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Tuesday, January 1, 2019

बुंदेलखंडी क्रिया-रूपों की रूपरचनात्मक संरचना

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आभ्यंतर (Aabhyantar)      SCONLI-12  विशेषांक         ISSN : 2348-7771

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10. बुंदेलखंडी क्रिया-रूपों की रूपरचनात्मक संरचना
हेमन्त कुमार राय : पी-एच. डी. (ILE)  म.गा.अ.हि.वि. वर्धा
सारांश
किसी भी भाषा के वाक्य में क्रिया का स्थान अनन्य साधारण होता है। वास्तव में देखा जाए तो क्रिया ही भाषिक व्यवहार का केंद्र बिंदु होती है। वाक्य में क्रिया ही उसका मुख्य अंग होता है। इसलिए क्रिया को वाक्य की आत्मा भी कहा जाता है। भारत में हिंदी भाषा की विभिन्न बोलियां पायी जाती है। जिनमे बुन्देलखंडी अथवा बुन्देली (IPA: /bʊnd̪elkʰənɖɪorbʊnd̪eli, iso693—3code: bns)एक व्यापक क्षेत्र में बोली जाने वाली पश्चिमी हिंदी की महत्वपूर्ण बोली है। वैकल्पिक उच्चारण के रूप में इसे बुन्देली (IPA: bond̪eli)भी बुलाया जाता है। यह शौरसैनी के अपभ्रंश से विकसित हुई मानी जाती है। इसकी लिपि देवनागरी है। बुंदेलखंडी में मूलक्रिया (अकर्मक एवं सकर्मक ) से व्युत्पन्न प्रेरणार्थक क्रियाएँ अपने निर्माण में कई क्रिया-रूपों (verb-form) की संरचना करती है। इस शोध पत्र के अंतर्गत बुंदेलखंडी क्रियाओं को दो भेद के आधार पर रखा गया है: अकर्मक और सकर्मक तथा बुंदेलखंडी क्रियाओं के क्रिया-रूपों (verb-form) को उनके बदलते क्रम में रखा गया है। इस शोध पत्र में जो बुंदेलखंडी क्रिया-रूपों (verb-form) के नियम दिये गए हैं, इन नियमों को ध्यान में रख कर बुंदेलखंडी व्याकरण में क्रिया-रूपों (verb-form) को समझना आसान होगा। इस शोध पत्र में 30 बुंदेलखंडी क्रियाओं को मात्र लिया गया है जबकि बुंदेलखंडी में 2500 से अधिक क्रियाएँ है। इसके आगे भी इन क्रियाओं पर कार्य किया जा सकता है।
1.       परिचय:
बुंदेलखंड एक बड़ा क्षेत्र है जिसमे बुंदेली / बुंदेलखंडीनाम बुंदेलखंडकी भूमि से निकला है। शब्द बुंदेला, राजस्थान के प्रतिष्ठित राजपूत मार्शल जनजाति के एक कबीले को दर्शाता है। इस पूरे क्षेत्र में बुंदेखंडी बोली का प्रयोग होता है। जनगणना के अनुसार, बुंदेली मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के निम्नलिखित जिलों में बोली जाती है। मध्य प्रदेश में बुंदेली विभिन्न जिलो में बोली जाती है (1) टीकमगढ़ (2) छतरपुर (3) पन्ना (4) दतिया (5) ग्वालियर (6) सागर (7) दमोह (8) नरसिंहपुर (9) होशंगाबाद (10) छिंदवाड़ा (11) सिवनी (आंशिक), (12) भोपाल (आंशिक रूप से) (13) बालाघाट (आंशिक), (14) दुर्ग (आंशिक रूप से) और उत्तर प्रदेश में (15) झांसी (16) मणिरपुर (17) जालौन (18) बांदा (19) आगरा (आंशिक रूप से) (20) मईपुरी (आंशिक),(21) इटावा (आंशिक)। महाराष्ट्र में - (22) नागपुर आंशिक रूप से (23) चंदा (आंशिक) (24) बुलढाना (आंशिक) (25) भंडारा (आंशिक) (26) अकोला (आंशिक)इस प्रकार हम देखते हैं कि यह क्षेत्र तीन नदियों यमुना, चंबल और नर्मदा के बीचहैं। बुंदेलखंडी भाषा के निकट 12 भाषाएँ या बोलियाँ हैं जिनका ISO भाषा कोड (iso693—3code: bns) बुन्देलखंडी के समान है। इन 12 बोलियों में आपस में बहुत समानता देखने को मिलती है। ये 12 बोलियाँ हिन्दी भाषा की बोलियाँ हैं। जिनके नाम इस प्रकार है-
