)
|
(ब)
|
कह+थिन्ह
|
मैथिली भाषा में आदरसूचक शब्दों की अधिकता तथा
क्रियापद की जटिलता एवं विस्तृत होने की कारण
किसी भी प्रकार के भाषाई टूल्स के निर्माण में काफी समस्याएँ पैदा होती
हैं।
निष्कर्ष :
उक्त के उदाहरण से यह स्पष्ट है कि
मैथिली भाषा में आदर सूचक शब्दों का प्रयोग अधिकतम होता है परंतु इसमें
काफी जटिलता तथा अपवाद भी है जैसे –
१.मैथिली में भविष्य काल में ब का प्रयोग होता है
परन्तु इसके कुछ अपवाद स्वरूप भी है –
|
कहतौक (निम्नतम आदर) कहताह (उच्चतम
आदर)
|
कहतहु कहथुन्ह (मध्यआदर/
उच्चआदर)
|
कहतैक (निम्नतम आदर) कहथिन्ह (मध्यआदर
/उच्चआदर)
|
२.
मैथिली भाषा में लिंग निर्धारण कि समस्या
मैथिली भाषा में उतम पुरुष में वह के लिए ओ का प्रयोग
होता है तथा वर्तमान काल के वाक्यों से लिंग निर्धारण कठिन होता है
ओ जाइत छैक –मैथिली
He/She Goes
वह जा रही/रहा है
ʋəɦ dʒa rəɦi/rəɦa ɦɛ
३.आदर सूचक शब्दों का प्रयोग रिश्तेदारी के आधार पर
किया जाता है
जैसे – अपने – सास-ससुर ,दामाद, जेठ-जेठानी
ई-ससुर ,दामाद ,गुरु
संदर्भ ग्रन्थ सूची:
·
झा फूलचन्द्र ‘प्रवीण’, बाबू भोलालाल
दास रचनावली, प्रकाशक- शांति-परिमल प्रकाशन, कृष्ण कुञ्ज, फेंट (बासोपट्टी), मधुबनी
·
Yadav Ramawatar,
A Reference Grammar Of Maithili, Munshiram Manoharlal Publishers Pvt Ltd
·
झा, डॉ. गिरीश, नाथ (2010) और कुमारी डॉ. संगीता,
भारतीय भाषा परिचय, केंदीय हिन्दी निदेशालय
उच्चतर शिक्षा विधाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय पश्चिमी खंड –7 रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली- 110066
·
झा, पं. गोविंद (1999), कल्याणी-कोश (मैथिली-अंग्रजी
शब्द कोश), महाराजा कामेश्वर सिंह कल्याणी फ़ाउंडेशन कल्याणी
निवास, दरभंगा
·
झा, गोविंद (2008), मैथिली भाषा का विकास, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना
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