2.       साहित्य पुनरालोकन:
·        डॉ॰ कृष्ण लाल हंस जी ने अपनी बुन्देली और उसके क्षेत्रीय रूप पुस्तक में बुंदेलखंडी भाषा की धातुओं के बारे में चर्चा की है। उन्होने बुन्देली धातुओं का वर्गीकरण कर, उदाहरण के साथ सरलता से समझाया है। इसके साथ ही बुंदेलखंडी की अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं पर भी विस्तार से चर्चा की है।
·        एम॰ पी॰ जैसवाल जी ने अपनी पुस्तक ‘A Linguistic Study of Bundeli’में धातु को तीन भागो में बाटा है एवं इसके साथ ही काल, पक्ष, वृत्ति पर भी विस्तार से चर्चा की है। यौगिक क्रियाओं (compound verbs)को उदाहरण के साथ बहुत सरल तरीके से समझाया गया है।
·        एस॰ पी॰ अहिरवाल जी ने अपने शोध पत्र ‘BUNDELI/BUNDELKHANDI’मेंबुंदेलखंडी की  सहायक क्रिया, आज्ञार्थक क्रिया, यौगिक क्रिया और नकारात्मक क्रिया आंशिक रूप से बताया गया है।
इस शोध पत्र में बुंदेलखंडी में मूलक्रिया (अकर्मक एवं सकर्मक ) से व्युत्पन्न प्रेरणार्थक क्रियाएँ अपने निर्माण में कई क्रिया-रूपों (verb-form) की संरचना करती है। इस शोध पत्र में कुछ ऐसी क्रियाओं को रखा गया है जो भेद के आधार पर दो भागों में विभक्त है- अकर्मक और सकर्मक। इन क्रियाओं की एक विशेषता यह भी है कि यह क्रिया वाक्य में अपने कोशीय रूप (verb lexemes ) में तो होते ही हैं साथ ही यह द्वितीय क्रिया (second verb) के रूप में भी होते है जो वाक्य में काल, पक्ष, वृत्ति आदि की दिशा और दशा का निर्धारण करते है। इन क्रियाओं में अपनी एकल स्वतंत्र अर्थ देने की क्षमता के साथ-साथ संज्ञा और विशेषण के साथ जुड़कर वाक्य को अलग अर्थ देने की भी क्षमता होती है। इसलिए इन क्रियाओं को आधार मानकर इस शोधपत्र में क्रिया रूपों के संरचना का विश्लेषण किया जा रहा है।
  बुंदेलखंडी क्रियाओं का यह विश्लेषण रुपरचना- प्रक्रिया के आधार पर किया जा रहा है। जिनमें प्रेरणार्थक क्रियाओं की रूपरचना सामान्यत: स्वर-व्यंजन आगम, रूपस्वनिमिक परिवर्तन, व्यंजन परिवर्तन और सर्वादेश प्रक्रियाओं से होती है। बुंदेलखंडी क्रियाओं की यह संरचना रूप-संरचना पर आधारित है ना की आर्थी या वाक्यात्मक दृष्टि से।
3.       बुंदेलखंडी क्रिया-रूपों की रूपरचनात्मक संरचना:
 इस शोध पत्र में बुंदेलखंडी की मुख्य 30 क्रियाएँ ली गई हैं। इन बुंदेखंडी क्रियाओं के क्रिया-रूपों की रूपरचनात्मक संरचना इस प्रकार है-
क्रिया-रूप 1-
बुंदेलखंडी के अकर्मक क्रिया एवं सकर्मक क्रिया में और वाप्रत्यय के साथ बनने वाले प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया एवं द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण-  
क्रमांक संख्या
अकर्मक क्रिया
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया + वा प्रत्यय
सकर्मक क्रिया
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया + वा प्रत्यय
1
डरबौ
डराबौ
डरवाबौ
पढ़बौ
पढ़ाबौ
पढ़वाबौ
2
गिरबौ
गिराबौ
गिरवाबौ
लिखबौ
लिखाबौ
लिखवाबौ
3
चमकबौ
चमकाबौ
चमकवाबौ
सुनबौ
सुनाबौ
सुनवाबौ
4
चलबौ
चलाबौ
चलवाबौ
लुटबौ
लुटाबौ
लुटवाबौ
5
दोरबौ
दोराबौ
दोरवाबौ
उठबौ
उठाबौ
उठवाबौ
6
जगबौ
जगाबौ
जगवाबौ
काटबौ
काटाबौ
कटवाबौ
नियम

+‘ प्रत्यय 
+वा प्रत्यय

+‘ प्रत्यय 
+वा प्रत्यय
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि और वा प्रत्यय के योग से क्रियाओं में किसी भी प्रकार का रूपस्वनिमिक परिवर्तन नहीं हो रहा है।
क्रिया-रूप 2-
क्रमांक संख्या
अकर्मक
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰प्रे॰ क्रिया+वा प्रत्यय
सकर्मक
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया +वा प्रत्यय
1
जुड़बौ
जोड़ाबौ
जुड़वाबौ
जीतबौ
जिताबौ
जितवाबौ
2
---------
---------
--------
सीखबौ
सिखाबौ
सिखवाबौ
नियम

>


>ि
>ि
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि और वा प्रत्यय के योग से क्रियाओं में रूपस्वनिमिक परिवर्तन हो रहा है। 
क्रिया-रूप 3-
क्रमांक संख्या
अकर्मक क्रिया
प्र॰प्रे॰ क्रिया

द्वि॰ प्रे॰ क्रिया+        वा प्रत्यय
सकर्मक
प्र॰प्रे॰ क्रिया

द्वि॰ प्रे॰ क्रिया+ वा प्रत्यय
1
लजाबौ
--------
लजवाबौ
--------
---------
--------
नियम


>



उपयुर्क्त उदाहरण से स्पष्ट है कि यदि धातु के प्रथम वर्ण के साथ की मात्रा जुड़ रही हो तो तथा उस धातु के साथ /-आ / प्रत्यय जुड़ रहा हो की मात्रा का लोप होगा और धातु के अंतिम वर्ण में की वृद्धि होगी। अत: यहाँ पर रूपस्वनिमिक परिवर्तन हो रहा है।  
क्रिया-रूप 4-
क्रमांक संख्या
अकर्मक क्रिया 
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया +‘ प्रत्यय 
सर्कमक क्रिया
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया +‘ प्रत्यय  
1
सोबौ
सुआबौ
सुलवाबौ
धोबौ
धुआबौ
धुलवाबौ
2
रोबौ
रुआबौ
रूलवाबौ
पीबौ
पिआबौ
पिलवाबौ
3
---------
--------
---------
सीबौ
सिआबौ
सिलवाबौ
4
-----------
--------
--------
देबौ
दिआबौ
दिलवाबौ
5
--------
---------
--------
खाबौ
खुआबौ
खिलवाबौ
नियम

>


>
>ि
>ि‍

उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि और प्रत्यय के योग से क्रियाओं में रूपस्वनिमिक परिवर्तन हो रहा है। 
क्रिया-रूप 5-
क्रमांक संख्या
अकर्मक
प्र॰प्रे॰ क्रिया
+‘ प्रत्यय 
द्वि॰ प्रे॰ क्रिया + वा प्रत्यय
सर्कमक
प्र॰प्रे॰ क्रिया

द्वि॰ प्रे॰ क्रिया
1
फटबौ
फाड़बौ
फड़वाबौ
---------
--------
---------
2
जाबौ
पाहुचाबौ
पहुचवाबौ
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-----------
-----------
3
लाबौ
मांगबौ
मगवाबौ
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--------
4
आबौ
बुलाबौ
लिवाबौ



उपयुर्क्त उदाहरणों मे व्‍यंजन परिवर्तन हो रहा है जैसे – का ’,‘जा का पा’,‘ला का मा,’‘ का बुआदि।  
4. निष्कर्ष:
इस शोध पत्र में बुंदेलखंडी की 30 क्रियाएँ ली गई हैं। इन 30 क्रियाओं के विभिन्न क्रियारूप बताए गए हैं। जो रूपस्वनिमिक परिवर्तन हो रहा हैं या नहीं जिनको उदाहरण देकर समझाया गया है।  जिसमे कुछ क्रियाओं में रूपस्वनिमिक परिवर्तन मिला और कुछ बुंदेलखंडी क्रियाओं में रूपस्वनिमिक परिवर्तन नहीं मिला ।  इस शोध पत्र में बुंदेलखंडी की मात्र 30 क्रियाएँ ही रखी गई है जबकि बुंदेलखंडी में लगभग 2500 से भी अधिक क्रियाएँ हैं। इसके आगे भी बुंदेलखंडी क्रियाओं पर कार्य किया जा सकता है। 
5. संदर्भ सूची:
·         सिंह, सूरजभान: हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण
·         श्रीवास्तव, रवीन्द्र नाथ: हिंदी भाषा: संरचना के विविध आयाम
·         तिवारी, भोलानाथ: हिंदी की भाषिक संरचना
·         गुरु, कामता प्रसाद: हिंदी व्याकरण
·         बासुतकर, महादेव मारुति: हिन्दी की क्रियापद व्यवस्था
सिंह, धीरेन्द्र प्रताप: संदर्भ आधारित हिंदी मुख्य एवं सहायक क्रिया संबध्दक (पी॰ एच॰ डी॰ शोध प्रबंध मा॰ गा॰ अ॰ हि॰ वि॰ वि॰ वर्धा ) 2009 

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